देशभर में विभिन्न राज्यों में जलवायु परिवर्तन और धरती के बढ़ते तापमान और खेती में भूजल (ग्राउंड वाटर) के बढ़ते उपयोग के कारण भूजल स्तर तेजी से घट रहा है. अगर यह सिलसिला ऐसे ही जारी रहा तो बहुत ही कम समय में पेयजल संकट और खेती न हो पाने के कारण खाद्य संकट खड़ा हो जाएगा. इसी क्रम में जब राज्यसभा में सांसदों द्वारा ग्राउंड वाटर लेवल को लेकर पूछे गए सवालों में हैरान करने वाले आंकड़े सामने आए हैं. हरियाणा में इस साल जमीन से निकाले जाने वाले पानी का चरण स्टेज ऑफ एक्सट्रैक्शन SoE 136 प्रतिशत तक पहुंच गया है और पंजाब में यह और भी ज्यादा 164 तक पहुंच चुका है. यह सीधे तौर पर दर्शाता है कि यहां उपयोग किए जाने के लिए निर्धारित सीमा से ज्यादा भूजल निकाला जा रहा है. भूजल के उपयोग को स्टेज ऑफ एक्सट्रैक्शन (SoE) के माध्यम से आंका जाता है.
हर साल बारिश के समय जमीन पानी सोखती है, जिससे थोड़ा-सा वाटर लेवल बढ़ता है. इस प्रक्रिया को ग्राउंड वाटर रिचार्ज कहते हैं. अब कृत्रिम साधनों का उपयोग कर भी ग्राउंड वाटर लेवल बढ़ाया जाता है, जिससे खेती-किसानी और पेयजल मिलने में आसानी होती है और पानी की कमी का संकट दूर होता है. 'दि ट्रिब्यून' की रिपोर्ट के मुताबिक, हरियाणा में सालाना 9.55 बिलियन क्यूबिक मीटर (bcm) ग्राउंड वाटर रिचार्ज होता है. जबकि साल में निकालने लायक ग्राउंड वाटर 8.69 bcm होता है. इसके बावजूद 2023 में कुल 11.8 bcm ग्राउंड वाटर निकाला गया था.
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केंद्रीय भूजल बोर्ड (CGWB) के मुताबिक, पंजाब में सालाना 18.84 bcm ग्राउंड वाटर रिचार्ज होता है, जिसमें से 16.98 bcm भूजल सालाना निकाला जा सकता है. लेकिन, 2023 में यहां 27.8 bcm भूजल निकाला गया. वहीं सरकारी आंकड़ों के अनुसार, राजस्थान में स्टेज ऑफ एक्सट्रैक्शन (SoE) 148.77 प्रतिशत है. यहां साल 2023 में निकालने योग्य भूजल की मात्रा 11.25 बीसीएम के विरुद्ध 16.74 बीसीएम भूजल निकाला गया, जबकि यहां सालाना 12.45 बीसीएम ग्राउंड वाटर रिचार्ज होता है. देशभर में साल 2023 के लिए SoE 59.26 प्रतिशत दर्ज किया गया.
पंजाब से आप सांसद संत बलबीर सिंह ने राज्यसभा में एक प्रश्न किया था, जिसके जवाब में सरकार के मंत्री ने 2 दिसंबर को राज्यसभा में यह आंकड़े साझा किए. घटते भूजल को लेकर जल शक्ति मंत्रालय (MoJS) ने राज्यों से अपील की है कि वे अपने यहां के किसानों को भूजल का कम उपयोग करने के लिए प्रेरित करें. इसके लिए फसल चक्र, विविधीकरण और अन्य पहल जैसे उपायों को अपनाने के लिए कहा है.
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