इजरायल की मदद से भारत के कई क्षेत्रों में खेती की सूरत बदली है भारत और इजरायल दोनों दशकों पुराने रणनीतिक साझेदार हैं और दोनों की दोस्ती दुनिया में मशहूर है. यूं तो दोनों के बीच अक्सर हथियारों की डील खबरों में रहती है लेकिन हाल ही में कुछ ऐसा हुआ है जो हथियारों की डील से भी ज्यादा खास है. दरअसल केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने पिछले हफ्ते इजरायल के कृषि और खाद्य सुरक्षा मंत्री एवी डिख्टर से मुलाकात की थी. इस मुलाकात का असली मकसद ही कृषि क्षेत्र में सहयोग को और मजबूत करना था. इस दौरान दोनों देशों ने प्रिसिजन फार्मिंग, ड्रिप इरिगेशन, रेगिस्तान में कृषि और सस्टेनेबल कृषि परंपराओं के क्षेत्र में इजरायल की खूबियों का कैसे फायदा उठा सकते हैं, इस पर खासतौर से चर्चा की.
वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने एक्स पर मीटिंग के बारे में विस्तार से जानकारी दी और लिखा, 'इजरायल के कृषि और खाद्य सुरक्षा मंत्री एवी डिख्टर से मिलकर खुशी हुई. प्रिसिजन फार्मिंग, ड्रिप इरिगेशन, रेगिस्तानी कृषि और सस्टेनेबल कृषि परंपराओं में इजरायल की विशेषज्ञता का प्रयोग करते हुए हमने कृषि क्षेत्र में हमारे मजबूत सहयोग को और आगे बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा की.' इजरायल, भारत का एक ऐसा साथी रहा है जिसने कृषि सहयोग पिछले दो दशकों में काफी मजबूत किया है.
इजरायल अपनी एडवांस्ड कृषि तकनीकों, पानी की बचत वाली सिंचाई प्रणालियों और रेगिस्तानी इलाकों में खेती की कुशलता के लिए दुनिया भर में जाना जाता है. यही अनुभव भारत की कृषि परिवर्तन यात्रा में एक बड़ी ताकत साबित हुआ है. इजरायल ने भारत की सबसे ज्यादा मदद ड्रिप इरिगेशन और माइक्रो इरिगेशन सिस्टम के माध्यम से की है. इन तकनीकों से किसान कम पानी में अधिक उत्पादन पा रहे हैं, खासकर उन राज्यों में जहां पानी की कमी रहती है. गुजरात, राजस्थान, हरियाणा और कर्नाटक जैसे राज्यों में इजरायली मॉडल से लाखों किसानों की सिंचाई लागत घटी है और उत्पादन बढ़ा है.
इजरायल का दूसरा बड़ा योगदान है सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (COE) की स्थापना. भारत में अब तक 30 से ज्यादा इजरायल की मदद से COE की स्थापना हो चुकी है. यहां किसानों को उन्नत बीज, आधुनिक ग्रीनहाउस तकनीक, हाई-टेक नर्सरी, फल और सब्जियों की गुणवत्ता सुधारने की ट्रेनिंग मिलती है. इन केंद्रों से टमाटर, खीरा, अनार, खट्टे फल और फूलों की खेती में भारी बदलाव आया है. इसके अलावा इज़रायल की प्रिसिजन फार्मिंग तकनीक, सेंसर आधारित खेती, जल प्रबंधन, मिट्टी की गुणवत्ता सुधार और क्लाइमेट-स्मार्ट कृषि जैसे क्षेत्रों में भी भारत को मॉर्डन सॉल्यूशंस मिले हैं.
रेगिस्तान में कृषि में इजरायल की विशेषज्ञता ने राजस्थान और सूखे प्रभावित क्षेत्रों में नए प्रयोगों को बढ़ावा दिया है. इससे किसान कम पानी में भी सफल खेती कर पा रहे हैं. कुल मिलाकर, इजरायल ने भारत की कृषि को अधिक कुशल, टिकाऊ और तकनीक आधारित बनाने में अहम योगदान दिया है. दोनों देशों के बीच बढ़ता सहयोग भविष्य में और भी बड़े बदलाव का मार्ग तैयार करेगा.
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