इस साल कृषि क्षेत्र में 6 फीसद की वृद्धि दर्ज की जा सकती है. यह बढ़ोतरी इसलिए जताई जा रही है क्योंकि मॉनसून की स्थिति पिछले साल से बेहतर रहेगी. कृषि और उससे जुड़े क्षेत्रों में बेहतरी का अनुमान नीति आयोग के मेंबर रमेश चंद ने जाहिर किया है. रमेश चंद ने 'बिजनेसलाइन' को दिए एक इंटरव्यू में यह बात कही. अभी हाल में मौसम विभाग ने इस साल मॉनसून की बारिश सामान्य से अधिक रहने का अनुमान दिया है.
रमेश चांद ने कहा, यह साल कृषि के लिए बहुत सही रहेगा. इसके लिए दो फैक्टर जिम्मेदार होंगे. पहला, मॉनसून की बारिश सामान्य रहेगी या सामान्य से अधिक होगी जैसा कि अलग-अलग एजेंसियां दावा कर रही हैं. क्षेत्रवार मौसम अनुमान भी देखें तो यह खुश करने वाला है. दूसरा, पिछले साल कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर 0.67 परसेंट थी. इसका अर्थ हुआ कि 2024-25 में बेस लो है.
चांद ने कहा कि पूर्व में देखा गया है कि इन दोनों का जब भी मेल हुआ है, तब कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर 6 परसेंट से ऊपर गई है. अभी तक ऐसा कोई संकेत नहीं है कि पिछला पैटर्न इस साल नहीं रिपीट हो सकता. अगर मॉनसून अनुमान के मुताबिक रहा तो पिछला पैटर्न जरूर रिपीट होगा और कृषि वृद्धि दर बढ़ेगी.
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भारत मौसम विज्ञान विभाग ने इस साल मॉनसून की बारिश सामान्य से अधिक रहने की संभावना जताई है. यह 87 सेमी के लॉन्ग पीरियड एवरेज का 106 परसेंट तक जा सकती है. इसी तरह प्राइवेट वेदर एजेंसी स्काईमेट ने कहा है कि इस साल 102 परसेंट बारिश के साथ मॉनसून सामान्य रह सकता है.
नीति आयोग के मेंबर रमेश चंद मानते हैं कि कई साल से कृषि क्षेत्र के वास्तविक मूल्य बढ़ते जा रहे हैं. अगर आप गैर-कृषि और कृषि उत्पादों के होलसेल दाम देखें तो पता चलेगा कि फार्म प्राइस पहले से बढ़ रही है. एग्री कमॉडिटी का होलसेल प्राइस इंडेक्स बढ़ता जा रहा है. दाम को स्थिर रखने की जरूरत है. सरकार इस दिशा में दाम को कम रखने के लिए कदम उठा रही है. यहां स्थिरता का अर्थ है कि दाम में अचानक से कोई वृद्धि नहीं होनी चाहिए.
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चंद कहते हैं कि अगर खरीफ सीजन में कुछ कृषि उत्पादों की पैदावार सरप्लस रहे तो उसे निर्यात की अनुमति दी जा सकती है. अभी सरकार ने देश में गैर बासमती चावल, गेहूं, चीनी और प्याज के निर्यात पर बैन लगाया हुआ है. देश में चावल उत्पादन को देखते हुए गैर बासमती चावल के निर्यात को शुरू पर विचार किया जा सकता है.
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