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Farmer Protest: 5 फसलों पर MSP 'गारंटी' क्‍या है? आंदोलित किसान क्‍यों इस समझौते से खुश नहीं

Farmer Protest: 5 फसलों पर MSP 'गारंटी' क्‍या है? आंदोलित किसान क्‍यों इस समझौते से खुश नहीं

केंद्र सरकार ने MSP गारंटी कानून के इतर 5 फसलों की MSP पर खरीद की 'गारंटी' दी है. माना जा रहा था कि केंद्र सरकार के इस समझौते वाली गांरटी से मौजूदा समय में खड़ा और बड़ा हो रहे इस किसान आंदोलन की दिशा बदल जाएगी लेकिन किसानों ने सरकार के प्रस्‍ताव को खारिज करते हुए आंदोलन तेज करने की घोषणा की है.

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किसान आंदोलन की दिशा बदलेगी क्‍या किसान आंदोलन की दिशा बदलेगी क्‍या

MSP गारंटी कानून, स्‍वामीनाथ आयोग की सिफारिशों के मुताबिक फसलों का MSP C2+50 % फामूर्ले से तय करने समेत कुल 12 मांगों को लेकर किसान आंदोलन कर रहे हैं.संयुक्‍त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के बैनर तले चले रहा ये आंदोलन 13 फरवरी से शुरू हुआ है, जिसके तहत तब से लेकर अब तक किसान दिल्‍ली चलो की कॉल पंजाब-हरियाणा के बॉर्डर पर डटे हुए हैं.

किसान अपनी मांगों को मनवाने के लिए दिल्‍ली में आंदोलन करना चाहते हैं तो वहीं हरियाणा सरकार आंदोलित किसानों को रोकने के लिए हरसंभव कोशिश कर रही है, जिसके तहत शंभू, खनौरी जैसे बॉर्डर छावनी बने हुुए हैं और हरियाणा सरकार ने नेशनल हाइवे में कंटीले तार और बेरिकेड्स लगा दिए हैं. इसके साथ ही पंजाब और हरियाणा बॉर्डर पर भारी संख्‍या में पुलिस के साथ ही अर्धसैनिक बलों की तैनाती भी की गई है.

दिल्‍ली चलो कॉल के तहत सड़कों पर किसान आंदोलन की इस शुरुआत के साथ ही बातचीत के टेबल पर भी मुद्दों को सुलझाने की कोशिश की जा रही है, जिसके तहत अभी तक केंद्र सरकार और किसान संंगठनों के बीच कुल 4 बैठक हो चुकी हैं, जिसमें रविवार को किसान संगठनों और सरकार के बीच हुई चौथे राउंड की बैठक को बेहद ही माना जा रहा है.

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इस बैठक में केंद्र सरकार ने MSP गारंटी कानून के इतर 5 फसलों की MSP पर खरीद की 'गारंटी' दी है. माना जा रहा था कि केंद्र सरकार के इस समझौते वाली गांरटी से मौजूदा समय में खड़ा और बड़ा हो रहे इस किसान आंदोलन की दिशा बदल जाएगी लेकिन किसानों ने सरकार के प्रस्‍ताव को खारिज करते हुए आंदोलन तेज करने की घोषणा की है. आइए समझते हैं कि 5 फसलों की MSP पर खरीद की 'गारंटी' क्‍या है. अगर ये लागू होती है तो खेती और किसानों को कितना नफा और नुकसान होगा. साथ ही जानते हैं कि ये मौजूदा व्‍यवस्‍था से कैसे अलग है और क्‍यों इस 'गारंटी' वाले समझौते को किसान आंदोलन की दिशा बदलने वाला बताया जा रहा है. 

सबसे पहले बात मौजूदा MSP व्‍यवस्‍था की

किसान आंदोलन की मुख्‍य मांग MSP गारंटी कानून और केंद्र सरकार की तरफ से 5 फसलों की MSP पर खरीद की गांरटी के प्रस्‍ताव की इस पूरी कहानी को समझने से पहले फसर खरीद की मौजूदा MSP व्‍यवस्‍था को समझना होगा. असल में केंद्र सरकार ने 23 फसलों की खरीद के लिए MSP तय किया हुआ है. प्रत्‍येक साल CACP की सिफारिशों के अनुरूप केंद्र सरकार MSP का ऐलान करती है और राज्‍य सरकार बतौर नोडल एजेंसी नोटिफाईड फसलों की खरीद करती है, लेकिन इस व्‍यवस्‍था में कई समस्‍याएं हैं.

