बिहार में मंडी व्यवस्था (कृषि बाजार प्रांगण) को खत्म हुए लगभग दो दशक बीत चुके हैं. लेकिन, राज्य का कृषि विभाग इस व्यवस्था को फिर से बहाल करने के लिए 21 प्रमुख कृषि मंडियों के आधुनिकीकरण को लेकर तेजी से काम कर रहा है. हाल ही में कृषि विभाग के प्रधान सचिव पंकज कुमार की अध्यक्षता में सभी परियोजनाओं की वित्तीय और भौतिक प्रगति की गहन समीक्षा की गई. इस दौरान प्रधान सचिव ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि सभी निर्माण कार्य निर्धारित समय सीमा के अंदर और गुणवत्तापूर्ण ढंग से पूर्ण किए जाएं. बैठक में यह भी बताया गया कि हाजीपुर और दाउदनगर कृषि बाजार प्रांगण का निर्माण कार्य जुलाई 2025 तक पूरा कर लिया जाएगा. वहीं, अगस्त तक पांच मंडियां बनकर तैयार हो जाएंगी.
बिहार सरकार द्वारा विकसित किए जा रहे ये कृषि बाजार अत्यंत आधुनिक होंगे. इन प्रांगणों में वेंडिंग प्लेटफॉर्म, दुकानें, वे-ब्रिज, जल निकासी प्रणाली, प्रशासनिक भवन, श्रमिक विश्राम गृह, केला मंडी, मछली बाजार, सोलर पैनल, आंतरिक सड़कें, कैंटीन और कम्पोस्टिंग प्लांट जैसी सुविधाएं उपलब्ध होंगी. इनका उद्देश्य यह है कि किसानों और व्यापारियों को किसी प्रकार की असुविधा न हो.
राज्य के 21 स्थानों पर कृषि बाजार प्रांगणों के आधुनिकीकरण का कार्य प्रगति पर है. इनका निर्माण कार्य बिहार राज्य पुल निर्माण निगम लिमिटेड के माध्यम से कराया जा रहा है. वहीं, जिन स्थानों पर यह कार्य चल रहा है, उनमें गुलाबबाग (पूर्णिया), मुसल्लहपुर (पटना), आरा, हाजीपुर, समस्तीपुर, मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, मोतिहारी, गया, बेतिया, दाउदनगर, मोहनियाँ, सासाराम, बेगूसराय, कटिहार, फारबिसगंज, जहानाबाद, दरभंगा, किशनगंज, छपरा और बिहटा शामिल हैं.
बिहार राज्य पुल निर्माण निगम के अध्यक्ष श्रीशत कपिल अशोक ने बताया कि हाजीपुर और दाउदनगर के बाजार प्रांगण जुलाई 2025 तक तैयार हो जाएंगे. वहीं, गया, आरा और जहानाबाद के प्रांगणों का निर्माण कार्य अगस्त 2025 तक पूर्ण कर लिया जाएगा. इसके साथ ही शेष बाजारों के निर्माण कार्य को वित्तीय वर्ष 2025-26 के भीतर पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. कृषि विभाग के प्रधान सचिव के अनुसार, इस योजना से किसानों को फसल भंडारण, प्रोसेसिंंग और मार्केटिंग की आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध होंगी. इससे उन्हें अपने उत्पादों का उचित मूल्य प्राप्त होगा और उनकी आय में वृद्धि होगी.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today