महाराष्ट्र में सरकारी विश्वविद्यालयों में 7 हजार पद खालीमहाराष्ट्र की चार प्रमुख कृषि यूनिवर्सिटियों में शिक्षण (Teaching) और गैर-शिक्षण (Non-Teaching) श्रेणी के 7,100 से ज्यादा पद खाली पड़े हैं. यह जानकारी राज्य सरकार ने विधान परिषद में दी. कृषि मंत्री दत्तात्रेय भरणे ने गुरुवार को लिखित जवाब में बताया कि स्टाफ की भारी कमी के बावजूद वर्तमान कर्मचारी और संविदा कर्मियों के सहारे कामकाज संभाला जा रहा है. मंत्री ने बताया कि अकोला स्थित डॉ. पं. देशमुख कृषि विद्यापीठ में सबसे ज्यादा 2,235 पद खाली हैं.
इसके अलावा राहुरी स्थित महात्मा फुले कृषि विद्यापीठ, परभणी का वसंतराव नाईक मराठवाड़ा कृषि विद्यापीठ और दापोली में डॉ. बालासाहेब सावंत कोंकण कृषि विद्यापीठ में भी बड़ी संख्या में पद खाली हैं. कुल मिलाकर चारों विश्वविद्यालयों में 7,199 पद खाली होने से शिक्षा, शोध और विस्तार सेवाओं की गुणवत्ता को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं.
विधान परिषद में कई सदस्यों ने पूछा था कि क्या इतनी बड़ी संख्या में रिक्त पदों के कारण पढ़ाई और शोध कार्य प्रभावित हो रहे हैं. जवाब में मंत्री ने माना कि रिक्तियां तो हैं, लेकिन विश्वविद्यालयों में उपलब्ध शिक्षक, गैर-शिक्षण कर्मचारी और कॉन्ट्रैक्ट स्टाफ फिलहाल कार्यभार संभाल रहे हैं.
मंत्री ने बताया कि चारों विश्वविद्यालयों में खाली पदों की पूरी जानकारी इकट्ठी की जा रही है. जैसे ही प्रक्रिया पूरी होगी, प्रस्ताव वित्त विभाग को भेजा जाएगा. उन्होंने आगे कहा कि विभागीय मंजूरी मिलने के बाद नियमों के अनुसार पदों को भरा जाएगा.
कृषि जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र में शिक्षकों और तकनीकी स्टाफ की कमी से न केवल छात्रों की पढ़ाई प्रभावित होती है, बल्कि रिसर्च प्रोजेक्ट, नई किस्मों के विकास और किसानों तक तकनीक पहुंचाने की व्यवस्था भी कमजोर पड़ती है. इस बीच, विपक्ष की ओर से सवाल उठाए जाने के बाद लंबित पदों की भर्ती जल्द शुरू होने की उम्मीद जताई जा रही है.
महाराष्ट्र सरकार में जल आपूर्ति और स्वच्छता विभाग मंत्री गुलाबराव पाटिल ने बताया कि जल जीवन मिशन के लिए अक्टूबर 2024 के बाद से केंद्र से कोई फंड नहीं मिला है, जिसकी वजह से राज्य सरकार अपने संसाधनों से प्रोजेक्ट पूरे कर रही है. मंत्री ने बताया कि कुल 51,560 योजनाओं में से 25,429 अब भी प्रगति पर हैं. फंड की कमी, जमीन न मिलना, स्थानीय विरोध और विभागीय मंजूरियों में देरी के कारण काम धीमे पड़े हैं. वहीं, सरकार ने लापरवाही पर 67 ठेकेदारों को ब्लैकलिस्ट किया है और 188 के ठेके रद्द किए गए है. साथ ही कई इंजीनियरों और कंसल्टेंट्स को नोटिस जारी किए गए हैं. (पीटीआई)
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