देश में किसान उचित कीमत पर अपनी फसल को कीटों से बचाने के लिए अलग-अलग तरीके का प्रयोग करते रहते हैं. ऐसे ही एक किसान है, तेलंगाना के अंतरगाम मंडल के रायडंडी गांव के निवासी कुनारापू रमेश जो अपनी फसलों को कीट से बचाने के लिए उस पर डिटर्जेंट डालते हैं. 25 साल से डिटर्जेंट आधारित खेती करके कुनारापू अच्छा जीवन यापन कर रहे हैं. वह इस अनोखे तरीके से अपने 0.75 एकड़ जमीन में खेती करते हैं. उन्होंने शुरुआत में अपनी जमीन पर धान की फसल उगाने की कोशिश की, लेकिन सफल नहीं हुए.
फिर उन्होंने अन्य राज्यों में उत्पादकों द्वारा उपयोग की जाने वाली डिटर्जेंट आधारित खेती के बारे में जाना और उससे प्रेरित होकर उसे अपनाना शुरू कर दिया. उसके बाद रमेश ने सब्जी लगाना शुरू किया और सफल हुए.
रमेश अपनी खेत में सब्जियों में टमाटर, ककड़ी और बैंगन सहित अन्य सब्जी भी उगाते हैं. उन्होंने उसके लिए अपने खेत में सिरका 40 मिलीलीटर, डिटर्जेंट 40 मिलीलीटर और 40 मिलीलीटर बेकिंग सोडा के घोल में 16 लीटर पानी मिलाकर छिड़काव किया जिससे उन्हें काफी मुनाफा हुआ और फसलों को कीटों से भी राहत मिला.
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रमेश ने कहा कि वह इस मिश्रित घोल का छिड़काव महीने में दो बार करते हैं. उन्होंने आगे कहा कि फसल तैयार होने की अवधी में वह हर दूसरे दिन में लगभग 1.5 क्विंटल सब्जियों की बेचते हैं. वहीं इसका प्रयोग करने से उन्हें बेहतर उपज प्राप्त होती है. उन्होंने कहा कि वो सिर्फ अपने 0.75 एकड़ जमीन होने के बावजूद भी महीने का लगभग 45000 रुपये कमाते हैं.
रमेश ने कहा कि डिटर्जेंट आधारित मिश्रण का उपयोग कीटों के प्रबंधन के लिए आसानी से किया जा सकता है और यह पारंपरिक कीटनाशकों की तुलना में ज्यादा प्रभावी है. इसका मिश्रण वाला कीटनाशक बिल्कुल हानिकारक नहीं है. क्योंकि इस कीटनाशक घोल के बारे में कृषि विस्तार अधिकारी हरिश के अनुसार इस मिश्रण वाला कीटनाशक विशेष रुप से कीड़ों के कारण होने वाली बीमारियों के खिलाफ प्रभावी है. वहीं आस-पास के अन्य किसानों के लिए जो कीट नियंत्रण के लिए डिटर्जेंट आधारित संसाधनों का उपयोग करना चाहते हैं तो उनके लिए रमेंश एक प्रेरणा बनकर उभरे हैं.
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