चिरौंजी बीज का उपयोग भारत में सूखे मेवे के रूप में खूब होता है. यह सभी प्रकार के मिष्ठान, पकवान आदि में प्रयोग किया जाता है. इस मेवे की कीमत लगभग 1000 रुपये प्रति किलोग्राम तक होती है. इसीलिए वनों पर निर्भर रहने वाले लोगों के लिए यह आजीविका का बढ़िया साधन है. असीमित गुणवत्ता तथा हाई बाजार मूल्य होने के बाद भी यह पेड़ केवल जंगल तक ही सीमित रह गया है. इसीलिए चिरौंजी के पेड़ को बागवानी में लाने की बहुत संभावनाएं हैं, जिससे अधिक से अधिक लोग इसका लाभ उठा सकें. आमतौर पर लोग इसका सेवन तो करते हैं लेकिन इसकी खेती के बारे में नहीं जानते. कृषि वैज्ञानिक नंदकिशोर ठोंबरे, लोकेश मीना, और निरंजन प्रसाद ने इसकी खेती के बारे में विस्तार से जानकारी दी है.
चिरोंजी का पेड़ आमतौर पर जंगल में पाए जाने के कारण इसका उत्पादन एवं व्यापार केवल स्थानीय लोगों तक ही सीमित रह गया है. इस पेड़ की व्यावसायिक क्षमता को ध्यान में रखते हुए इसको जंगलों तक सीमित न रखते हुए, इसके उत्पादन को बढ़ाने के लिए इसे बागवानी में लाना होगा. चिरौंजी की व्यावसायिक बागवानी करने से किसान लाभान्वित हो सकते हैं. व्यावसायिक बागवानी में लाने से चिरौंजी के उत्पादन में वृद्धि होगी, जिससे इसका निर्यात भी किया जा सकता है. किसान इसकी बागवानी करके अपनी आय में वृद्धि कर सकते हैं और जीवनस्तर सुधार सकते हैं.
चिरौंजी का पेड़ मुख्य तौर पर सूखे पर्वतीय प्रदेशों के जंगलों में मिलता है. जैसे- पूर्वी-घाट, पश्चिमी-घाट, ओडिशा, हिमाचल प्रदेश, मध्यप्रदेश, छोटा नागपुर, आदि. प्राकृतिक रूप से सभी क्षेत्रों में पाए जाने के कारण इसकी बागवानी की संभावनाएं लगभग सभी राज्यों में बहुत अधिक हैं. चिरौंजी एक सदाबहार वृक्ष है. इसकी ऊंचाई 15 से 25 फीट के आसपास होती है. इसकी छाल बहुत ही मोटी और खुरदरी (मगरमच्छ की पीठ) जैसी होती है. इसकी पत्तियां 15-20 सेंटीमीटर लम्बी एवं गोल आकार में जालीदार सिरे युक्त होती हैं. इसके फल 8-12 मि.मी. के, अंडाकार और गोलाकार होते हैं. इस वृक्ष के फल से प्राप्त गुठली को फोड़कर चिरौंजी निकाली जाती है.
चिरौंजी में प्रचुर मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है. इसके सेवन से शरीर में प्रोटीन की कमी पूरी की जा सकती है. इसे मिठाई में, सूखे मेवे के रूप में प्रयोग किया जाता है. शारीरिक कमजोरी के लिए चिरौंजी खाना बहुत फायदेमंद होता है. यह शारीरिक क्षमता का विकास भी करता है. इसे दूध के साथ पकाकर सेवन करने से सर्दी-जुकाम में फायदा होता है. इसका सौंदर्य उत्पाद में इस्तेमाल करने से चेहरे पर चमक आती है और कील-मुहांसे, दाग आदि साफ हो जाते हैं. आयुर्वेद में चिरौंजी का फल मधुर, अम्ल तथा कफ पित्तशामक माना गया है. इसका तेल पित्त विकारों में हितकारी होता है.
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