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किसान आंदोलनों की 'कसौटी' पर कसा है 'शिव' राज! किस्‍मत में फिर कक्‍का जी से 'टकराव'?

किसान आंदोलनों की 'कसौटी' पर कसा है 'शिव' राज! किस्‍मत में फिर कक्‍का जी से 'टकराव'?

शिवराज सिंह चौहान की किसान और ग्रामीण पृष्‍ठभूमि को देखकर भले ही उन्‍हें माेदी सरकार में अब तक का सबसे बढ़िया कृषि मंत्री बताया जा रहा है, लेकिन ये भी सच है कि मध्‍य प्रदेश के मुख्‍यमंत्री रहते हुए उनके कार्यकाल में ही तीन बड़े किसान आंदोलन हुए हैं.

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शिवराज सिंह चौहान के मुख्‍यमंत्री में एमपी में हुए तीन बड़े किसान आंदोलन शिवराज सिंह चौहान के मुख्‍यमंत्री में एमपी में हुए तीन बड़े किसान आंदोलन

शिव-शिव-शिव की ध्‍वनि महादेव की स्‍तुति का मूल मंत्र मानी जाती है, लेकिन मध्‍य प्रदेश की किसान राजनीति और सियासत में शिव-शिव की ये ध्‍वनि किसान मुद्दों के लिए संघर्ष, किसान आंदोलन और शह मात की तरफ इशारा करती है. इसमें एक शिव यानी शिवराज सिंंह चौहान हैं, दूसरे शिव यानी शिव कुमार शर्मा उर्फ कक्‍का जी हैं.

मौजूदा किसान आंदोलन के बीच मोदी कैबिनेट में शिवराज सिंह चौहान की बतौर केंद्रीय कृषि मंत्री ताजपोशी के संदर्भ में राजनीति के इस शिव-शिव मंत्र को डिकोड करें तो स्‍वत; ही ये कहा जा सकता है कि शिव कुमार शर्मा की अगुवाई में हुए किसान आंदोलनों की कसौटी पर मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का कार्यकाल कसा है. तो वहीं अब केंद्रीय कृषि मंत्री बनने के बाद शिवराज सिंंह चौहान के सामने एक बार शिव कुमार शर्मा उर्फ कक्‍का जी से टकराव की चुनौती भी है. 

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सीधे शब्‍दों में कहा जाए तो शिवराज सिंह चौहान की किसान और ग्रामीण पृष्‍ठभूमि को देखकर भले ही उन्‍हें माेदी सरकार में अब तक का सबसे बढ़िया कृषि मंत्री बताया जा रहा है, लेकिन ये भी सच है कि मध्‍य प्रदेश के मुख्‍यमंत्री रहते हुए उनके कार्यकाल में ही तीन बड़े किसान आंदोलन हुए, जो देश-विदेश की सुर्खिया भी बनें और इन किसान आंदोलन की धुरी मौजूदा किसान आंदोलन 2.0 का चेहरा माने जाने वाले शिव कुमार शर्मा उर्फ कक्‍का जी रहे. आइए इसी कड़ी में मध्‍य प्रदेश की किसान राजनीति, किसान आंदोलन, नतीजों पर विस्‍तार से बात करते हैं. 

शिवराज सिंह चौहान, मध्‍य प्रदेश और 3 किसान आंदोलन

शिवराज सिंह चौहान मध्‍य प्रदेश के सफलतम मुख्‍यमंत्रियों की सूची में शुमार हैं. उन्‍हें बतौर मुख्‍यमंत्री 2005 में मध्‍य प्रदेश की कमान मिली थी और वह 2023 तक मध्‍य प्रदेश के मुख्‍यमंत्री रहे. अपने इन 4 कार्यकालों में शिवराज सिंह चौहान ने किसानों के पक्ष में कई काम किए तो वहीं उन्‍हें 3 किसान आंदोलनों का सामना भी करना पड़ा. आइए शिवराज सिंह चौहान के मुख्‍यमंत्री काल में हुए किसान आंदोलनों पर बात कर लेते हैं. 

1. ऑपरेशन भोपाल- 3 दिन तक किसानों का बंंधक रहा भोपाल 

मध्‍य प्रदेश की किसान राजनीति में ऑपरेशन भोपाल को मुलताई के बाद एक बड़ा किसान आंदोलन माना जाता है. 20 दिसंबर 2010 को राज्‍य खुफिया तंत्र को धता बताते हुए 15 हजार किसानों ने तड़के अपने ट्रैक्‍टर ट्रॉलियों से भोपाल का घेराव कर दिया था और भोपाल को किसानों ने 3 दिन तक घेर कर रखा था. ये किसान आंदोलन शिवराज सिंह चौहान सरकार के खिलाफ कुल 83 मांगों को लेकर था, जिसकी मेजबानी राष्‍ट्रीय स्‍वयं सेवक संघ के किसान संगठन भारतीय किसान संघ (BKS) ने की थी और BKS मध्‍य प्रदेश के अध्‍यक्ष शिवकुमार शर्मा उर्फ कक्‍का जी थे.

