बाग–बगीचा: मॉनसून का सीजन फलाें की बागवानी के लिए सबसे बेहतर होता है.मसलन, किसान जुलाई से लेकर सितंबर तक फलों की बागवानी कर सकते हैं.क्योंकि इस समय मानसून की बारिश से पौधे आसानी से स्थापित हो जाते हैं. ऐसे में मॉनसून का सीजन फलाें की बागवानी करने का सबसे उपयुक्त समय है. इसी को ध्यान में रखते हुए किसान तक मॉनसून सीजन में फलों की बागवानी की जानकारी देने के लिए विशेष सीरीज बाग-बगीचा शुरू कर रहा है. इसकी पहली कड़ी में जानेंगे फलों के राजा आम की बागवानी से जुड़ी छोटी से लेकर मोटी बातें. असल में आम के फल बागवानी के पौधे एक बार लगाने के बाद बीस से पच्चीस साल तक फल देते हैं. ऐसे में किसान, अगर इस मॉनसून सीजन आम की आईएआरआई पूसा की तरफ से विकसित कुछ किस्मों का चयन करते हुए सामान्य आम की किस्मों की तुलना में चार गुना अधिक पैदावार ले सकते हैं. बाग –बगीचा सीरीज में जानते हैं आम कि नई किस्मों के बारे में
आईएआरआई पूसा के बागवानी विभाग के प्रधान वैज्ञानिक डॉ कन्हैया सिंह ने किसान तक से बातचीत में बताया कि आजकल आम की बहुत सारी नई किस्में आ गई है, जो कि हर साल फल देते हैंं. इसे रेगुलर बेअरिंग कहते है, जबकि पहले की किस्में थी, जैसे लंगड़ा है, दशहरी चौसा है, इनमे क्या एक साल फल आने के बाद अधिकतर पौधे में दूसरे साल फल नहीं आते है, लेकिन आईएआरआई ने नई किस्में विकसित हैं, जो नियमित हर साल फल देती हैं और उनको लगाने के लिए समान्य बागवानी तुलना में कम जगह की जरूरत पड़ती हैं.
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किसान तक से बातचीत में डॉ कन्हैया सिंह ने कहा कि पारंपरिक आम की बागवानी में पौधे से पौधे की दूरी 10 मीटर के करीब रखी जाती है, जहां एक एकड़ भूमि पर केवल 40 पौधे ही रोपे जाते थे, वहीं अब नई किस्मों वाले पौधे में एक एकड़ भूमि पर पौधे से पौधे की दूरी 6 मीटर के करीब रखकर 110 पौधे लगाए जा सकते हैं. नई किस्म के पौधे तीन साल बाद पूरी तरह से तैयार हो जाते हैं. सामान्य बागवानी की तुलना में उसी क्षेत्र में चार गुना अधिक आम की उपज देते हैं. इन किस्म के पौधों की लंबाई मात्र सात से आठ फीट होगी, जिससे किसानों को फल तोड़ने में आसानी होगी. इन किस्मों के बारे में बागवानी विशेषज्ञ डॉ कन्हैया सिंह ने विस्तार से जानकारी दी
पूसा अरुणिमा IARI पूसा ,नई दिल्ली द्वारा 2002 में जारी की गई आम की किस्म है. इसके फलों का आकार मध्यम और वजन 250 होता है .इस किस्म का फल स्वाद अच्छा और आकर्षक लाल रंग का छिलका होता है. इस का फल पकने के बाद 10 से12 दिन तक खराब नहीं होता है. इस किस्म के आम को घरेलू बाजार और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अच्छा दाम मिलता है.
आम की पूसा सूर्या किस्म को 2002 में IARI पूसा, नई दिल्ली द्वारा जारी किया गया था. इस किस्म का फल मध्यम से बड़े आकार का वजन 270-300 ग्राम का होता है, जिसमें गुलाबी लाली के साथ आकर्षक खूबानी पीली छिलका होता है. पकने के बाद कमरे के तापमान पर 8-10 दिनों तक इसकी सुरक्षित रह सकता है. यह घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों के लिए बेहतर किस्म है.
पूसा प्रतिभा किस्म को IARI पूसा, नई दिल्ली द्वारा विकसित किया गया था और 2012 में जारी किया गया था. यह चमकदार लाल त्वचा और नारंगी गूदे के साथ एक नियमित फल देने वाली किस्म है. पकने के बाद इसकी शेल्फ लाइफ 7 से 8 दिनों की होती है .यह घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों की सभी ज़रूरतों को पूरा करता है
पूसा श्रेष्ठ किस्म भी IARI पूसा नई दिल्ली द्वारा विकसित गई है और 2012 में जारी की गई यह एक संकर किस्म है. नियमित फलन, लंबे फल और रेशेदार होता है. फल का आकार 228 ग्राम होता है. पकने के बाद इसकी भंडारण क्षमता कमरे के तापमान पर 7 से 8 दिनों तक होती है.
पूसा पीताम्बर यह IARI पूसा नई दिल्ली द्वारा विकसित और 2012 में इस संकर किस्म को जारी किया गया था. इसके पौधे अर्ध-जोरदार, नियमित रूपहर साल फल देने वाले होते हैं. इसका फल आकर्षक और फल पकने पर एक समान पीले रंग एवं एक समान आकार के हो जाते हैं. पकने के बाद कमरे के 5 से 6 दिन सुऱक्षित रहता है.
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