मध्य प्रदेश सरकार ने फलों का उत्पादन बढ़ाने और महिलाओं के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा करने के लिए बड़ा कदम उठाया है. राज्य सरकार 15 अगस्त से राज्य में 'एक बगिया मां के नाम' योजना शुरू करेगी. इस योजना के तहत स्व-सहायता समूहों (एसएचजी) से जुड़ी महिलाएं अपनी जमीन पर फलों के पौधों का बगीचा लगा सकेंगी. इस बगीचे को तैयार करने का खर्च राज्य सरकार उठाएगी.
'एक बगिया मां के नाम' योजना के अंतर्गत राज्य स्तर पर स्व-सहायता समूहों की 30 हजार महिलाओं की 30 हजार एकड़ भूमि पर लगभग 900 करोड़ रूपये की लागत से आजीविका संवर्धन के लिए 30 लाख उद्यानिकी पौधे रोपकर फल-फूल के बगीचे विकसित किये जायेंगे.
इस योजना में शामिल महिला आवेदकों के पास आधा एकड़ से एक एकड़ तक जमीन होनी चाहिए. जिन महिलाओं के परिवार में जमीन उनके पिता, पति या ससुर के नाम पर है, वे इस योजना में सहमति पत्र के आधार पर बाग लगा सकेंगी. आधा एकड़ में 50 फलदार पौधे लगाए जाएंगे. गड्ढे खोदने और पौधे खरीदने के लिए राज्य सरकार मनरेगा के जरिए पैसा देगी.
सरकार पौधों की सुरक्षा के लिए तार फेंसिंग, सिंचाई के लिए 50 हजार लीटर की पानी की टंकी, 3 साल तक रखरखाव और जैविक खाद भी उपलब्ध कराएगी. उद्यान निर्माण के लिए 3 साल के भीतर करीब 3 लाख रुपए का अनुदान दिया जाएगा.
पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग के राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन को पात्र हितग्राहियों के चयन की जिम्मेदारी सौंपी गई है. इसके लिए 15 जुलाई तक आवेदन स्वीकार किए जाएंगे. महिला हितग्राहियों का चयन 'एक पेड़ मां के नाम' एप के जरिए किया जाएगा. सरकार ने पहले साल में इस योजना में सिर्फ 30 हजार महिलाओं को शामिल करने का फैसला किया है. हर ब्लॉक में 100 महिला हितग्राहियों का चयन किया जाएगा.
इस परियोजना में सिपरी सॉफ्टवेयर के जरिए वैज्ञानिक तरीके से भूमि और पौधों का चयन किया जाएगा. ताकि मिट्टी की प्रकृति और जलवायु के हिसाब से सही पौधों का चयन किया जा सके. पौधे कब और किस समय लगाए जाएंगे, पानी के स्रोत की निगरानी भी सिपरी सॉफ्टवेयर के जरिए की जाएगी. हर 25 एकड़ पर एक कृषि सखी नियुक्त की जाएगी, जो चयनित लाभार्थियों की मदद करेगी. इन उद्यानों की निगरानी ड्रोन और सैटेलाइट इमेज से की जाएगी.
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