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इस आंदोलन के बारे में किसान महापंचायत के मध्‍य प्रदेश अध्‍यक्ष राजेश धाकड़ बताते हैं कि तब वह भी BKS के सदस्‍य थे. धाकड़ बताते हैं कि पूरे राज्‍य में किसानों ने एक महीने तक ऑपरेशन भोपाल को सफल बनाने के लिए मेहनत की थी, जिसके बाद पूरे राज्‍य से 20 दिसंबर को तड़के बड़ी संख्‍या में किसान भोपाल पहुंचे. धाकड़ बताते हैं कि उनके गांव में तब एक ही ट्रैक्‍टर था और वह उस दिन में भोपाल में था, इसी तरह राज्‍यभर के गांवों से आए ट्रैक्‍टरों और ट्रॉलियों ने तीन दिन का भाेपाल में डेरा डाल कर रखा.

किसान नेता राजेश धाकड़ बताते हैं कि शिवकुमार शर्मा कक्‍का जी के नेतृत्‍व में किसानों ने खेत को 12 घंटे बिजली, गांवों को 24 घंटे बिजली देने समेत कुल 83 मांगें सरकार के सामने रखी. तीन दिन बाद आंदोलन को वापिस लेने पर समझौता हुआ और सरकार ने मांगों पर अमल के लिए महीने का समय लिया. धाकड़ के मुताबिक 2013 से अब तक उनके गांवों को 24 घंटे बिजली की आपूर्ति हाे रही है, जिसका श्रेय किसान आंदोलन को भी है.

2. बरेली में बारदाने के लिए आंदोलन, एक किसान की मौत

तीन दिन तक भोपाल को किसानों की तरफ से बंधक बनाए जाने के बाद शिवराज सिंह चौहान के मुख्‍यमंत्री काल में दूसरा बड़ा आंदोलन बरेली में गेहूं के बारदाने को लेकर हुआ. किसान महापंचायत के नेता राजेश धाकड़ बताते हैं कि मध्‍य प्रदेश के बरेली में गेहूं विपणन के लिए बारदाने की कमी थी, किसानों ने बारदाने की मांग करते हुए तकरीबन 20 अप्रैल से बरेली में आंदोलन शुरू कर दिया, जिसका चेहरा भी BKS शिवकुमार शर्मा और दर्शन सिंह चौधरी थे.

किसान नेता धाकड़ बताते हैं कि 7 मई 2012 को आंदोलन में चली पुलिस गोली से किसान हरि सिंह प्रजापति की मौत हो गई, जिसके बाद शिवकुमार शर्मा कक्‍का जी, दर्शन सिंह चौधरी समेत 40 लाेगों को गिरफ्तार कर लिया गया. जिसमें बीकेएस के नेता समेत अन्‍य किसान शामिल थे.

किसान नेता धाकड़ बताते हैं कि गोली से किसान हरि सिंह प्रजापति की मौत के बाद आंदोलन के उग्र होने की संभावनाओं के बीच प्रशासन ने रात को ही किसान का अंतिम संस्‍कार कर दिया. तब से लाकर आज तक हरि सिंह प्रजापति को शहीद का दर्जा देने और उनकी प्रतिमा लगाने की मांग वह करते आ रहे हैं, लेकिन अभी तक इसमें अमल नहीं हुआ है. 

3. मंदसौर किसान आंदोलन, 6 किसानों की मौत

मध्‍य प्रदेश की किसान राजनीति में 6 जून 2017 को काले दिन के तौर पर देखा जाता है.असल में मार्च 2017 में महाराष्‍ट्र से शुरू हुआ किसान आंदोलन मध्‍य प्रदेश तक फैल गया. किसानों की कर्ज माफी, दूध के अधिक दाम, स्‍वामीनाथन आयोग की सिफारिशों का लागू करने की मांग को लेकर मध्‍य प्रदेश के किसान भी आंदोलन में कूद गए और दूध, सब्‍जियों की आपूर्ति रोक दी, जिसके बाद मालवा और निमाड़ में आंदोलन हिंंसक हो गया तो वहीं पुलिसिया कार्रवाई में मंदसौर में 6 किसानों की मौत हुई.

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इसके बाद इस आंदोलन का चेहरा बनकर कक्‍का जी उभरे और उन्‍होंने शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ मोर्चाबंदी की. हालांकि बाद में मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किसानों के परिजनों के लिए मुआवजे और नौकरी का ऐलान किया तो वहीं भावांतर जैसी योजना भी इसके बाद अस्‍तित्‍व में आई.

