Clean Fertilizer: क्‍या है ग्रीन अमोनिया... जिससे बदलेगी किसानों की किस्‍मत, बढ़ेगी उनकी इनकम, जानें

Clean Fertilizer: क्‍या है ग्रीन अमोनिया... जिससे बदलेगी किसानों की किस्‍मत, बढ़ेगी उनकी इनकम, जानें

हाइड्रोजन, अमोनिया, कृषि और क्‍लीन एनर्जी की सप्‍लाई चेन को रिन्‍यूबल एनर्जी से कनेक्‍ट करते हैं. साथ ही इनकी मदद से ग्रीन अमोनिया प्‍लांट के लिए एक लॉन्‍ग टर्म स्‍ट्रैटेजी तैयार की जा सकती है. इस स्‍ट्रैटेजी से ग्रामीण और औद्योगिक क्षेत्रों को मजबूती मिलेगी और उन्‍हें आगे बढ़ने में मदद हासिल होगी.ग्रीन अमोनिया को प्रॉडक्‍शन ग्रीन हाइड्रोजन से किया जाता है. ग्रीन हाइड्रोजन इलेक्ट्रोलिसिस प्रॉसेस के जरिये से हासिल होता है.

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Clean Fertilizer: क्‍या है ग्रीन अमोनिया... जिससे बदलेगी किसानों की किस्‍मत, बढ़ेगी उनकी इनकम, जानेंgreen ammonia

क्‍लीन एनर्जी के सफर में भारत एक बड़ा और महत्‍वपूर्ण कदम उठाने जा रहा है. बताया जा रहा है कि भारत के इस कदम से न सिर्फ स्थिरता और आत्मनिर्भरता आएगी बल्कि कृषि सुरक्षा भी किसानों को मिलेगी. आज के समय में जब ग्रीन अमोनिया एक बड़ा विकल्‍प और क्रांतिकारी सॉल्‍यूशन बन चुका है तो भारत भी इस दिशा में आगे बढ़ने की तैयारी कर चुका है. ग्रीन अमोनिया न सिर्फ क्‍लीन एनर्जी का बड़ा जरिया होगा बल्कि इससे भारत के उर्वरक सिस्‍टम को भी मजबूती मिलेगी. साथ ही साथ किसानों की बेहतर आय सुनिश्चित होगी और फॉसिल फ्यूल यानी जीवाश्म ईंधन के आयात पर भी निर्भरता में कमी आएगी. 

ग्रामीण क्षेत्र होगा मजबूत 

विज्ञान के सिद्धांत के अनुसार हाइड्रोजन, अमोनिया, कृषि और क्‍लीन एनर्जी की सप्‍लाई चेन को रिन्‍यूबल एनर्जी से कनेक्‍ट करते हैं. साथ ही इनकी मदद से ग्रीन अमोनिया प्‍लांट के लिए एक लॉन्‍ग टर्म स्‍ट्रैटेजी तैयार की जा सकती है. इस स्‍ट्रैटेजी से ग्रामीण और औद्योगिक क्षेत्रों को मजबूती मिलेगी और उन्‍हें आगे बढ़ने में मदद हासिल होगी. ग्रीन अमोनिया को प्रॉडक्‍शन ग्रीन हाइड्रोजन से किया जाता है. ग्रीन हाइड्रोजन इलेक्ट्रोलिसिस प्रॉसेस के जरिये से हासिल होता है. इसमें विंड और सोलर एनर्जी जैसे रिन्‍यूबल एनर्जी सोर्सेज का प्रयोग किया जाता है. 

कैसे तैयार होती है ग्रीन अमोनिया 

इसके बाद इस हाइड्रोजन को नाइट्रोजन के साथ रिएक्‍ट कराया जाता है जिससे अमोनिया हासिल होता है. इस पूरी प्रॉसेस में न तो नैचुरल गैस का प्रयोग होता है और न ही कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन होता है. जहां पारंपरिक अमोनिया प्रोडक्‍शन प्रॉसेस भारी मात्रा में कार्बन उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार है तो वहीं ग्रीन अमोनिया का प्रोडक्‍शन पूरी तरह कार्बन फ्री होता है. उर्वरकों में प्रयोग के अलावा, अमोनिया का उपयोग क्‍लीन फ्सूल के तौर पर जहाजों में, आने वाले समय में इलेक्ट्रिक प्रॉडक्‍शन सिस्‍टम में और एनर्जी स्‍टोरेज और ट्रांसपोर्टेशन के एक बेहद प्रभावी मीडियम के तौर पर भी किया जा सकता है.

भारत कैसे बनेगा आत्‍मनिर्भर 

भारत अपनी उर्वरक उद्योग के लिए नैचुरल गैस के आयात पर काफी हद तक निर्भर है. अंतरराष्‍ट्रीय गैस कीमतों में उतार-चढ़ाव अक्सर उर्वरकों की लागत बढ़ा देता है. इससे मैन्‍युफैक्‍चरर्स और कंज्‍यूमर्स यानी किसान, दोनों ही प्रभावित होते हैं. ग्रीन अमोनिया से ऐसी फैक्‍ट्रीज लगाई जा सकती हैं जो रिन्‍यूबल एलर्जी पर चलेंगी. इस तरह से देश प्राकृतिक गैस के आयात को काफी हद तक बचा सकता है 

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