देश में इस बार मॉनसून सीजन में भारी बारिश और बाढ़ के चलते खरीफ फसलों को काफी नुकसान है, जिसके चलते सरकार के रिकॉर्ड उत्पादन के अनुमान पर असर पड़ने की आशंका है. मध्य अगस्त के बाद से पश्चिमी और पूर्वी भारत में लगातार हो रही बारिश की वजह से खेतों में जलभराब और गाद ने किसानों के लिए बड़ा संकट खड़ा किया, जिससे खरीफ की कटाई धीमी हो गई है और वहीं, अब रबी की बुवाई में भी देरी होने की आशंका है. बारिश-बाढ़ से सबसे ज्यादा नुकसान महाराष्ट्र में दर्ज किया गया है.
फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, महाराष्ट्र में कुल 144 लाख हेक्टेयर बुवाई क्षेत्र में से एक बड़े हिस्से में फसलों को नुकसान पहुंचा है. अक्सर बारिश की कमी से जूझने वाले मराठवाड़ा और विदर्भ जैसे इलाके भी ज्यादा बारिश से बेहाल हैं. राज्य के कृषि मंत्री दत्तात्रेय भरणे ने कहा है कि 36 में से लगभग 30 जिलों में फसलें नुकसान झेल रही हैं और राजस्व और कृषि विभाग मिलकर तेजी से सर्वे कर रहे हैं.
देशभर में सोयाबीन, तुअर, उड़द, कपास, गन्ना और बाजरा जैसी प्रमुख फसलें बाढ़ की चपेट में आई हैं. धान की पकी फसल भी प्रभावित हुई है. वहीं, पंजाब और राजस्थान में भी ज्यादा बारिश से धान और बाजरे की फसलों को भारी नुकसान पहुंचा है. कर्नाटक में भी कुछ फसलें डूब गई हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक, कृषि आयुक्त पीके सिंह ने बताया कि पंजाब में 30 लाख हेक्टेयर धान में से करीब 1.5 लाख हेक्टेयर क्षेत्र जलमग्न हो गया. इसकी वजह से राज्य के कुछ इलाकों में रबी की बुवाई प्रभावित हो सकती है. वहीं, पश्चिम बंगाल की स्थिति अलग है. यहां धान की फसल 3 से 4 फीट ऊंचाई पर खड़ी है और फिलहाल सुरक्षित बताई जा रही है.
राज्य में बारिश का असर मुख्यतः कोलकाता और आसपास के इलाकों में देखा गया है. कृषि और व्यापार से जुड़े लोगों का कहना है कि स्थिति खराब रही तो रबी मौसम पर और दबाव बढ़ सकता है. खासकर गेहूं की समय पर बुवाई मुश्किल हो सकती है. वहीं, कपास व अन्य नकदी फसलों के प्रभावित होने से किसानों की आमदनी पर भी चोट लगेगी.
सरकार ने इस साल खरीफ की बुवाई का आंकड़ा 111.08 मिलियन हेक्टेयर बताया था, जो अब तक का रिकॉर्ड है. इसी आधार पर उत्पादन का अनुमान 171.3 मिलियन टन लगाया गया था, जबकि पिछले साल खरीफ का उत्पादन 168 मिलियन टन रहा था. लेकिन अब लगातार बारिश और बाढ़ के चलते इन अनुमानों में कटौती की आशंका जताई जा रही है.
हालांकि, सरकार ने हाल में 2025-26 के लिए कुल खाद्यान्न उत्पादन में 2.4% वृद्धि का अनुमान पेश किया था, जो 362.5 मिलियन टन रहने की संभावना जताई गई थी. यह 2024-25 के 353 मिलियन टन से ज्यादा है. लेकिन, बाढ़ और बारिश से फसलों की क्षति इस अनुमान को चुनौती दे सकती है.
क्रिसिल इंटेलिजेंस की एक हालिया रिपोर्ट में भी कहा गया है कि अगस्त में पंजाब, हरियाणा, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में लगातार बारिश ने धान, कपास, बाजरा, मक्का और चना जैसी फसलों को प्रभावित किया है.
विश्लेषकों का कहना है कि अभी खरीफ की क्षति का कृषि क्षेत्र के सकल मूल्य वर्धन यानी जीवीए पर असर तय नहीं किया जा सकता. जीवीए सिर्फ उत्पादन पर निर्भर नहीं करता, बल्कि किसानों को फसलों और पशुधन से मिलने वाले दामों पर भी निर्भर करता है. इसमें सरकारी खरीद और बाजार की स्थितियां अहम भूमिका निभाती हैं.
पिछले वित्त वर्ष में कृषि क्षेत्र ने 4.6% की मजबूत वृद्धि दर्ज की थी और इस साल की पहली तिमाही में यह 3.7% रही है. लेकिन फसल नुकसान बड़ा साबित हुआ तो ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रफ्तार धीमी हो सकती है.
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