MSP से 15% धान किसानों और 9.6% गेहूं किसानों को ही मिल रहा लाभ, रिपोर्ट में बड़ा खुलासा

MSP से 15% धान किसानों और 9.6% गेहूं किसानों को ही मिल रहा लाभ, रिपोर्ट में बड़ा खुलासा

आईसीएआर के राष्ट्रीय कृषि अर्थशास्त्र एवं नीति अनुसंधान संस्थान (एनआईएपी) द्वारा प्रकाशित शोध पत्र के अनुसार, धान के किसान केवल अपने बेचने योग्य उपज का 24% और गेहूं के किसान 21% ही एमएसपी पर बेच पाते हैं. सबसे चिंताजनक बात यह है कि एमएसपी आधारित खरीद प्रणाली का बड़ा लाभ बड़े किसानों को मिलता है, जिनके पास बेचने के लिए उपज अधिक होती है. 

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MSP से 15% धान किसानों और 9.6% गेहूं किसानों को ही मिल रहा लाभ, रिपोर्ट में बड़ा खुलासाकिन किसानों को मिल रहा MSP का लाभ

केंद्र सरकार और किसानों का एक वर्ग कानूनी रूप से गारंटीकृत न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) सहित अन्य मांगों पर चर्चा के लिए आगामी दिनों में एक और मीटिंग करने जा रहा है. यह चर्चा उस समय हो रही है, जब एक सरकारी संस्थान द्वारा हाल ही में जारी किए गए एक रिसर्च पेपर में एमएसपी व्यवस्था पर सवाल उठाए गए हैं.

MSP से कितने किसानों को मिला लाभ

भारतीय कृषि में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का महत्व बेहद अधिक है, क्योंकि यह किसानों को मूल्य जोखिम से बचाता है और उन्हें अपने उत्पादों के लिए एक निश्चित मूल्य सुनिश्चित करता है. हालांकि, हाल ही में प्रकाशित शोध पत्र के अनुसार, एमएसपी से सिर्फ 15% धान किसानों और 9.6% गेहूं किसानों को ही लाभ मिल पा रहा है. 

एमएसपी का सीमित लाभ

आईसीएआर के राष्ट्रीय कृषि अर्थशास्त्र एवं नीति अनुसंधान संस्थान (एनआईएपी) द्वारा प्रकाशित इस शोध पत्र के अनुसार, धान के किसान केवल अपने बेचने योग्य उपज का 24% और गेहूं के किसान 21% ही एमएसपी पर बेच पाते हैं. सबसे चिंताजनक बात यह है कि एमएसपी आधारित खरीद प्रणाली का बड़ा लाभ बड़े किसानों को मिलता है, जिनके पास बेचने से अधिक उपज होती है. 

शोध पत्र में बताया गया है कि धान और गेहूं बेचने वाले 31.3% और 23.5% बड़े किसान अपनी बिकने लायक उपज का 37.8% और 29.8% एमएसपी पर बेचते हैं. वहीं, केवल 10.5% और 4.5% सीमांत किसान एमएसपी प्रणाली का हिस्सा बनते हैं, जो कि बहुत कम संख्या है.

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छोटे किसानों के लिए एमएसपी का लाभ

शोध में यह भी स्पष्ट किया गया है कि छोटे और सीमांत किसान, जो भारतीय कृषि का बड़ा हिस्सा हैं, मौजूदा एमएसपी प्रणाली से अपेक्षित लाभ नहीं उठा पा रहे हैं. इसके कारण छोटे किसानों के लिए एमएसपी प्रणाली के तहत अपने उत्पादों को बेचने का अवसर कम हो रहा है, जबकि बड़े किसानों को इस प्रणाली का पूरा लाभ मिल रहा है.

एमएसपी और पैदावार में वृद्धि

इसके बावजूद, शोध पत्र में यह भी स्वीकार किया गया है कि एमएसपी किसानों को अधिक उत्पादन के लिए प्रोत्साहित करता है और उन्हें उन्नत कृषि प्रौद्योगिकियों को अपनाने के लिए प्रेरित करता है. इसके परिणामस्वरूप, फसल की पैदावार में वृद्धि होती है. उदाहरण के लिए, धान की उपज में 13.5% और गेहूं की उपज में 5% तक की वृद्धि देखी जा सकती है, जब किसान एमएसपी के तहत अपने उत्पाद बेचते हैं.

इसके अतिरिक्त, एमएसपी आधारित खरीद प्रणाली किसानों को बाजार की अनिश्चितता और मूल्य जोखिम से बचाती है. खुले बाजारों में धान की कीमतें एमएसपी से 13.2% और गेहूं की कीमतें 3.5% कम होती हैं, जिससे किसानों को बेहतर लाभ मिलता है.

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एमएसपी सुधार की जरूरत

शोध पत्र में इस समस्या का समाधान करने के लिए कुछ सुधार के उपायों का सुझाव भी दिया गया है. इसमें भुगतान योजना को बढ़ाने और छोटे किसानों से खरीद को लक्षित करने जैसे कदम शामिल हैं, जो किसानों के बीच एमएसपी से होने वाले लाभ के असमान वितरण को कम कर सकते हैं.

एमएसपी प्रणाली का उद्देश्य किसानों को एक सुरक्षित और स्थिर आय सुनिश्चित करना है, लेकिन वर्तमान में इसका लाभ केवल बड़े किसानों तक सीमित रह गया है. इसके बावजूद, यह प्रणाली किसानों को मूल्य जोखिम से बचाती है और उनकी पैदावार को बढ़ावा देती है. भविष्य में, यदि एमएसपी प्रणाली में सुधार किए जाएं और छोटे किसानों को इस प्रणाली का अधिक लाभ मिल सके, तो यह भारतीय कृषि को और अधिक समृद्ध बना सकता है. 

केंद्र सरकार और किसानों के बीच होने वाली मीटिंग का परिणाम इस दिशा में महत्वपूर्ण बदलाव ला सकता है, जिससे कृषि क्षेत्र में अधिक समानता और विकास हो सके.

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