लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी को झटका लगा था, चुनाव परिणाम में बीजेपी को सबसे अधिक नुकसान महाराष्ट्र में हुआ था. महाराष्ट्र में बीजेपी को हुए इस नुकसान की जिम्मेदारी उपमुख्यमंत्री और बीजेपी नेता देवेंद्र फणडवीस ने ली थी. मतगणना के दूसरे दिन ही उपमुख्यंत्री और बीजेपी नेता देवेंद्र फणडवीस ने पत्रकार वार्ता करते अपरोक्ष रूप से स्वीकारा था कि सोयाबीन के दामों में हुई गिरावट के चलते किसानों को हुए नुकसान की वजह से बीजेपी को चुनाव में नुकसान उठाना पड़ा. इसी बहाने किसान तक ने सोयाबीन की दामों में आई सुस्ती की पड़ताल की है. जिसमें ये सामने आया है कि पाम ऑयल ने सोयाबीन का गणित बिगाड़ा है. इस वजह से सोयाबीन के दामों में गिरावट है, जिससे किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है. आइए इसी कड़ी में सोयाबीन पर विस्तार से बात करते हैं.
सोयाबीन उत्पादन में देश के अंदर महाराष्ट्र अव्वल है. देश में कुल उत्पादित सोयाबीन का अकेले 45 फीसदी का उत्पादन महाराष्ट्र करता है. इसके बाद मध्य प्रदेश का नाम आता है. मध्य प्रदेश कुल उत्पादन का 40 फीसदी तक उत्पादन करता है.
केंद्र सरकार की तरफ से विपणन वर्ष 2023-24 के लिए सोयाबीन का MSP 4600 रुपये क्विंटल तय किया गया है, लेकिन मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में मौजूदा वक्त में साेयाबीन के दाम अधिकतम 4400 रुपये तो न्यूनतम 3500 रुपये क्विंटल तक दर्ज किए जा रहे हैं. इन हालातों में किसानों को MSP से 200 से 1100 रुपये क्विंटल तक सोयाबीन नुकसान में बेचने को मजबूर होना पड़ रहा है.
मौजूदा वक्त में भले ही सोयाबीन के दाम MSP से कम चल रहे हैं, लेकिन बीते दो साल सोयाबीन के दाम MSP से अधिक रहे थे. इसके बारे में महाराष्ट्र के नासिक जिले के साेयाबीन किसान विजय केशव गुंंज्याल कहते हैं कि इससे पहले दो साल सोयाबीन किसानों को फायदा हुआ था, लेकिन इस साल कम दामों ने किसानों की कमर तोड़ दी है. किसान विजय बताते हैं कि साल 2022 में सोयाबीन का भाव 8000 रुपये प्रति क्विंटल तक दर्ज किया गया था, जबकि 2023 में सोयाबीन का भाव 6000 रुपये प्रति क्विंटल तक मिला था. इस साल सीजन की शुरुआत में भी सोयाबीन का भाव 5000 रुपये क्विंटल तक भाव पहुंचा था, लेकिन अब 4000 से 4400 रुपये क्विंटल के बीच का भाव है, इससे किसानों को नुकसान हो रहा है.
महाराष्ट्र के सोयाबीन किसान मौजूदा साल में नुकसान में साेयाबीन बेचने को मजबूर हैं. MSP के हिसाब से नुकसान का आकलन करें ताे किसानों को औसतन प्रति क्विंटल 600 रुपये का नुकसान हो रहा है, लेकिन महाराष्ट्र के किसानों का कहना है कि नुकसान की तुलना MSP से नहीं की जा सकती है. नागपुर के सोयाबीन किसान विजय केशव गुंज्याल कहते हैं कि सोयाबीन की लागत ही MSP से ज्यादा है, इसकी तुलना में MSP कम है. इन हालातों में MSP से सोयाबीन के भावों की तुलना गलत है. वह कहते हैं कि पिछले सालों में जो दाम मिला था, उसमें किसानों को राहत मिली थी. वहीं मध्य प्रदेश में पिछले साल सूखे की वजह से किसानों की सोयाबीन फसल खराब हुई थी, इससे भी एमपी के किसानों का नुकसान बढ़ा है.
अब सवाल ये है, जब बीते दो सालों से सोयाबीन के दाम MSP से अधिक चल रहे थे, तब आखिर इस साल ऐसा कैसे हुआ कि सोयाबीन के दाम MSP से नीचे चल रहे हैं. इस सवाल का जवाब देते हुए मध्य भारत FPO फेडरेशन के सीईओ योगेश द्विवेद्धी कहते हैं कि पाम ऑयल सोयाबीन के दामों में गिरावट की एक प्रमुख वजह है.
वह इसे विस्तार से समझाते हुए वह कहते हैं कि सोयाबीन का बाजार भाव सोयाबीन से निकलने वाले तेल और सोयाबीन की खली (DOC) से तय होता है. सोयाबीन की खली को जानवरों को खिलाया जाता है. ग्लोबली इस साल सोयाबीन की खली के दामों में गिरावट है, जिसका असर भारत पर भी है.
पाम ऑयल की वजह से कैसे सोयाबीन के दामों में गिरावट है. इस सवाल के जवाब में मध्य भारत FPO फेडरेशन के सीईओ योगेश द्विवेद्धी कहते हैं कि 5 किलो सोयाबीन से एक लीटर तेल निकलता है. यानी अगर 40 रुपये किलो के हिसाब से देखें तो 200 रुपये के सोयाबीन में एक लीटर तेल निकलेगा, लेकिन मौजूदा समय में बाजार में उपलब्ध सोयाबीन के तेलों में 50 फीसदी तक पाम ऑयल की मिलावट हो रही है. इसकी वजह ये है कि क्रूड पाम ऑयल इंपोर्ट ड्यूटी फ्री है, जिसके बाद 30 रुपये लीटर तक में पाम ऑयल भारत आ रहा है. पाम ऑयल की इस सस्ती चाल से सोयाबीन के दामों में गिरावट दर्ज की जा रही है.
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