महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले के कुछ गावों के लोगों के बाल झड़ने की वजह उनके खाने में इस्तेमाल होने वाला गेहूं है. यह चौंकाने वाला दावा पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित और मशहूर फिजिशियन डॉ. हिम्मतराव बावस्कर ने किया है. पिछले एक महीने से डॉ. बावस्कर ने रिसर्च कर यह दावा किया है. डॉ. हिम्मतराव बावस्कर जो कि कोंकण के महाड में रहते हैं, उनका बिच्छू के दंश का इलाज ढूंढने पर नाम पूरे विश्व में नाम हुआ था. अब उन्होंने गंजेपन को लेकर बड़ा दावा किया है. उन्होंने इसके लिए पंजाब से आए गेहूं को जिम्मेदार ठहराया है.
बुलढाणा जिले के कुछ गांवों के लोगों के बाल झड़ने की खबर के बाद डॉ. हिम्मतराव बावस्कर ने उसपर काम शुरू किया और एक महीने बाद इसकी वजह पीडीएस (पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम) के तहत लोगों के दिए जाने वाले गेहूं को बताया. डॉ. हिम्मतराव बावस्कर की मानें तो इस इलाके के लोग जो गेहूं खा रहे हैं, उसमे सेलेनियम की ज्यादा मात्रा पाई गई. इसी के साथ जिंक की मात्रा भी बहुत कम पाई गई.
बुलढाणा जिले के 15 गावों के 300 से ज्यादा लोगों के बाल अचानक से झड़ गए थे. इसके बाद प्रशासन हरकत में आया था. प्रशासन ने इस इलाके के पानी के सैंपल लेकर जांच शुरू कर दी थी. इतना ही नहीं, आईसीएमआर के वैज्ञानिकों ने भी इस इलाके से पानी और मिट्टी के सैंपल जांच के लिए जमा किए हुए थे.
डॉ. हिम्मतराव बावस्कर ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि उन्होंने भोनगांव के सरपंच के घर से गेहूं के सैंपल लिए थे. उनके भी बाल बाकी लोगों की तरह झड़ गए थे. उन्होंने कहा, हमने गेहूं में से सेलेनियम की जांच की. इसमें मेटॅलॉईड एक धातु है. इसका मतलब है कि उसमें धातु और गैर धातु दोनों के तत्व मौजूद हैं. और इसे मुख्य रूप से विभिन्न शारीरिक कार्यों के लिए खनिज के रूप मे भी वर्गीकृत किया है. इसीलिए इसका ज्यादा सेवन करना या फिर बहुत कम सेवन करना, दोनों शरीर के लिए ठीक नहीं है.
आईसीएमआर ने भी इस पूरे इलाके में जो स्टडी किया है, उसमें भी जिनके बाल झड़ गए हैं, उनके खून में सेलेनियम की मात्रा ज्यादा पाई जाने की पुष्टि की है. आईसीएमआर ने अपनी जांच रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंपी है. लेकिन उसमें क्या डिटेल्स हैं, यह अभी तक सामने नहीं आया है.
दूसरी ओर डॉ. बावस्कर ने गेहूं के जो सैंपल लिए थे, वह ठाणे की वर्नी एनालिटिक लैब को भेजे थे. उनमें सेलेनियम की मात्र 14.52mg/kg पाई गई जो कि सामान्य तौर पर 1.9mg/kg होनी चाहिए. यह सभी गेहूं की खेप पंजाब से आई थी. यह जानकारी भी डॉ. बावस्कर ने दी है.(अभिजीत करांदे की रिपोर्ट)
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