बिहार का मखाना अब सिर्फ स्वाद या सुपरफूड तक सीमित नहीं रहेगा. बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर के वैज्ञानिकों ने मखाना में एक खास जैव-सक्रिय यौगिक की खोज की है, जिसे भारत सरकार के पेटेंट कार्यालय से 2 जुलाई को 20 वर्षों के लिए पेटेंट मिल चुका है. यह खोज मेडिकल और न्यूट्रास्यूटिकल क्षेत्र में नई क्रांति ला सकती है. इस यौगिक का नाम N-(2-iodophenyl)methane sulfonamide है, जो कैंसर और संक्रमणों से लड़ने की क्षमता रखता है.
यह यौगिक पहली बार किसी प्राकृतिक स्रोत में मिला है. अब तक यह केवल प्रयोगशाला में तैयार किया जाता था. वैज्ञानिकों को यह यौगिक मखाना के पेरीस्पर्म यानी बीज के बाहरी हिस्से में मिला है. इसका आणविक सूत्र C₇H₈INO₂S और औसत आणविक भार 297.110 डॉल्टन है.
यह यौगिक हाइड्रोजन और हैलोजन बॉन्ड बनाकर जैव-रासायनिक प्रक्रियाओं को प्रभावित करता है. इसमें एंटीमाइक्रोबियल और कैंसररोधी गतिविधियां दिखाने की पूरी संभावना है.
विश्वविद्यालय के जिन वैज्ञानिकों द्वारा जैव-सक्रिय यौगिक की खोज की गई. उनमें से पादप जैव प्रौद्योगिकी विभाग के डॉ. वी शाजिदा बानो, मृदा विज्ञान एवं कृषि रसायन विभाग के डॉ. प्रीतम गांगुली और उद्यान विभाग के डॉ. अनिल कुमार का योगदान रहा. इनका नेतृत्व विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. डीआर सिंह और अनुसंधान निदेशक डॉ. एके सिंह ने किया. साथ ही शोध कार्य विश्वविद्यालय की NABL प्रमाणित आधुनिक प्रयोगशाला में किया गया.
विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. डीआर सिंह ने कहा कि हमारा मखाना अब सिर्फ स्वाद नहीं, स्वास्थ्य का प्रतीक बन चुका है. यह खोज न सिर्फ वैज्ञानिक उपलब्धि है, बल्कि हमारे किसानों की मेहनत को वैश्विक मंच पर पहचान दिलाने वाला क्षण है.
इस यौगिक की खोज से किसानों को सीधा फायदा मिलेगा. मखाना अब ‘हेल्थ कैप्सूल’ के तौर पर देखा जाएगा, जिससे इसकी कीमतों में भारी बढ़ोतरी हो सकती है. इसके साथ ही कृषि आधारित स्टार्टअप्स को बढ़ावा मिलेगा, औद्योगिक साझेदारियों का रास्ता खुलेगा और निर्यात बाजार मजबूत होगा. खासकर मिथिलांचल और सीमांचल के किसानों की आमदनी बढ़ेगी.
बिहार के मिथिला मखाना को ग्लोबल पासपोर्ट मिल गया है. मखाना को अंतरराष्ट्रीय स्तर का खास हार्मोनाइज्ड सिस्टम (HS) कोड दिया गया है. साथ ही बिहार का सुपरफूड मखाना अब वैश्विक स्तर पर विशेष रूप से पहचाना जाएगा. इससे इस खास किस्म के ड्राई फ्रूट्स को नई पहचान मिली है. बता दें कि यहां के किसानों की वर्षों के प्रयासों के बाद मखाना उत्पादकों, प्रोसेसर और उद्यमियों को अब उनका हक मिला है. मिथिलांचल खासकर दरभंगा, मधुबनी, सहरसा, सुपौल, पूर्णिया, कटिहार समेत अन्य जिलों की खास पहचान यह मखाना है. इस कोड के मिलने से यह अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी अपने अलग नाम और हक से जाना जाएगा. इससे इसके व्यापार में सहूलियत बढ़ेगी.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today