धान की कटाई के बाद पराली जलाने से दिल्ली में बढ़े वायु प्रदूषण ने लोगों को परेशान कर रखा है. दिल्ली में प्रदूषण और पराली जलाने के मामलों की सुनवाई के दौरान बीते दिन सुप्रीमकोर्ट ने पंजाब सरकार को जमकर फटकार लगाई और तत्काल पराली प्रबंधन के निर्देश दिए. जबकि, हरियाणा से पराली प्रबंधन सीखने का सुझाव भी दिया. वहीं, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने पंजाब सरकार को आड़े हाथों लेते हुए गंभीर आरोप लगाए. उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार ने पराली प्रबंधन पर न ध्यान दिया और न पर्याप्त कदम उठाए, जिसकी वजह से पराली के मामले बढ़ गए और वायु प्रदूषण बढ़ गया.
सुप्रीमकोर्ट में मंगलवार 21 नवंबर को कहा कि पंजाब सरकार की रिपोर्ट बताती है कि SHO द्वारा धान की पराली न जलाने के लिए मनाने की खातिर किसानों और किसान नेताओं के साथ 8,481 बैठकें की गई हैं. सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि किसानों को खलनायक बनाया जा रहा है और यहां अदालत में उनकी बात नहीं सुनी जा रही है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पराली जलाने के लिए उनके पास कुछ कारण होगा. जबकि, पंजाब सरकार को पराली प्रबंधन पर जमकर फटकार लगाई. सुप्रीमकोर्ट ने बिहार के किसानों की तारीफ करते हुए कहा कि बिहार के किसान मशीन की बजाय हाथ से फसल कटाई करते हैं और वहां पराली जलाने के मामले सामने नहीं आते हैं.
सुप्रीमकोर्ट ने पंजाब सरकार को हरियाणा सरकार से पराली प्रबंधन पर सीख लेने की नसीहत भी दी. इसके बाद हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने एक्स अकाउंट पर पंजाब सरकार को आड़े हाथों लिया. उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार द्वारा पराली के प्रदूषण को नियंत्रित न कर पाने को लेकर माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा की गई टिप्पणी से ये साफ हो गया है कि पंजाब सरकार ने न तो इसके प्रबंधन पर ध्यान दिया और न ही पर्याप्त कदम उठाए.
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मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि वहीं हरियाणा के किसान पराली न जलाएं इसके लिए हमने उन्हें आर्थिक सहायता के साथ-साथ पराली प्रबंधन के यंत्र भी उपलब्ध करवाए हैं. हरियाणा के किसान भाइयों ने सरकार की अपील को मानकर जो सहयोग किया है, उसके लिए मैं उनका धन्यवाद करता हूं. उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार ने पराली जलाने की समस्या को गंभीरता से लिया है और किसानों के सहयोग से पराली जलाने की घटनाओं में कमी लाने में सफलता पाई है.बता दें हरियाणा सरकार किसानों को पराली नहीं जलाने पर मुआवजा देती है और जलाने वालों पर जुर्माना भी लगा रही है. जबकि, धान अपशिष्ट का एथेनॉल बनाने में भी इस्तेमाल किया जा रहा है.
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