Chana Farming: गेहूं, सरसों में मिल रहा मुनाफा तो चने से कन्‍नी काट रहे मध्‍य प्रदेश के किसान! 

Chana Farming: गेहूं, सरसों में मिल रहा मुनाफा तो चने से कन्‍नी काट रहे मध्‍य प्रदेश के किसान! 

ज्‍यादा नमी और गेहूं पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से ऊपर बोनस देने की चर्चा, मध्य प्रदेश के गेहूं किसानों को प्रभावित कर रही है. इसकी वजह से मध्य प्रदेश में बुआई पैटर्न कोपर असर पड़ते की संभावना है. 'मौजूदा कीमतें किसानों को चना बोने के लिए प्रोत्साहित नहीं कर रही हैं. एक और चिंता यह है कि हमें ऑस्ट्रेलिया से जो खेप आ रही वह भी एमएसपी से करीब 10 प्रतिशत कम हैं.

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Chana Farming: गेहूं, सरसों में मिल रहा मुनाफा तो चने से कन्‍नी काट रहे मध्‍य प्रदेश के किसान! एमपी में इस बार कम होगा चने का रकबा!

देश में रबी का सीजन चालू हो गया है और किसान तेजी से इसकी बुवाई में जुट गए हैं. अब एक रिपोर्ट की मानें तो चालू 2025-26 रबी सीजन के दौरान गेहूं, चना और सरसों में तगड़ा कॉम्‍पटीशन देखने को मिल सकता है. इस बार चने का रकबा पिछले साल की तुलना में स्थिर रहेगा. हालांकि इसमें थोड़ी बढ़त दर्ज करने की संभावना है क्योंकि गुजरात और राजस्थान में बुआई बढ़ेगी. लेकिन मध्य प्रदेश में संभावित गिरावट होगी. मध्य भारत के इस राज्य में गेहूं, सीजन की प्रमुख दाल फसल का मुख्य प्रतिस्पर्धी बनकर उभर रहा है.  

एमपी में चने की बुआई पर असर 

ज्‍यादा नमी और गेहूं पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से ऊपर बोनस देने की चर्चा, मध्य प्रदेश के गेहूं किसानों को प्रभावित कर रही है. इसकी वजह से मध्य प्रदेश में बुआई पैटर्न कोपर असर पड़ते की संभावना है. अखबार बिजनेसलाइन ने भारतीय दाल एवं अनाज संघ के सचिव सतीश उपाध्याय के हवाले से लिखा, 'मौजूदा कीमतें किसानों को चना बोने के लिए प्रोत्साहित नहीं कर रही हैं. एक और चिंता यह है कि हमें ऑस्ट्रेलिया से जो खेप आ रही वह भी एमएसपी से करीब 10 प्रतिशत कम हैं.' 

सबसे बड़ा चना उत्‍पादक राज्‍य 

उन्होंने बताया कि भारत के दाल उद्योग संगठन की तरफ से भी कहा जा चुका है कि मध्य प्रदेश जो चना का सबसे बड़ा उत्‍पादक राज्‍य है, वहां के किसान भी इसे बोने के इच्‍छुक नहीं हैं क्योंकि उन्हें गेहूं और मक्का से अधिक मुनाफा मिल रहा है. सतीश उपाध्‍याय के अनुसार, पहले लगा था कि इस साल चने का रकबा बढ़ना चाहिए क्योंकि मौसम अनुकूल है और मिट्टी में नमी भी अच्छी है. साथ ही चना फसल में ज्यादा स्प्रे की जरूरत भी नहीं होती है. इसलिए किसानों को इसकी ओर जाना चाहिए था. कुल मिलाकर चने का रकबा पिछले साल के बराबर रहेगा या 5-10 प्रतिशत तक बढ़ सकता है. 

गुजरात और राजस्‍थान से होगी भरपाई 

मध्य प्रदेश में भले ही चने की बुआई घट रही हो लेकिन गुजरात और राजस्थान में बढ़ती प्रवृत्ति इसे संतुलित कर सकती है. 21 नवंबर तक चने का कुल रकबा 53.71 लाख हेक्टेयर था. जबकि पिछले साल इसी समय यह 49.30 लाख हेक्टेयर था यानी इसमें 4.41 लाख हेक्टेयर का इजाफा हुआ है. उपाध्याय ने कहा, 'हमें उम्मीद है कि चने का रकबा और बढ़ेगा और इस साल यह 10 से 15 लाख हेक्टेयर के बीच रह सकता है.' केंद्र सरकार ने 2026-27 फसल वर्ष के लिए चने पर 5,875 रुपये एमएसपी घोषित किया है. 

गुजरात, महाराष्‍ट्र का भी यही हाल 

घरेलू चने की कीमतें अलग-अलग बाजारों में 5,500 रुपये से 5,800 रुपये प्रति क्विंटल के बीच चल रही हैं. जबकि आयातित ऑस्ट्रेलियाई चना 5,400-5,525 रुपये की रेंज में मिल रहा है. आईग्रेन इंडिया के राहुल चौहान ने कहा कि गुजरात, महाराष्ट्र और कर्नाटक में चने का रकबा सामान्य रहने की उम्मीद है. उन्होंने कहा, 'मध्य प्रदेश में भी चने का रकबा सामान्य ही रहने की संभावना है, हालांकि बुंदेलखंड क्षेत्र में किसान गेहूं बोना अधिक पसंद कर सकते हैं.' 

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