गुजरात में 28 नवंबर है फॉर्म भरने की आखिरी तारीख गुजरात में बेमौसमी बारिश ने किसानों के लिए बड़ी मुसीबत खड़ी कर दी है. सरकार की तरफ से पिछले दिनों राहत का ऐलान किया था. अब जो जानकारी सामने आ रही है उसके अनुसार बोटाद जिले में बेमौसम बारिश से फसल खराब होने के बाद सरकारी मदद के लिए आवेदन करने की प्रक्रिया तेजी से चल रही है. जिला कृषि अधिकारी ने बताया है कि सिर्फ 10 दिनों में करीब 57,000 किसानों ने अपने फॉर्म जमा कर दिए हैं.
जिला कृषि अधिकारी यूजे पटेल के मुताबिक सिर्फ 10 दिनों में लगभग 57,000 किसानों ने फॉर्म जमा किए हैं. आवेदन भरने का काम 14 नवंबर को शुरू हुआ था और 24 नवंबर की दोपहर तक पूरे जिले में आवेदकों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हुई. अधिकारियों का अनुमान है कि 70 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है, जबकि 30 प्रतिशत किसानों ने अभी तक अप्लाई नहीं किया है. 189 गांवों में किए गए सर्वे से पता चला है कि 1,78,611 सर्वे पैच में 33 प्रतिशत या उससे ज्यादा फसल खराब हुई है, जिससे किसान मुआवजे के योग्य हो गए हैं.
जिला कृषि अधिकारी यूजे पटेल ने बाकी सभी किसानों से 28 नवंबर की आखिरी डेडलाइन से पहले आवेदन जमा करने की अपील की है और चेतावनी दी है कि अगर वे इस तारीख को फॉर्म नहीं भरते हैं तो उन्हें जरूरी आर्थिक मदद नहीं मिल पाएगी. इससे पहले, गुजरात सरकार ने उन किसानों के लिए 10,000 करोड़ रुपए के राहत पैकेज की घोषणा की थी जिनकी खरीफ फसलें हाल ही में हुई बेमौसम बारिश की वजह से बर्बाद हो गई थीं. मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने इसे दो दशकों में सबसे खराब बताया था.
यह घोषणा राज्य द्वारा मूंगफली, मूंग, उड़द और सोयाबीन सहित मुख्य खरीफ फसलों की एमएसपी पर खरीद शुरू करने से पहले की गई थी, यह 15,000 करोड़ रुपए से ज्यादा का खरीद चक्र है. वरिष्ठ मंत्रियों के साथ प्रभावित जिलों का दौरा करने वाले सीएम पटेल ने कहा कि सरकार इस 'प्राकृतिक आपदा' के दौरान किसानों की मदद करने के लिए कमिटेड है.
उन्होंने एक आधिकारिक बयान में कहा, 'पूरी संवेदनशीलता के साथ, हम इस मुश्किल समय में अपने किसानों के साथ खड़े हैं. यह नया पैकेज सरकार की पहले की घोषणा के बाद आया है, जिसमें अगस्त और सितंबर में लंबे समय तक मॉनसून की बारिश से हुए फसल नुकसान के लिए 947 करोड़ रुपए की राहत दी गई थी.
इस बारिश से जूनागढ़, पंचमहल, कच्छ, पाटन और नए बने वाव-थराड जैसे जिले बुरी तरह प्रभावित हुए थे. इस बार बेमौसम बारिश का सबसे ज्यादा असर सौराष्ट्र और दक्षिण गुजरात के किसानों पर पड़ा है, जहां खरीफ की फसलें कटाई के लिए तैयार खड़ी थीं. सरकारी अनुमानों के मुताबिक, अक्टूबर में हुई बारिश ने 16,000 गांवों में फैली 42 लाख हेक्टेयर खेती की जमीन पर पैदावार को नुकसान पहुंचाया, जिससे राज्य के खेती वाले इलाके को बड़ा झटका लगा.
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