देश की राजधानी दिल्ली-एनसीआर समेत पूरे देश के उपभोक्ताओं को महंगाई की एक और तगड़ी मार पड़ी है. मदर डेयरी, जो देश के प्रमुख दूध आपूर्तिकर्ताओं में से एक है, ने अपने दूध की कीमतों में 2 रुपये प्रति लीटर तक की बढ़ोतरी का ऐलान कर दिया है. यह मूल्यवृद्धि तत्काल प्रभाव से देश के सभी राज्यों में लागू हो गई है, जिससे करोड़ों घरों के बजट पर सीधा और बूरा असर पड़ेगा. साथ ही लोगों के पोषण पर भी इसका प्रभाव पड़ना लाजमी है. मदर डेयरी ने इस मूल्यवृद्धि के पीछे मुख्य कारण किसानों से खरीदे जाने वाले कच्चे दूध की लागत में आई भारी बढ़ोतरी को बताया है. कंपनी के अनुसार, पिछले कुछ हफ्तों में दूध उत्पादन की लागत प्रति लीटर ₹4 से ₹5 तक बढ़ गई है. इस अप्रत्याशित वृद्धि का सबसे बड़ा कारण इस साल गर्मी का समय से पहले दस्तक देना और देश के कई राज्यों में पड़ रही भीषण गर्मी (हीटवेव) है.
अत्यधिक गर्मी के कारण दुधारू पशुओं का दूध उत्पादन काफी घट गया है, जिससे बाजार में दूध की आपूर्ति प्रभावित हुई है. कंपनी ने यह भी स्पष्ट किया है कि वह उपभोक्ताओं पर लागत का पूरा बोझ नहीं डाल रही है. लागत में ₹4-₹5 प्रति लीटर की वृद्धि के बावजूद, ग्राहकों से केवल ₹2 प्रति लीटर अतिरिक्त वसूला जा रहा है. यह कदम कंपनी ने उपभोक्ताओं को महंगाई के झटके से कुछ हद तक बचाने के उद्देश्य से उठाया है.
मदर डेयरी ने अपने विभिन्न प्रकार के दूध की कीमतों में बदलाव किया है. बढ़ी हुई कीमतें इस प्रकार हैं:
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आंकड़ों के अनुसार, मदर डेयरी अकेले दिल्ली-एनसीआर में प्रतिदिन लगभग 35 लाख लीटर दूध की बिक्री करती है. इस लिहाज से यह मामूली सी दिखने वाली कीमत वृद्धि भी लाखों परिवारों की मासिक बजट योजना को बुरी तरह प्रभावित करेगी.
मदर डेयरी का कहना है कि कंपनी हमेशा से इस बात का प्रयास करती रही है कि किसानों को उनके दूध का उचित मूल्य मिले और उपभोक्ताओं को उच्च गुणवत्ता वाला दूध लगातार उपलब्ध होता रहे. कंपनी के अनुसार, यह मूल्यवृद्धि का निर्णय काफी सोच-विचार के बाद लिया गया है ताकि दूध की सप्लाई चेन में किसी भी प्रकार की बाधा न आए.
अपने आधिकारिक बयान में कंपनी ने कहा, "हम उपभोक्ताओं पर केवल आंशिक बोझ डाल रहे हैं ताकि दूध उत्पादक किसानों को उनकी उपज का सही दाम मिल सके और उपभोक्ताओं को गुणवत्तापूर्ण सेवा मिलती रहे." कंपनी का यह बयान किसानों और उपभोक्ताओं दोनों के हितों को साधने की उनकी मंशा को दर्शाता है.
दूध की कीमतों में यह वृद्धि सीधे तौर पर आम आदमी की जेब पर भारी पड़ेगी. खासकर निम्न और मध्यम वर्ग के परिवारों के लिए यह बदलाव एक बड़ी चिंता का कारण है. भारत में दूध को दैनिक पोषण का एक अहम स्रोत माना जाता है. बच्चों, बुजुर्गों और बीमार व्यक्तियों के लिए दूध का सेवन लगभग अनिवार्य है. ऐसे में कीमतों में बढ़ोतरी होने से कई परिवार अपनी दूध की खपत में कटौती करने के लिए मजबूर हो सकते हैं, जिसका सीधा असर उनके स्वास्थ्य पर पड़ेगा.
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इतना ही नहीं, दूध की कीमतों में वृद्धि से दूध से बनने वाले अन्य उत्पादों जैसे दही, पनीर, मक्खन, घी और मिठाई आदि की कीमतें भी बढ़ सकती हैं. यदि ऐसा होता है, तो महंगाई का यह चक्र और भी गहरा जाएगा, जिससे आम आदमी के लिए जीवन यापन करना और मुश्किल हो जाएगा.
मदर डेयरी द्वारा की गई यह कीमत वृद्धि एक बार फिर इस अहम सवाल को सामने लाती है कि जलवायु परिवर्तन और उत्पादन लागत में लगातार हो रही वृद्धि के इस दौर में सरकार और उद्योगों को मिलकर एक स्थायी समाधान खोजने की जरूरत है. जब तक पशुपालन और दूध उत्पादन की प्रणाली को जलवायु परिवर्तन के प्रति संवेदनशील और टिकाऊ नहीं बनाया जाएगा, तब तक उपभोक्ताओं को इस तरह की अप्रत्याशित मूल्यवृद्धियों का सामना करते रहना पड़ेगा. सरकार को किसानों को जलवायु अनुकूल पशुपालन तकनीकों को अपनाने में मदद करनी होगी और दूध उत्पादन की लागत को कम करने के लिए प्रभावी नीतियां बनानी होंगी ताकि आम आदमी की रसोई का बजट बिगड़ने से बचाया जा सके और सभी को पोषण सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके.
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