चावल के उत्पादन में भारत चीन के बाद दूसरे स्थान पर है. चावल उगाने के तरीके अलग-अलग क्षेत्रों में बहुत भिन्न होते हैं, लेकिन भारत सहित अधिकांश एशियाई देशों में, चावल लगभग सामान्य तरीकों से उगाया जाता है. लेकिन अलग-अलग देश और अलग-अलग राज्यों में चावल की किस्में बदलती रहती है. उपज, गुणवत्ता और स्वाद के आधार पर किसान अलग-अलग किस्मों की खेती करते हैं. भारत की बात करें तो यहां चावल की कई किस्मों की खेती की जाती है.
यहां चावल की खेती खपत को देखते हुए की जाती है. यही कारण है कि हर साल चावल कि खेती का रकबा बढ़ता दिखाई दे रहा है.
वहीं चावल की खेती और कटाई के पारंपरिक हाथ के तरीके अभी भी प्रचलित हैं. अधिकांश देशों में चावल की आधुनिक खेती शुरू हुई जिससे श्रम की समस्याएँ और खेती की लागत काफी कम हो गई. ऐसे में आइए जानते हैं चावल की इंद्रायणी किस्म के बारे में.
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चावल की इस किस्म की खेती महाराष्ट्र के पश्चिमी क्षेत्र में की जाती है. यह अम्बेमोहर चावल की एक संकर किस्म है. इस चावल का उपयोग सादा चावल, मसाला भात, वांगरी भात आदि तैयार करने के लिए किया जाता है. इंद्रायणी चावल एक सुगंधित चावल है जिसकी खेती पुणे के मावल क्षेत्र में की जाती है. यह खाने के शौकीनों की एक मशहूर और लोकप्रिय पसंद है. इसका अपना एक विशेष मीठा स्वाद और सुगंध है जो भोजन के स्वाद को बढ़ा देता है. चावल की खुशबूदार खासियत इसे खासतौर पर नॉनवेज खाने वालों का पसंदीदा बनाती है, बेशक शाकाहारियों को भी पसंद आती है.
चावल में बहुत सारी अच्छी चीजें होती हैं जो आपके शरीर की मदद कर सकती हैं, जैसे विटामिन, खनिज और फाइबर मौजूद होते हैं. चावल का यह किस्म मध्यम आकार और चिपचिपा होता है. साथ ही इसमें मीठी सुगंध होती है. इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स 45-52 के बीच कम होता है. जिस वजह से यह चावल शुगर के मरीजों के लिए काफी अच्छा माना जाता है.
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