ऐसा माना जाता है कि पानी के बाद भारत में सबसे ज्यादा चाय पी जाती है. लोग सुबह उठने के बाद तरोताजा रहने के लिए चाय पीते हैं. इतना ही नहीं, सिर दर्द होने पर भी लोग दवा लेने से पहले चाय पीना बेहतर समझते हैं. इन्हीं वजहों से भारत में चाय का उत्पादन और खपत लगातार बढ़ रही है. अगर चाय उत्पादन की बात करें तो भारत दूसरे नंबर पर है. भारत में पूर्वोत्तर के राज्य असम और पश्चिम बंगाल प्रमुख चाय उत्पादक क्षेत्र हैं. ऐसे में चाय को लेकर एक बड़ी खबर सामने आई है.
आपको बताते हैं कोलकाता नीलामी में एक बार फिर चाय की कीमत में इस सप्ताह 33% की बढ़त हुई है. जिसका मुख्य कारण चाय की उपलबद्धता में कमी बताई जा रही है. इस सप्ताह कोलकाता नीलामी केंद्र में चाय की कीमतें साल-दर-साल (वाईओवाई) 33 प्रतिशत के करीब बढ़ीं. चाय बोर्ड और एनएसईआईटी के आंकड़ों के अनुसार, 18 फरवरी को आयोजित कोलकाता नीलामी केंद्र में प्राप्त औसत कीमत 168.01 रुपये प्रति किलोग्राम रही, जबकि एक साल पहले यह 126.51 रुपये थी.
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इस सप्ताह नीलामी के दौरान औसत दार्जिलिंग पत्ती की कीमत सालाना आधार पर लगभग 37 प्रतिशत बढ़कर 231.38 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई, जबकि औसत ऑर्थोडॉक्स पत्ती यानी काली चाय की कीमत सालाना आधार पर लगभग 13 प्रतिशत बढ़कर 201.86 रुपये हो गई. आंकड़ों के अनुसार, मंगलवार को हुई नीलामी में सीटीसी पत्ती की औसत कीमत पिछले साल की तुलना में 31.69 प्रतिशत बढ़कर 167.04 रुपये हो गई, जबकि सीटीसी डस्ट चाय की औसत कीमत पिछले साल की तुलना में 23.29 प्रतिशत बढ़कर 148.29 रुपये हो गई.
इस साल 18 फरवरी को आयोजित सेल नंबर 8 में कोलकाता नीलामी केंद्र में प्राप्त औसत कीमत पिछले साल की तुलना में अधिक थी, क्योंकि इस साल कम चाय उपलब्ध थी. नीलामी के लिए आई सभी चाय पिछले साल के उत्पादन से थी. चाय बोर्ड के दिशा-निर्देशों के अनुसार, उत्तर भारत के चाय बागानों में उत्पादन 30 नवंबर, 2024 के बाद बंद हो जाएगा.
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कोलकाता नीलामी केंद्र में बिक्री संख्या 9, 10 और 11 को रद्द कर दिया गया है, क्योंकि इस साल जनवरी में उत्तर भारत के बागानों में चाय का उत्पादन नहीं हुआ था और चाय की बहुत कम ताजा आवक हुई थी. जिस वजह से नीलामी केंद्र की ओर से यह फैसला लिया गया है.
2024 में देश का कुल चाय उत्पादन 1284.78 मिलियन किलोग्राम (एमकेजी) रहा - जो 2023 में 1393.66 एमकेजी से कम है. 2023 की तुलना में 2024 की आखिरी बिक्री में चाय की कीमतें भी उछाल भरी रहीं, क्योंकि उत्पादन में गिरावट के कारण ऑर्थोडॉक्स और सीटीसी दोनों किस्मों के लिए प्राप्ति में तेजी से वृद्धि हुई.
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