असल में पंजाब, हरियाणा जैसे कई राज्‍यों में मंडी सिस्‍टम प्रभावी हैं, जहां MSP पर FCI पीडीएस यानी सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लिए गेहूं और चावल की खरीद करती हैं, लेकिन बिहार जैसे कई राज्‍यों में मंडी सिस्‍टम की जगह पैक्‍स प्रभावी हैं, इस वजह से वहां से गेहूं और चावल की खरीद MSP पर ठीक से नहीं हो पाती है. वहीं दलहनी, तिलहनी फसलों की MSP पर खरीद कुछ राज्‍य करते हैं, लेकिन, MSP पर खरीद की एक सीमा निर्धारित की गई है.

उदाहरण के लिए सरसों की 25 फीसदी ही खरीद MSP पर की जाती है, जो भी कई राज्‍यों में बेहद ही धीमी रहती है. ऐसे में किसानों को बाकी फसलें अधिकांश समय में खुले बाजार में MSP से नीचे बेचनी पड़ती है. कहा जाए तो MSP पर दालों की खरीद की व्‍यवस्‍था सबसे खराब है.

किसान इसलिए मांग रहे MSP गारंटी  

MSP पर फसलों की सुस्‍त और उलझी हुई व्‍यवस्‍था से परेशान किसान MSP गारंटी की मांग कर रहे हैं. बेशक सरकार 22 फसलों की MSP तय करती है, लेकिन इन फसलों की MSP पर खरीद की कोई ठोस व्‍यवस्‍था नहीं है. इसी बात को आधार बना कर किसान MSP गारंटी कानून की मांग कर रहे हैं. किसान संगठनों का कहना है कि सरकार अगर गांरटी कानून बना देगी, तो इसे खुले बाजार में फसलों की MSP से नीचे खरीद नहीं हाेगी और किसानों को फसलों के निश्‍चित दाम मिल सकेंगे. 

5 फसलों की MSP पर खरीद की 'गारंटी' का प्रस्‍ताव क्‍या है 

केंद्र सरकार और आंदोलित किसानों के बीच अब तक 4 राउंड की बातचीत हो चुकी है. रविवार को हुई चौथे राउंड की बातचीत में केंद्र सरकार के तीन मंंत्रियों के प्रतिनिधिमंंडल ने किसानों को 5 फसलों की MSP पर खरीद की गारंटी का प्रस्‍ताव दिया है. केंद्र सरकार ने किसानों से उड़द, अरहर, मूंग, कपास और मक्‍का की खरीद MSP पर गांरटीट करने का प्रस्‍ताव किसान संंगठनों का दिया है. 

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अगर इस प्रस्‍ताव के फार्मूले की बात करें तो केंद्र सरकार के प्रतिनिधिमंडल उसे भी स्‍पष्‍ट किया है. जिसमें केंद्र सरकार ने इन पांचों फसलों की अगले 5 साल के लिए MSP पर गारंटीट खरीद करने का प्रस्‍ताव किसान संंगठनों का दिया है. प्रस्‍ताव के मुताबिक कपास की खरीद काॅटन कॉरर्पोरेशन ऑफ इंडिया करेगा, जबकि मूंग, अरहर, उड़द और मक्‍के की खरीद नेफेड और एनसीसीएफ करेगी. इस खरीद व्‍यवस्‍था के सफल क्रियान्‍वयन के लिए एक पोर्टल बनाए जाने का विचार है, जिसके माध्‍यम से इसकी निगरानी की जाएगी.

