राजस्थान में मूंगफली की खेती करने वाले किसान क्यों हैं परेशान (सांकेतिक तस्वीर)राजस्थान में मूंगफली की खेती करने वाले किसान इन दिनों काफी परेशान हैं. यहां के बीकानरे में मूंगफली की खेती सबसे ज्यादा होती है. इस साल जब से इंडोनेशिया ने भारत से मूंगफली के आयात को बैन किया तब से ही यहां के किसानों को नुकसान की चिंता सताने लगी है. बीकानेर से हर साल बड़ी मात्रा में मूंगफली को इंडोनेशिया निर्यात किया जाता है. अब इस साल जिन किसानों ने मूंगफली की फसल बोई है उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि खेती की लागत आखिर कैसे निकालें.
इस साल बीकानेर में 2.90 लाख हेक्टेयर में मूंगफली बोई गई. इससे करीब 8.70 लाख मीट्रिक टन उत्पादन का अनुमान है. इस समय मूंगफली के दाम 4500 से 6500 रुपये प्रति क्विंटल हैं. लेकिन निर्यात पर लगी रोक की वजह से कीमतों में 10 से 15 फीसदी की गिरावट की आशंका जताई जा रही है. व्यापारियों की मानें इससे किसानों की आय पर बड़ा असर पड़ेगा. साथ ही विदेशी बाजार भी प्रभावित होने वाले हैं. कृषि विशेषज्ञों ने कहा है कि सरकार को स्टोरेज और क्वालिटी चेक सिस्टम को सख्त करना होगा ताकि आने वाले समय में ऐसी मुश्किलें न आएं.
इंडोनेशिया ने इस साल 27 अगस्त को एक आदेश जारी किया था जो 3 सितंबर से लागू हो गया. इस आदेश के मुताबिक इंडोनेशिया की क्वारंटाइन अथॉरिटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि भारत से आने वाली मूंगफली में एफ्लाटॉक्सिन कर मात्रा तय स्टैंडर्ड से कहीं ज्यादा पाई गई है. एफ्लाटॉक्सिन को एक जहरीला कंपाउंड या यौगिक माना जाता है. यह ऐस्परजिलस फ्लेवस और ऐस्परजिलस पैरासिटिकस नाम फंगस से पैदा होता है. यह फंगस गर्म और नम वातावरण में मूंगफली को इनफेक्टेड कर देते हैं.
इन टॉक्सिन्स को जीनोटॉक्सिक (जीन को नुकसान पहुंचाने वाले) और कार्सिनोजेनिक (कैंसर पैदा करने वाले) बताया गया है.  इनमें  एफ्लाटॉक्सिन B1 को लिवर कैंसर की वजह माना गया है. व्यापारिक सूत्रों के अनुसार, टेस्टिंग लैब्स में असली समस्या है जो कुछ छोटे कमरों में बिना सही इक्विपमेंट्स के के स्थापित की गई हैं. एक सूत्र की मानें तो इंडोनेशियाई अधिकारियों ने चेन्नई की एक लैब का दौरा किया था और उसकी वर्किंग मैथेड को लेकर चिंता जताई थी.'  
यह भी पढ़ें- 
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today