वैश्विक बाजार में भारतीय चावल की मांग बढ़ी, तनाव के बीच बांग्लादेश को 16 हजार टन चावल भेजा

वैश्विक बाजार में भारतीय चावल की मांग बढ़ी, तनाव के बीच बांग्लादेश को 16 हजार टन चावल भेजा

केंद्र सरकार ने अक्टूबर 2024 में चावल पर लगे न्यूनतम निर्यात मूल्य (MEP) और निर्यात शुल्क हटाकर बासमती और गैर-बासमती चावल के निर्यात पर लगाए गए लगभग सभी प्रतिबंध हटा दिए थे. इसके बाद से भारतीय चावल की वैश्विक मांग में मजबूती दर्ज की गई है. 

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वैश्विक बाजार में भारतीय चावल की मांग बढ़ी, तनाव के बीच बांग्लादेश को 16 हजार टन चावल भेजाचावल निर्यात के मामले में भारत सबसे बड़ा निर्यातक है.

केंद्र सरकार ने अक्टूबर 2024 में सरकार ने न्यूनतम निर्यात मूल्य (MEP) और निर्यात शुल्क हटाकर बासमती और गैर-बासमती चावल के निर्यात पर लगाए गए लगभग सभी प्रतिबंध हटा दिए थे. ऐसे में भारतीय चावल की वैश्विक मांग में मजबूती दर्ज की गई है और चालू वित्त वर्ष में 10 फीसदी अधिक वृद्धि देखी गई है. इस बीच तनाव भरे माहौल से जूझ रहे बांग्लादेश को भारत ने 16 हजार टन चावल भेजा है. 

बांग्लादेश पहुंची भारतीय चावल की दूसरी खेप 

पिछले साल अगस्त में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के अपदस्थ होने के बाद से भारत और बांग्लादेश के बीच तनावपूर्ण संबंधों के बावजूद भारत से चावल की दूसरी खेप शनिवार को मोंगला बंदरगाह पर पहुंची. ढाका ट्रिब्यून अखबार ने खबर दी है कि भारत से 16,400 मीट्रिक टन चावल लेकर दो जहाज सुबह बंदरगाह पर पहुंचे. मोंगला खाद्य नियंत्रक कार्यालय के अनुसार बांग्लादेश को एक समझौते के तहत भारत से 3 लाख मीट्रिक टन चावल मिलने वाला है, जिसमें से 40 प्रतिशत मोंगला बंदरगाह पर और शेष चटगांव बंदरगाह पर उतारा जाएगा.

वैश्विक बाजार में चावल की मांग बढ़ी 

घरेलू आपूर्ति बनाए रखने और कीमतों को नियंत्रित करने के लिए केंद्र सरकार ने जुलाई 2023 में चावल निर्यात पर प्रतिबंध लगाया था और भारी एमईपी भी लागू कर दिया था. बीते अक्टूबर महीने में केंद्र ने चावल के निर्यात पर प्रतिबंध हटाने के साथ ही एमईपी को भी हटा दिया है. केंद्र के इस फैसले के बाद से विदेशी खरीदारों की ओर से डिमांड बढ़ी है.

नवंबर और दिसंबर 2024 में केंद्र ने बांग्लादेश को 50 लाख टन गैर बासमती चावल निर्यात करने की मंजूरी दी थी. इंडोनेशिया को चावल निर्यात की मंजूरी दी जा चुकी है. आधिकारिक बयान में कहा गया कि राष्ट्रीय सहकारी निर्यात (NCEL) के जरिए इंडोनेशिया को 10 लाख टन गैर बासमती सफेद चावल निर्यात किया जाएगा.  

निर्यात बैन से 15 फीसदी तक घटी थीं कीमतें 

चावल निर्यात के मामले में भारत सबसे बड़ा निर्यातक है और वैश्विक आपूर्ति में सर्वाधिक 40 फीसदी हिस्सेदारी है. अक्टूबर में भारतीय चावल के निर्यात पर प्रतिबंध हटने के बाद यहां से भरपूर मात्रा में चावल विदेशी बाजारों में पहुंचने से अक्टूबर में वैश्विक स्तर पर कीमतों में 15 फीसदी तक की गिरावट दर्ज की गई थी. हालांकि, नवंबर में वैश्विक बाजार में मामूली बढ़ोत्तरी दर्ज की गई थी. अब अपनी चावल जरूरत को पूरा करने के लिए मित्र देशों ने भारत से चावल भेजने का आग्रह कर रहे हैं. 

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