 खेती और किसानों को प्रस्‍ताव से कितनाें को कितना नफा-नुकसान

किसान संगठन MSP गारंटी कानून और फसलों के दाम C2+50% फार्मूले से तय करने की मांग कर रहे हैं, लेकिन इन मांगों के इतर केंद्र सरकार पांचों फसलों की MSP पर खरीद की गारंटी दे रही है. इस प्रस्‍ताव से खेती और किसानों को होने वाले नफा और नुकसान की बात करें तो कहा जा सकता है कि, जिस तरीके से MSP गारंटी कानून और फसलों के दाम C2+50% फार्मूले से तय करने जैसी मांगों को किसानों की कई समस्‍याओं का समाधान माना जा रहा हैं, लेकिन केंद्र सरकार का ये प्रस्‍ताव कई दशक पुरानी MSP गारंटी कानून की शुरुआती लकीर खींचने वाला साबित हो सकता है. असल में केंद्र अगर 5 फसलों की MSP पर खरीद की गांरटी 5 साल के लिए देने को तैयार है तो ये किसानों के लिए शुभ संंकेत है, जो इशारा कर रही है कि WTO की शर्तो के इतर किसानों को MSP गारंटी मिल सकती है.

बेशक सरकार का प्रस्‍तावित फार्मूला MSP कानून की शक्‍ल में नहीं मिल रही है, लेकिन अगर इन 5 फसलों की MSP पर खरीद की गांरटी 5 साल के लिए लागू होती है तो इस तरह से कुल 7 फसलों पर बेहतर MSP का लाभ किसानों को मिलेगा. क्‍योंकि देश के अधिकांश राज्‍यों में गेहूं और चावल की खरीद MSP पर होती है. वहीं खेती में इसके फायदे की बात करें तो कहा जा सकता है कि दलहनी फसलों, कपास और मक्‍के की गारंटीट MSP से किसानों को फायदा होगा और वह इन फसलों का रकबा बढ़ाएंगे, जिससे देश में गेहूं और धान की जगह किसान इन फसलों को उगाएंगे. इससे फसल विविधिकरण को बढ़ावा मिलेगा, जो जमीन और भूजल स्‍तर की स्‍थिति में सुधार करेगा और किसानों की लागत में कमी आएगी.

वहीं प्रस्‍ताव के नुकसान की बात करें तो नेफेड और एनसीसीएफ की  तरफ से की जा रही खरीद व्‍यवस्‍था पहले से ही सवालों के घेरे में रही है. ऐसे में इस प्रस्‍ताव के सफल क्रियान्‍वयन के लिए किसान संंगठनों को मेहनत करनी पड़ेगी.

मौजूदा किसान आंदोलन की दिशा बदलेगी? 

केंद्र सरकार का 5 फसलों की MSP पर खरीद की गारंटी क्‍या मौजूदा किसान आंदोलन की दिशा बदलेगी. ये सवाल इस वक्‍त सबसे अधिक मौजूं है. हालांकि इस बीच आंदोलित किसान संगठनों ने इस प्रस्‍ताव को खारिज कर दिया है और 21 फरवरी से आंदोलन को तेज करने का ऐलान किया है. वहीं आंदोलन को बाहर से समर्थन कर रहे चढूनी ग्रुप ने सरसों और बाजरे को भी इस सूची में शामिल करते हुए इनकी MSP गारंटी मांगी है. लेकिन इसके बाद भी माना जा रहा है कि ये प्रस्‍ताव मौजूदा किसान आंदोलन की दिशा बदल देगा. क्‍योंकि आंदोलन में ही शामिल कई किसान संगठन इसे शुरुआती जीत के तौर पर देख रहे हैं. इसके पीछे वजह लोकसभा चुनाव है. असल में लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान होना है. उसके साथ ही आचार संहित लग जाएगी.

कई किसान संगठनों का मानना है कि अगर सरकार के इस प्रस्‍ताव पर विचार नहीं किया जाता है और चुनाव आचार संहिता लग जाएगी और आंदोलन लंबा चलेगा. चुनाव के बाद केंद्र सरकार पर इस तरह का प्रेशर भी नहीं बनाया जा सकेगा. वहीं अगर इस प्रस्‍ताव को स्‍वीकार लिया जाता है और बाकी मांगों पर सरकार से बाद में विचार का आश्‍वासन लिया जाए तो देश के किसानों की जीत होगी. इससे 5 फसलों पर MSP की गारंटी हो जाएगी और बाकी मांगों को मनवाने के लिए आगे आंदोलन का रास्‍ता खुला रहेगा. ऐसे में इस तरह की चर्चाएं हैं कि किसान संगठन सरकार से एक दौर की और बातचीत के बाद मोलभाव करेंगे और आंदोलन पर इस साल फरवरी के आखिरी दिनों से पहले तक अंतिम फैसला लिया जा सकेगा.