पराली को लेकर क्षेत्रीय प्रशासन से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक की सख्त टिप्पणी देखी गई है. किसानों को लगातार पराली ना जलाने की अपील की जा रही है. पराली जलाते हुए पकड़े जाने पर किसानों जुर्माना और गिरफ्तारी तक का सामना करना पड़ सकता है. 2024 के गज़ट ऑफ इंडिया के अनुसार जुर्माने की राशि भी बढ़ाई गई है. दो एकड़ तक के क्षेत्र में 5,000 रुपये, पांच एकड़ तक के लिए 10,000 रुपये और पांच से अधिक एकड़ के लिए 30,000 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा. साथ ही FIR दर्ज और किसान डेटाबेस में रेड एंट्री की जाएगी. इस सख्ती के बाद किसानों को पराली के निपटान के लिए सही और आसान विकल्प की तलाश है. आइए जान लेते हैं कि पराली का जलाने की बजाय और किस तरीके से प्रबंधन किया जा सकता है.
आपको बता दें कि धान या गेहूं की कटाई के बाद जो अवशेष बचता है उसे पराली कहा जाता है. मानते हैं कि दिल्ली सहित अन्य इलाकों में प्रदूषण का जिम्मेदार हरियाणा, पंजाब और पश्चिमी यूपी के किसानों द्वारा जलाई गई पराली है. इसलिए पराली ना जलाने की अपील और सजा की बात कही जाती है. हम आपको पराली प्रबंधन के आसान उपायों के बारे में बता देते हैं.
कई ऐसी कृषि मशीनें हैं जो पराली प्रबंधन में मददगार है. हैप्पी सीडर मशीन है जो पराली को बिना हटाए ही अगली फसल की बुवाई कर देती है. इसके अलावा सुपर स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम भी है जो पराली को छोटे-छोटे टुकड़ों में काट देते हैं और खेतों में फैला देते हैं जिससे वे सड़कर खाद में बदल जाते हैं.
पराली को जलाने की बजाय उसका जैविक उपयोग भी किया जा सकता है. आपको बता दें कि पराली को गोबर और जीवाणुओं से मिलाकर ऑर्गेनिक खाद के रूप में बदला जा सकता है. एक और तरीका बायो-डीकंपोजर होता है. इसे खेतों में छिड़काव करने के फसलों का अवशेष गल जाता है. बायो गैस प्लांट में भी पराली को खाद और गैस दोनों रूप में बदला जा सकता है.
पराली को जलाने के अलावा पशुओं को चारागार के रूप में दिया जा सकता है. सूखा चारा खिलाने वाले पशुओं को आप पराली दे सकते हैं. इसके अलावा मिट्टी के बर्तन या ईंट को पकाते हुए भट्ठों में इस्तेमाल किया जा सकता है. ये कुछ तरीके हैं जो जलाने की बजाय बेहतर विकल्प हो सकते हैं. इस तरह से पराली का प्रबंधन भी होगा और आप कानूनी पचड़ों में पड़ सकते हैं.
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