शिवराज सिंह, कक्‍का जी और होशंगाबाद लोकसभा

अब तक आप ये समझ चुके होंगे की मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सामने किसानों के मुद्दे पर अगर किसी ने बड़ी चुनौती पेश की है तो वह शिवकुमार शर्मा उर्फ कक्‍का जी हैं, जिनका जन्‍म हौशांगाबाद में हुआ था, जो विदिशा से लगता हुआ है. असल में कभी शिव कुमार शर्मा उर्फ कक्‍का जी ने शिवराज सिंह की सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाई थी, लेकिन किसान राजनीति में दोनों की दोस्‍ती ऐसी उलझी की समय में दोनों विरोधी बन गए.

2010 भोपाल आंदोलन का समापन समझौते पर तो हुआ, लेकिन उस दौरान बीजेपी के दिग्‍गज नेताओं ने शिवकुमार शर्मा पर हौशगांबाद से टिकट मांगने का आरोप लगाया था. वहीं 2012 बरेली आंदोलन के बाद शिवकुमार शर्मा उर्फ कक्‍का जी काे जेल जाना पड़ा और उन्‍हें बीकेएस से हटा दिया गया.

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इसके बाद शिवकुमार शर्मा कक्‍का जी ने दर्शन चौधरी के साथ मिलकर भारतीय मजूदर प्रजा पार्टी बनाई, जिसने 2013 का विधानसभा चुनाव भी लड़ा, लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी. वहीं 2016 में दर्शन चौधरी दोबारा बीजेपी में शामिल हो गए, जो एमपी किसान मोर्चे के प्रदेश अध्‍यक्ष होते हुए मौजूदा चुनाव में हौशांगाबाद लोकसभा क्षेत्र से निर्वाचित होकर शिवराज सिंह चौहान के साथ सदन में पहुंचे हैं, जिन्‍हें बीजेपी राष्‍ट्रीय किसान मोर्चे के अध्‍यक्ष का संभावित दावेदार बताया जा रहा है. वहीं शिवकुमार शर्मा कक्‍का जी राष्‍ट्रीय किसान मजदूर महासंघ के बैनर तले सक्रिय हैं.

कक्‍का जी और किसान आंदोलन 2.0

शिवराज सिंह चाैहान के मुख्‍यमंत्री रहते हुए किसान आंदोलन और शिवकुमार शर्मा कक्‍का जी की भूमिका पर विस्‍तार से बात के बाद मौजूदा किसान आंदोलन पर चर्चा करते हैं. 13 फरवरी से पंजाब हरियाणा बॉर्डर पर किसान आंदोलन शुरू हुआ है. इस आंदोलन का प्रमुख चेहरा शिव कुमार शर्मा कक्‍का जी हैं. वहीं अब किसान आंदोलन के बीच संपन्‍न हुए लोकसभा चुनाव के बाद शिवराज सिंह चौहान को कृषि मंत्री की जिम्‍मेदारी मिली है. ऐसे में परोक्ष रूप से इस आंदोलन को खत्‍म करवाने की जिम्‍मेदारी केंद्रीय कृषि मंंत्री शिवराज सिंह चौहान पर है. ऐसे में देश की किसान राजनीति की नियति में एक बार फिर शिवराज सिंह चाैहान और शिवकुमार शर्मा कक्‍का जी आमने-सामने हैं.

किसानों के मुद्दे, शिवराज सिंह और उम्‍मीद

शिवराज सिंह चाैहान का बतौर मुख्‍यमंत्री कार्यकाल किसान आंदोलन की कसौटी पर कसा है. वहीं अब केंद्रीय कृषि मंत्री उनके सामने देश के किसानों के मुद्दों काे हल करवाते हुए किसान आंदोलन काे खत्‍म करवाने की जिम्‍मेदारी है. इसको लेकर उनसे उम्‍मीद पर मध्‍य प्रदेश के किसान नेता राहुल राज कहते हैं कि किसानों आंदोलन को लेकर शिवराज सिंह चौहान का व्‍यवहार दमनकारी रहा है. राहुल राज कहते हैं कि तीन कृषि कानून के खिलाफ शुरू हुए आंदोलन के समर्थन में उन्‍होंने 8 दिसंबर 2020 को भोपाल में ट्रैक्‍टर मार्च निकाला था, इस पर शिवराज सरकार ने उन्हें हिरासत में लेकर जेल भेज दिया था.

किसान नेता राहुल राज कहते हैं कि मध्‍य प्रदेश में जब भी किसानों ने अपनी आवाज बुलंद करने की कोशिश की, तब ही शिवराज सिंह चौहान सरकार का व्‍यवहार दमनकारी रहा, मसलन किसान नेताओं को नजरबंद करने के साथ ही हिरासत में लिया गया. हालांकि राहुल राज कहते हैं कि वह खुद को किसान पुत्र बताते हैं, ऐसे में उम्‍मीद है कि वह किसानों के मुद्दाें का समाधान करेंगे. वहीं राजेश धाकड़ कहते हैं कि शिवराज सिंह चौहान किसानों के मुद्दों को सुनते हैं और समझते हैं, ऐसे में उम्‍मीद है कि वह राष्‍ट्रीय स्‍तर पर किसानों के मुद्दों को हल करेंगे.