मॉनसून सीजन समापन की ओर है. मॉनसून वापसी की आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है. इस बीच देश के कई राज्यों में इन दिनों झमाझम बारिश का दौर जारी है. मसलन, झमाझम बारिश की वजह से एक बार फिर देश के कई राज्यों में बाढ़ जैसे हालात बनते हुए दिख रहे हैं. वहीं सितंबर के महीने हुए इस बारिश से किसानों को बड़ा नुकसान हुआ है. बारिश की वजह से किसानों की फसलें खेतों में ही डूब गई है. माना जा रहा है कि अभी ओर बारिश होनी है, जो फसल कटाई के वक्त भी किसानों के लिए मुश्किल खड़ी करेगी. इस बीच ला नीना (La Nina) पर बड़ा अपडेट सामने आया है.
अमेरिकी मौसम एजेंसी नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (NOAA) ने ला नीना पर नया अपडेट जारी किया है. NOAA की विंंग क्लाइमेट प्रेडिक्शन सेंटर (CPC) ने सितंबर से नवंबर के बीच ला नीना के एक्टिव होने का पूर्वानुमान जारी किया है. CPC की तरफ से जारी पूर्वानुमान के मुताबिक सितंबर से नवंबर के बीच ला नीना एक्टिव होने की 71 फीसदी संभावना है. हालांकि CPC ने इसे कमजोर श्रेणी में रखा है. वहीं CPC ने कहा है कि ला नीना जनवरी से मार्च 2025 तक के बीच सक्रिय रहेगा.
आज की बात इसी पर...जानेंगे कि ला नीना का प्रभाव कैसे रहेगा. समझेंगे कि कैसे और क्यों कहा जा रहा है कि ला नीना की वजह से इस साल भी प्रचंड ठंड रहेगी. साथ ही समझेंगे कि ला नीना की वजह से क्या प्रचंड गर्मी के हालात बन सकते हैं. मॉनसून 2025 की चाल को क्या ला नीना प्रभावित करेगा.
पूर्व में जारी पूर्वानुमान के मुताबिक ला नीना को अगस्त में एक्टिव होना था, जिसका मतलब मॉनसून में अधिक बारिश से लगाया जा रहा था. इस बीच ला नीना पर जारी पूर्वानुमान सितंबर से नवंबर के बीच ला नीना के एक्टिव होने का संकेत दे रहे हैं. इसके साथ ही माना जा रहा है कि अगर ऐसा होता है तो इस साल फिर से प्रचंड ठंड का सामना करना पड़ेगा. ऐसा क्याें होगा? इससे जुड़े हुए सवाल का जवाब किसान तक ने जीबी पंत कृषि व प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में कृषि मौसम वैज्ञानिक डाॅ आरके सिंह से जानने की कोशिश की. इसके बारे में जानकारी देते हुए डॉ सिंह कहते हैं कि विश्व मौसम संगठन का हालिया विश्लेषण ये कहता है कि इस साल के अंत में ला नीना एक्टिव शुरू होगा, जो मार्च-अप्रैल तक एक्टिव होगा.
वह कहते हैं कि ला नीना का सीधा मतलब बेहतर बारिश से है. इसके मायने ये हैं कि इस साल ठंड में अधिक बारिश होगी. डॉ सिंह इसके बारे में विस्तार से बताते हुए कहते हैं कि नवंबर से अप्रैल के बीच देश में बारिश के दो कारक होते हैं. इस सीजन यानी ठंड में उत्तर भारत से मध्य भारत में बारिश के लिए पश्चिमी विक्षोभ जिम्मेदार होता है. तो वहीं दक्षिण भारत में मॉनसून की वजह से बारिश होती है. इन दोनों में ही ला नीना का असर होगा. मसलन ठंड के सीजन में अधिक बारिश होगी. इससे तापमान में गिरावट होगी और प्रचंड ठंड पड़ने का पूर्वानुमान है.
ला नीना पर जारी नए पूर्वानुमान के बाद इसके गर्मी और मॉनसून 2025 पर प्रभाव को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है. इससे संबंधित सवाल के जवाब में जीबी पंत कृषि व प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में कृषि मौसम वैज्ञानिक डाॅ आरके सिंह कहते हैं कि जैसा की कहा जा रहा है कि अप्रैल में ला नीना का प्रभाव खत्म हो जाएगा. तो इस आधार पर ये कहा जा सकता है कि इस बार गर्मी भी अधिक रहेगी. इसके पीछे का कारण ये है कि जिस भी साल अधिक बारिश और ठंड पड़ती है, उसके बाद गर्मी भी अधिक पड़ती है. हालांकि वह दावे के साथ कहते हैं कि अभी तक ला नीना के खत्म होने के बाद अल नीनो के एक्टिव होने का पूर्वानुमान नहीं है. ऐसे में कहा जा सकता है कि मॉनसून में सामान्य बारिश होगी. ध्यान रहे कि अल नीनो का संबंध सूखे से है. साल 2023 में अल नीनो की वजह से देश के कई राज्यों में सूखा पड़ा था.
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