ट्रंप के टैरिफ से अमूल के दोनों हाथ घी में! दूसरे भारतीय डेयरी कंपनियों की भी होगी मलाई

ट्रंप के टैरिफ से अमूल के दोनों हाथ घी में! दूसरे भारतीय डेयरी कंपनियों की भी होगी मलाई

अमेरिका द्वारा भारत और अन्य देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगाए जाने से अमेरिका में अमूल के उत्पाद महंगे होने की आशंका है, लेकिन ये शुल्क लगाए जाने से अमूल और अन्य भारतीय डेयरी ब्रांड अमेरिका द्वारा सेवा प्रदान किए जाने वाले 50 प्रतिशत अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में पसंदीदा आपूर्तिकर्ता बन जाएंगे.

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ट्रंप के टैरिफ से अमूल के दोनों हाथ घी में! दूसरे भारतीय डेयरी कंपनियों की भी होगी मलाईट्रंप के रेसिप्रोकल टैरिफ से अमूल समेत भारतीय डेयरी सेक्टर को हो सकता है फायदा

भारत समेत दुनिया भर के देशों पर अमेरिका के राष्ट्रपति द्वारा लगाए रेसिप्रोकल टैरिफ लागू हो चुके हैं. ज्यादातर उद्योग और देशों के लिए ये टैरिफ परेशानी का ही सबब बनने वाले हैं मगर कुछ ऐसे भी सेक्टर हैं जिन्हें ट्रंप के टैरिफ से फायदा होने वाला है. इन्हीं में से एक है भारत का डेयरी सेक्टर. डेयरी उद्योग के दिग्गज ये मान रहे हैं कि रेसिप्रोकल टैरिफ के कारण, विश्व में दूध का सबसे बड़ा उत्पादक देश यानी भारत और इसके डेयरी सेक्टर को फायदा होने वाला है. 

डेयरी सेक्टर को कैसे होगा फायदा?

अमूल जो सालाना विश्व भर में 1,000 करोड़ रुपये के डेयरी उत्पादों का निर्यात करता है, इसको लेकर खुश दिखाई दे रहा है. बता दें कि ट्रंप प्रशासन द्वारा भारत और अन्य देशों पर जवाबी शुल्क लगाए जाने से अमेरिका में अमूल उत्पाद महंगे होने की आशंका है. लेकिन गुजरात सहकारी दुग्ध विपणन संघ (GCMMP) के प्रबंध निदेशक जयेन मेहता का कहना है कि इन टैरिफ के कारण अमेरिका द्वारा सेवा प्रदान किए जाने वाले 50 प्रतिशत अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अमूल और अन्य भारतीय डेयरी ब्रांड "पसंदीदा आपूर्तिकर्ता" बन जाएंगे.

मेहता ने कहा, "यदि किसी देश पर हाई टैरिफ लगाया जाता है, तो उनसे अमेरिकी आयात पर भी इसी प्रकार का शुल्क लगाने की अपेक्षा की जाती है और ऐसे में अमेरिकी उत्पाद भी महंगे हो जाएंगे. इसलिए, विश्व में दूध का सबसे बड़ा उत्पादक होने के नाते भारत को तुरंत इन बाजारों तक पहुंच मिल जाएगी."

अमेरिका के निर्यात बाजार में मिलेगी पहुंच

एक अग्रेजी अखबर 'बिजनेस लाइन' के साथ बातचीत में मेहता ने कहा कि न्यूजीलैंड के बाद अमेरिका डेयरी उत्पादों का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक है. 2024 में अमेरिका ने 54 लाख टन का दूध पाउडर, मक्खन, लैक्टोज, कैसिइन, मट्ठा प्रोटीन सहित 6 अहम डेयरी प्रोडक्ट का निर्यात किया. इनमें से लगभग 50 प्रतिशत निर्यात भारत के पड़ोस में हुआ, जिसमें दक्षिण एशिया, दक्षिण-पूर्व एशिया, चीन, जापान, मध्य-पूर्व, उत्तरी अफ्रीका और यहां तक ​​कि ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड जैसे देश भी शामिल हैं. 

मेहता ने कहा, "हम इन देशों के लिए पसंदीदा आपूर्तिकर्ता बन जाएंगे, जिन्हें पारंपरिक रूप से अमेरिका से डेयरी प्रोडक्ट मिल रहे थे. दूसरे शब्दों में, ट्रम्प प्रशासन ने एक ही झटके में भारतीय डेयरी उत्पादों को अपने अंतर्राष्ट्रीय निर्यात बाजार के 50 प्रतिशत तक पहुंच प्रदान कर दी है." गौरतलब है कि अमूल वर्तमान में अमेरिका सहित 35 से ज्यादा देशों को निर्यात करता है. GCMMP के प्रबंध निदेशक जयेन मेहता ने कहा, "चूंकि अमूल घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय दोनों तरह की मांग को पूरा करने के काबिल है, इसलिए यह हमारे लिए आसान लक्ष्य होगा. यह अगले 5-10 सालों के लिए भारत में सहकारी डेयरी उद्योग के लिए एक वास्तविक लाभ हो सकता है. 

कितना पड़ सकता है फर्क?

बता दें कि अमेरिका को निर्यात किए जाने वाले भारतीय डेयरी उत्पादों में से अमूल आधे का निर्यात करता है. मेहता ने कहा, "यह सालाना करीब 150-200 करोड़ रुपये हैं. वर्तमान में अमेरिका को निर्यात किए जाने वाले अमूल उत्पादों पर आयात शुल्क 50-70 प्रतिशत है." उन्होंने कहा कि जीसीएमएमएफ पिछले 25 सालों से डेयरी उत्पादों का निर्यात कर रहा है. अमूल अमेरिकी बाजार में 19 उत्पादों का निर्यात करता है, जिनमें चीज़, मक्खन, पनीर, घी, आइसक्रीम, पेय पदार्थ, चॉकलेट आदि शामिल हैं. 

मेहता ने कहा, "27 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क के साथ, अमूल उत्पादों पर आयात शुल्क और बढ़ जाएगा. हालांकि, हमें इससे कोई परेशानी नहीं है क्योंकि अमेरिका में अमूल उत्पादों के प्रमुख उपभोक्ता भारतीय प्रवासी हैं जो इस वृद्धि को वहन करने में सक्षम होंगे. लेकिन इसके फलट, आयातित डेयरी उत्पादों के लिए हमारे शुल्क इतने अधिक नहीं हैं. जैसे आयातित मक्खन और घी जैसे डेयरी उत्पादों पर भारत 30-40 प्रतिशत आयात शुल्क लगाता है."

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