लगभग हर साल एशिया के कुछ हिस्सों, मुख्य रूप से बांग्लादेश और भारत में निपाह वायरस (Nipah Virus) का प्रकोप देखने को मिलता है. इस बार भी कुछ ऐसा ही हुआ है. दरअसल, केरल के कोझिकोड जिले में निपाह वायरस के कारण दो लोगों की मौत हो गई है जिसके बाद राज्य सरकार ने अलर्ट जारी किया है. वहीं मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने लोगों से नहीं घबराने और एहतियात बरतने का अनुरोध किया है. उन्होंने कहा, “सभी को स्वास्थ्य विभाग और पुलिस के निर्देशों का सख्ती से पालन करना चाहिए और प्रतिबंधों में पूरा सहयोग करना चाहिए.” इस वायरस का पहला प्रकोप 1998 में मलेशिया और सिंगापुर में देखने को मिला था. तब यह सूअरों के माध्यम से इंसानों में फैला था. वहीं, निपाह नाम मलेशिया के उस गांव से आया है, जहां सबसे पहले किसी इंसान के शरीर में इस वायरस को पाया गया था और उसकी पहचान की गई थी.
ऐसे में आइए आज विस्तार से जानते हैं आखिर निपाह वायरस क्या है? निपाह वायरस के लक्षण क्या-क्या हैं? निपाह वायरस होने के कारण क्या हैं? और निपाह वायरस से बचाव के उपाय क्या हैं?
निपाह वायरस एक जूनोटिक वायरस (जानवरों से इंसान में फैलने वाला वायरस) है जो जानवरों से इंसानों के बीच फैलता है. यह मुख्य रूप से चमगादड़ों के माध्यम से फैलता है. वहीं चमगादड़ों के माध्यम से यह सूअर, घोड़े, बकरी, भेड़, कुत्ते और बिल्लियों जैसे अन्य जानवरों के माध्यम से भी फैल सकता है. दरअसल, ये वायरस हवा के जरिए तो नहीं फैलता है, लेकिन अगर किसी जानवर को यह बीमारी हुई है और उसने कोई फल या कोई खाने की चीज खा ली है. फिर उस इंफेक्टेड फल को इंसान या जानवर खाते हैं तो यह वायरस फैलने लगता है. वहीं एक बार जब किसी जानवर से किसी व्यक्ति के शरीर में वायरस चला जाए, तो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को होना संभव है.
निपाह वायरस कई कारणों से लोगों में फैल सकता है, जैसे-
• संक्रमित जानवरों, जैसे- चमगादड़ या सूअर के तरल पदार्थ जैसे खून, पेशाब या लार के सीधे संपर्क में आने से.
• ऐसे खाद्य उत्पादों का सेवन करना जो संक्रमित जानवरों के शरीर के तरल पदार्थ से दूषित हो गए हों.
• संक्रमित लोगों से.
• निपाह वायरस से पीड़ित व्यक्ति के देखरेख करने वालों में भी ये वायरस फैल सकता है.
कई ऐसे वायरस हैं जिनके लक्षण निपाह वायरस के शुरुआती लक्षण से मिलते हैं. ऐसे में डॉक्टर शायद ही पहली बार में निपाह वायरस का इलाज करते हैं. लेकिन यदि आप में निपाह वायरस के अधिक लक्षण दिख रहे हैं या फिर आप ऐसे क्षेत्र में रहते हैं जहां पर इंसानों में निपाह वायरस का होना आमबात है, तो आपका डॉक्टर निम्नलिखित परीक्षणों के माध्यम से इसका इलाज कर सकता है:-
आरटी-पीसीआर(RT-PCR): यह टेस्ट शुरुआती दौर में निपाह वायरस का पता लगाने के लिए गले या नाक के स्वाब,
सेरेब्रोस्पाइनल तरल (Cerebrospinal fluid/CSF) पदार्थ, पेशाब और रक्त का उपयोग करके किया जाता है.
एंजाइम-लिंक्ड इम्युनोसॉरबेंट परख (ELISA): डॉक्टर इस टेस्ट का उपयोग एंटीबॉडीज़ देखने के लिए करते हैं.
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बुधवार को राज्य सरकार ने विधानसभा में कहा कि राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (एनआईवी), पुणे की टीमें निपाह की जांच करने और चमगादड़ों का सर्वे करने के लिए कोझिकोड मेडिकल कॉलेज में एक मोबाइल लैब स्थापित करने के लिए केरल पहुंचेंगी. यह कदम राज्य के कोझिकोड जिले में चार लोगों में निपाह वायरस के इन्फेक्शन की पुष्टि होने के बाद उठाया गया है. विधानसभा में निपाह वायरस के संबंध में एक प्रश्न का जवाब देते हुए, राज्य की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने कहा कि केरल में देखा गया वायरस का प्रकार बांग्लादेश वेरिएंट है जो मानव से मानव में फैलता है और इसकी मृत्यु दर अधिक है, हालांकि यह कम संक्रामक है.
केरल के कोझिकोड जिले में सात ग्राम पंचायतों- अतांचेरी, मारुथोंकारा, तिरुवल्लुर, कुट्टियाडी, कयाक्कोडी, विल्यापल्ली और कविलुम्परा को कंटेनमेंट जोन घोषित किया गया है. यानी इन क्षेत्रों में निपाह वायरस होने की आशंका है. मंगलवार को कोझिकोड जिले में निपाह वायरस के इन्फेक्शन की पुष्टि होने के तुरंत बाद, मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने लोगों से नहीं घबराने और एहतियात बरतने का अनुरोध किया था. उन्होंने कहा था, “सभी को स्वास्थ्य विभाग और पुलिस के निर्देशों का सख्ती से पालन करना चाहिए और प्रतिबंधों में पूरा सहयोग करना चाहिए.”
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• बुखार
• सिरदर्द
• सांस लेने में कठिनाई
• उल्टी
• कफ बनना
• मांसपेशियों में दर्द
• गले में खराश
• चक्कर आना
• ब्रेन में सूजन
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