परंपरागत तरीकों से खादों का प्रयोग अक्सर अनुमान के आधार पर किया जाता है, जिससे या तो अधिक खाद पड़ जाती है या जरूरत से कम. लेकिन अब किसानों के लिए एक वैज्ञानिक उपकरण बनकर उभरा है जिसका नाम है लीफ कलर चार्ट (LCC). इसके ज़रिए किसान यह पहचान सकते हैं कि उनकी फसल को कितनी नाइट्रोजन की जरूरत है और कब देनी है.
लीफ कलर चार्ट प्लास्टिक का एक छोटा सा चार्ट होता है, जिसमें अलग-अलग हरे रंग के शेड्स होते हैं. इसे खासतौर पर धान, मक्का और गेहूं जैसी फसलों के लिए विकसित किया गया है. किसान फसल के पत्तों के रंग की तुलना चार्ट से करते हैं और पता लगाते हैं कि पौधों में नाइट्रोजन की कमी है या नहीं.
फसलों में लीफ कलर चार्ट का उपयोग करने के लिए मक्का, धान, गेहूं सबसे पहले कम से कम 10 ऐसे पौधों का चयन करें, जो रोगों और कीटों से मुक्त हों और जिनकी पत्तियां पूरी तरह से खुली हों. सुबह (8-10 बजे के बीच) लीफ कलर चार्ट का उपयोग करने का प्रयास करें और यह भी सुनिश्चित करें कि देखते समय सीधी धूप पत्तियों पर न पड़े. अन्यथा पत्ती का रंग पत्ती के रंग चार्ट से मेल नहीं खाता. किसी भी प्रकार की त्रुटि को रोकने के लिए कोशिश ये होनी चाहिए कि एक ही व्यक्ति लीफ कलर चार्ट से पत्तियों के रंग को मिलाए.
लीफ कलर चार्ट के उपयोग के समय कुछ सावधानियों को भी ध्यान में रखना जरूरी है. जैसे, फसल में लीफ कलर चार्ट से मिलान करने वाली पत्तियां पूरी तरह से रोगमुक्त होनी चाहिए. पत्ती के रंग का मिलान करते समय लीफ कलर चार्ट को शरीर के छाया में रखना चाहिए और पत्ती के मध्य भाग को चार्ट के ऊपर रख कर मिलान करना चाहिए. पत्ती का चार्ट से मिलान करते समय सूर्य की रोशनी चार्ट पर नहीं पड़नी चाहिए.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today