10 साल के रिकॉर्ड स्तर पर FCI का चावल स्टॉक, आखिर क्यों बढ़ता भंडारण बन रहा आर्थिक बोझ?

10 साल के रिकॉर्ड स्तर पर FCI का चावल स्टॉक, आखिर क्यों बढ़ता भंडारण बन रहा आर्थिक बोझ?

सरकार ने 2025-26 खरीफ सीजन के लिए 463.5 लाख टन चावल खरीद का लक्ष्य रखा है, जो पिछले साल से थोड़ा कम है. क्योंकि FCI के पास चावल का भंडार पिछले 10 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है. इससे सार्वजनिक वितरण प्रणाली पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा.

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भारतीय खाद्य निगम (FCI) के पास चावल का भंडार 10 साल के उच्चतम स्तर 363 लाख टन पर पहुंच गया है, जो बफर स्टॉक से 2.5 गुना ज़्यादा है. इससे सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) को चलाने की आर्थिक लागत बढ़ने की चिंता पैदा हो गई है, जिससे खाद्य सब्सिडी का खर्चा और बढ़ेगा. ये समस्या और भी बढ़ जाती है क्योंकि 2025-26 सीजन (अक्टूबर-सितंबर) के लिए धान की खरीद शुरू होने वाली है. अधिकारियों का कहना है कि अधिक खरीद और फसल का अच्छा उत्पादन, स्टॉक अधिक होने के मुख्य कारण हैं.

रिकॉर्ड भंडारण को लेकर क्यों चिंता?

अंग्रेजी अखबार 'फाइनेंशियल एक्सप्रेस' की एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया कि FCI और राज्य एजेंसियां ​​​​हर साल न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के तहत किसानों से लगभग 520 लाख टन से 530 लाख टन चावल खरीदती हैं, जबकि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) या मुफ्त राशन योजना के लिए निगम लगभग 360 से 380 लाख टन चावल की आपूर्ति करता है. एक अधिकारी ने कहा कि एफसीआई और राज्य एजेंसियों द्वारा 2025-26 सीजन के लिए धान की खरीद शुरू होने के साथ चावल का स्टॉक और बढ़ने वाला है. वर्तमान में, एफसीआई के पास 1 अक्टूबर तक 102.5 लाख टन के बफर स्टॉक के मुकाबले 362.8 लाख टन चावल है. इस स्टॉक में मिल मालिकों से प्राप्त होने वाला लगभग 100 लाख टन चावल शामिल नहीं है.

चावल की आर्थिक लागत 41.73 रुपये प्रति किलो

खुले बाजार में बिक्री, राज्यों को आवंटन, इथेनॉल निर्माण और भारत चावल पहल के माध्यम से अनाज की तेजी से बिक्री के बावजूद चावल का भंडार बढ़ा हुआ है. इस वर्ष खुले बाजार में बिक्री पिछले वित्तीय वर्ष की 46.3 लाख टन की रिकॉर्ड बिक्री को पार कर जाने की संभावना है. सूत्रों के अनुसार, 2025-26 में अब तक एफसीआई के भंडार से 42 लाख टन से अधिक चावल इथेनॉल निर्माण, राज्य सरकार की कल्याणकारी योजनाओं और भारत चावल पहल जैसी विभिन्न पहलों के माध्यम से रियायती दरों पर बेचा जा चुका है.

सरकार के लिए, चालू वित्त वर्ष की शुरुआत में चावल की आर्थिक लागत, जिसमें एमएसपी, भंडारण, परिवहन और अन्य लागतें शामिल हैं, 41.73 रुपये प्रति किलोग्राम अनुमानित थी, जो अतिरिक्त चावल स्टॉक के कारण बढ़ सकती है. इस बीच, गेहूं का भंडार चार साल के उच्चतम स्तर 322.6 लाख टन पर पहुंच गया, जबकि बफर स्टॉक 205.2 लाख टन था. 2026-27 विपणन सत्र (अप्रैल-जून) के लिए गेहूं की खरीद 1 अप्रैल से शुरू होगी, लेकिन सरप्लस स्टॉक से सरकार को कीमतों में वृद्धि को रोकने के लिए अगले 6 महीनों में खुले बाजार में स्टॉक को बेचने में मदद मिलेगी.

463.5 लाख टन चावल खरीद का लक्ष्य

सरकार ने 2025-26 खरीफ सीजन के लिए 463.5 लाख टन चावल खरीद का लक्ष्य रखा है, जो पिछले साल से थोड़ा कम है. पंजाब और हरियाणा ने पिछले महीने खरीद शुरू कर दी है, हालांकि 2025-26 सीजन के लिए किसानों से आधिकारिक तौर पर एमएसपी पर खरीद 1 अक्टूबर से शुरू हुई है. 2024-25 सीजन में, एफसीआई और राज्य एजेंसियों ने किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर धान के बराबर 544.9 लाख टन चावल खरीदा है. (473.8 लाख टन खरीफ में और 71 लाख टन रबी में). 

पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना की सरकारी एजेंसियां धान खरीद अभियान में सबसे अधिक योगदान देते हैं. एफसीआई और राज्य एजेंसियों द्वारा खरीद के बाद, धान को चावल में बदलने के लिए मिल मालिकों को सौंप दिया जाता है. बता दें कि धान-चावल रूपांतरण अनुपात 67% है.

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