लोकसभा चुनाव के बीच बीते दिनों केंद्र सरकार ने प्याज एक्सपोर्ट से बैन हटाया था. प्याज एक्सपोर्ट से बैन हटाने का ये फैसला तब लिया गया था, जब प्याज को लेकर राजनीतिक संग्राम छिड़ा हुआ था, मसलन, एक्सपोर्ट बैन से प्याज किसानों काे नुकसान उठाना पड़ रहा था. आलम ये था कि किसानों को लागत से कम दाम में प्याज बेचने के लिए मजबूर होना पड़ रहा था.
हालांकि इस बीच केंद्र सरकार की तरफ से बांग्लादेश समेत कई देशों को कुल 90 लाख टन से अधिक प्याज सशर्त एक्सपोर्ट करने की मंजूरी दी गई, लेकिन सफेद प्याज एक्सपोर्ट को मंंजूरी के बाद प्याज एक्सपोर्ट की ये पूरी लड़ाई गुजरात बनाम महाराष्ट्र की हो गई. जिसके बाद 3 मई को केंद्र सरकार ने प्याज एक्सपोर्ट को मंजूरी दे दी है, लेकिन प्याज एक्सपोर्ट शुरू होने के बाद भी प्याज के दामों में बढ़ोतरी नहीं हो रही है.
मसलन, किसानों का कहना है कि इस फैसले के बाद वह पहले से भी कम कीमत पर प्याज बेचने को मजबूर हैं. आइए इसी कड़ी में इस पर पूरी पड़ताल करते हैं.
प्याज एक्सपोर्ट शुरू होने के बाद भी प्याज के दामों में बढ़ोतरी नहीं हुई है. इस पर पूरी बात करने से पहले ये जानने की कोशिश करते हैं कि आखिर प्याज किसानों के आंसू क्यों निकाल रहा है. असल में बीते दो सालों से प्याज के दामों में गिरावट का दाैर जारी है. मसलन, किसानों ने इन दो सालों में 1 रुपये किलो तक भी प्याज बेचा है. क्योंकि प्याज एक खराब होने वाला आयटम है, किसान इसे लंबे समय तक स्टॉक नहीं कर सकते हैं. इस वजह से किसानों को नुकसान में भी प्याज बेचने के लिए मजबूर होना पड़ा है.
वहीं, जब भी दामों में थोड़ी तेज आई, जिसमें बीते साल अगस्त का महीना शामिल था, तो दाम नियंत्रण के नाम पर लिए गए 40 फीसदी ड्यूटी के साथ एक्सपोर्ट जैसे फैसलों ने प्याज के दामों में फिर से गिरावट कर दी है. इसके बाद 8 दिसंबर को सरकार ने प्याज एक्सपोर्ट पर पूरी तरह से बैन लगा दिया, इससे प्याज किसानों की परेशानियां और बढ़ गई. प्याज किसानों का कहना है कि प्याज पर उनकी लागत प्रति किलो 20 से 25 रुपये किलो तक है, लेकिन उन्हें आधा दाम नहीं मिल पा रहे है.
एक्सपोर्ट शुरू होने के बाद का प्याज के दामों में क्या बदलाव हुआ है. इसकी जानकारी नासिक के प्याज व्यापारी और एक्सपोर्टर मनोज जैन देते हुए कहते हैं कि प्याज एक्सपोर्ट के फैसले के बाद शनिवार 5 मई को प्याज का भाव 2000 से 2500 क्विंटल तक था, जिसमें पहले की तुलना में प्रति क्विंटल 500 से 700 रुपये की बढ़ोतरी दर्ज की गई थी. रविवार को मंडी बंंद होने की वजह से कारोबार नहीं हुआ है.
वहीं सोमवार और मंगलवार को बाजार में असमंजस का असर दिखा. वह कहते हैं कि प्याज पर 40 फीसदी एक्सपोर्ट ड्यूटी लगाए जाने को लेकर कोई ऑर्डर जारी नहीं किया गया था. इस वजह से बाजार में असमंजस था और इस वजह से सोमवार और मंंगलवार को प्याज के भाव बाजार में नीचे आए और 2000 से 2200 रुपये क्विंटल में कारोबार हुआ.
बुधवार को 40 फीसदी इंपोर्ट ड्यूटी क्लियर होने के बाद मंडी में 1800 से 2000 रुपये क्विंटल पर प्याज का करोबार हुआ, जिसके बाद गुरुवार को 1500 से 2000 रुपये क्विंटल तक प्याज का कारोबार हुआ. वहीं इसको लेकर नासिक के प्याज किसान गिरीश कहते हैं कि एक्सपोर्ट शुरू होने के फैसले के बाद दाम में बढ़ोतरी हुई थी, लेकिन अभी 1200 रुपये क्विंटल पर प्याज बेचा जा रहा है, जो एक्सपोर्ट शुरू होने से पहले वाले दाम से भी कम है.
एक्सपोर्ट शुरू होने के बाद भी प्याज के दाम क्यों नहीं बढ़ रहे हैं, इसकी जानकारी देते हुए प्याज कारोबारी और एक्सपोर्टर मनोज जैन कहते हैं कि 550 डॉलर मीट्रिक टन का भाव और 40 फीसदी एक्सपोर्ट ड्यूटी की वजह से प्याज के दाम नहीं बढ़ रहे हैं. वह बताते हैं कि इस वजह से एक्सपोर्ट खुलने के बाद जो प्याज के कंटेनर एक्सपोर्ट होने के लिए गए थे,वह अभी पोर्ट में ही खड़े हैं. क्योंकि महंगा प्याज एक्सपोर्ट करना संभव नहीं है. इसकी वजह ये है कि 550 डॉलर मीट्रिक टन और 40 फीसदी एक्सपोर्ट ड्यूटी के बाद प्याज के दाम अधिक हो जा रहे हैं, जबकि इसकी तुलना में पाकिस्तान, चीन, म्यामांर का प्याज इंटरनेशनल बाजार में उपलब्ध है.
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