Edible Oils: सरकार ने घटाई कस्टम ड्यूटी: खाने के तेल होंगे सस्ते, लेकिन किसानों को लगा बड़ा झटका

Edible Oils: सरकार ने घटाई कस्टम ड्यूटी: खाने के तेल होंगे सस्ते, लेकिन किसानों को लगा बड़ा झटका

Custom Duty on Edible Oil: कस्टम ड्यूटी में यह कटौती सरकार की महंगाई को नियंत्रित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है. हालांकि इससे उपभोक्ताओं को तत्काल राहत मिलेगी, लेकिन किसानों की आमदनी पर नकारात्मक असर पड़ सकता है. जरूरी है कि सरकार इस संतुलन को बनाए रखने के लिए किसानों के हित में भी समानांतर योजनाएं लागू करे ताकि उनके नुकसान की भरपाई की जा सके.

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सरकार ने घटाई कस्टम ड्यूटी: खाने के तेल होंगे सस्ते, लेकिन किसानों को लगा बड़ा झटकाखाने का तेल होगा सस्ता

Edible Oil: केंद्र सरकार ने बुधवार को एक अहम फैसला लेते हुए क्रूड (कच्चे) खाद्य तेलों पर बेसिक कस्टम ड्यूटी (BCD) को 20% से घटाकर 10% कर दिया है. यह कदम उपभोक्ताओं को राहत देने के उद्देश्य से उठाया गया है ताकि बाजार में खाद्य तेलों की बढ़ती कीमतों पर काबू पाया जा सके. इस फैसले से आम आदमी की जेब पर असर जरूर कम होगा, लेकिन देश के किसानों के लिए यह एक झटका साबित हो सकता है.

क्यों घटाई गई कस्टम ड्यूटी?

पिछले साल सितंबर 2024 में कस्टम ड्यूटी में बढ़ोतरी और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में दामों में बढ़ोतरी के कारण घरेलू बाजार में खाद्य तेल की कीमतें तेज़ी से बढ़ी थीं. इससे आम उपभोक्ता पर महंगाई का बोझ बढ़ गया था. इसी को देखते हुए सरकार ने क्रूड सनफ्लावर, सोयाबीन और पाम तेल पर आयात शुल्क को घटा दिया है.

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उपभोक्ताओं को मिलेगी राहत

सरकार की इस पहल से खाद्य तेलों की लैंडेड कॉस्ट (आयात के बाद की कीमत) घटेगी और खुदरा बाजार में तेल की कीमतें कम होंगी. इसके चलते उपभोक्ताओं को सीधा फायदा मिलेगा और खाने के तेल सस्ते हो जाएंगे. इसके साथ ही सरकार ने तेल उद्योग से जुड़े संगठनों को निर्देश दिया है कि वे यह फायदा सीधे ग्राहकों तक पहुंचाएं.

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घरेलू रिफाइनिंग सेक्टर को बढ़ावा

इस नई ड्यूटी स्ट्रक्चर से रिफाइंड तेलों की तुलना में कच्चे तेलों के आयात को बढ़ावा मिलेगा. इससे देश के रिफाइनिंग उद्योग को फायदा होगा क्योंकि अब अधिक मात्रा में कच्चा तेल देश में रिफाइन किया जाएगा. इससे देश की रिफाइनिंग क्षमता का बेहतर उपयोग होगा और विदेशी रिफाइंड तेलों पर निर्भरता घटेगी.

किसानों को इससे लगा बड़ा झटका

जहां एक तरफ उपभोक्ता राहत महसूस करेंगे, वहीं देश के तिलहन किसानों के लिए यह फैसला नुकसानदेह साबित हो सकता है. सस्ते आयातित तेलों की उपलब्धता के कारण घरेलू तेल बीजों (सरसों, सोयाबीन आदि) की कीमतें गिर सकती हैं. इससे किसानों को उनकी फसलों का उचित मूल्य नहीं मिलेगा और उनकी आय पर असर पड़ेगा. यह विशेष रूप से उन किसानों के लिए चिंता का विषय है जो तिलहन फसलें उगाते हैं.

तेल कंपनियों को कीमतें घटाने का निर्देश

सरकार ने सभी प्रमुख तेल कंपनियों और उद्योग संघों के साथ बैठक की है और उन्हें निर्देश दिया है कि वे अपने उत्पादों की MRP और डिस्ट्रीब्यूटर प्राइस को तुरंत कम करें. साथ ही, सरकार ने सभी ब्रांड्स से साप्ताहिक रूप से अपडेटेड रेट्स साझा करने को भी कहा है ताकि पारदर्शिता बनी रहे और उपभोक्ताओं को जल्द से जल्द इसका लाभ मिल सके.

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