तंबाकू की खेती (सांकेतिक तस्वीर)तंबाकू किसानों के संगठन फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया फार्मर एसोसिएशंस (FAIFA) ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा आयोजित तंबाकू नियंत्रण सम्मेलन (COP11) से अपने बहिष्कार की कड़ी आलोचना की है. संगठन ने कहा कि लाखों किसानों की आजीविका से जुड़े फैसलों में उनकी आवाज़ को पूरी तरह से दरकिनार किया जा रहा है. FAIFA ने बताया कि WHO फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन टोबैको कंट्रोल (FCTC) सचिवालय ने 17 नवंबर से होने वाले इस सम्मेलन में भाग लेने के उनके अनुरोध को अस्वीकार कर दिया. सचिवालय ने तर्क दिया है कि किसानों के हित “कन्वेंशन के उद्देश्यों से मेल नहीं खाते”.
FAIFA के अध्यक्ष पी.एस. मुरली बाबू ने इस निर्णय को “निराशाजनक और भेदभावपूर्ण” बताया. उन्होंने कहा, “किसान समस्या नहीं हैं, बल्कि वे उन नीतियों के शिकार हैं जो उनकी भागीदारी के बिना बनाई जाती हैं. COP11 का दरवाजा एक बार फिर किसानों पर बंद कर दिया गया है, यह दुखद है.”
संगठन ने कहा कि यह तर्क FCTC के अनुच्छेद 17 और 18 की भावना के विपरीत है, जिनमें तंबाकू किसानों की आजीविका की सुरक्षा और वैकल्पिक फसलों को बढ़ावा देने का स्पष्ट उल्लेख है.
भारत दुनिया के सबसे बड़े तंबाकू उत्पादक और निर्यातक देशों में से एक है. निर्यात में ब्राजील, जिम्बाब्वे, अमेरिका और चीन जैसे देश भी शामिल हैं. भारत में आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और तेलंगाना जैसे राज्यों में करीब 3.6 करोड़ लोग तंबाकू की खेती, प्रोसेसिंग, व्यापार और संबंधित कार्यों से जुड़े हैं.
FAIFA ने भारत सरकार से अपील की है कि वह COP11 में किसानों के हितों की रक्षा करे और ऐसे किसी भी निर्णय का विरोध करे, जो उनकी आजीविका या वैध तंबाकू आपूर्ति श्रृंखला को प्रभावित करे. संगठन ने कहा, “FCTC की भावना सहयोग और आजीविका की सुरक्षा में निहित है, न कि दबाव और बहिष्कार में.”
उधर, COP30 के अध्यक्ष आंद्रे कोरिया दो लागो ने भारत और चीन की वैश्विक ऊर्जा परिवर्तन में अग्रणी भूमिका की सराहना की है. उन्होंने कहा कि दोनों देशों ने जलवायु कार्रवाई को “बेहद स्पष्ट और ठोस रूप में अपनाया” है, जिससे स्वच्छ प्रौद्योगिकियों की लागत विश्वभर में तेजी से घट रही है. ब्राजील के बेलेम शहर में COP30 के उद्घाटन अवसर पर आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में दो लागो ने कहा कि चीन ने इस एजेंडे को असाधारण तरीके से अपनाया है, जहां पैमाना, तकनीक और सुलभता इन तीनों का संयोजन दुनिया को स्वच्छ ऊर्जा प्रणाली की ओर तेजी से बढ़ा रहा है.
उन्होंने कहा कि भारत और चीन आज मिलकर वैश्विक ऊर्जा संक्रमण का भविष्य तय कर रहे हैं. दोनों देशों के प्रयासों ने न केवल अपने-अपने क्षेत्र में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी जलवायु कार्रवाई की दिशा को नया आयाम दिया है. दो लागो ने यह भी रेखांकित किया कि विकासशील देशों की भागीदारी और नेतृत्व के बिना वैश्विक जलवायु लक्ष्यों की प्राप्ति संभव नहीं है, और भारत-चीन इस दिशा में उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं. (पीटीआई)
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