aqiभारत में हवा की गुणवत्ता लगातार गिर रही है. दिल्ली से लेकर मुंबई, लखनऊ, कानपुर, कोलकाता और बेंगलुरु तक, प्रदूषण अब कुछ शहरों की समस्या नहीं, बल्कि पूरे देश का असली संकट बन चुका है. ऐसे में लोग एयर प्यूरीफायर, मास्क, स्टीम, आयुर्वेदिक काढ़े और कई घरेलू उपायों का सहारा ले रहे हैं. लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि लगातार बढ़ते एक्यूआई के खिलाफ अगर कोई चीज अगर इस लड़ाई में मददगार साबित हो सकती है तो वह है इम्युनिटी लेकिन इसके अलावा एक और चीज इसमें सबसे ज्यादा मदद कर सकती है जिसे आप बायोफोर्टिफाइड अनाज के तौर पर जानते हैं. बायोफोर्टिफाइड अनाज आज बढ़ते एक्यूआई और वायु प्रदूषण के बीच भारत की नई ढाल बनकर उभर रहे हैं.
आज वायु प्रदूषण एक ऐसी हकीकत बन सकता है जिससे पीछा नहीं छुड़ाया जा सकता है. इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है कि आप क्लीन ईटिंग करते हैं या फिर कसरत करते हैं, या मेडिटेशन करते हैं या फिर हल्दी वाला पानी पीते हैं. दिल्ली हो या फिर मुंबई, सर्दियों के बाद एक्यूआई आपको बीमार कर सकता है. जब हवा हर साल बदतर होती जा रही है तो सिर्फ आपके फेफड़े अकेले लड़ाई नहीं लड़ रहे. आपकी इम्युनिटी को सबसे पहले इसका सामना करना पड़ता है. माइक्रोन्यूट्रिएंट्स, असल में आपकी पहली लाइन ऑफ सेफ्टी है.
बायोफोर्टिफाइड अनाज वे फसलें हैं जिन्हें वैज्ञानिक तरीके से इस तरह विकसित किया जाता है कि इनमें आयरन, जिंक, विटामिन A, प्रोटीन और अन्य माइक्रोन्यूट्रिएंट्स सामान्य अनाजों की तुलना में अधिक मात्रा में मौजूद हों. भारत में इनमें जो प्रमुख अनाज हैं, वो कुछ इस तरह से हैं-
AQI खराब होता है और प्रदूषण बढ़ता है तो प्रदूषण शरीर में ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस बढ़ाता है, जिससे सांस लेने में दिक्कत होती है, थकान महसूस होती है, इम्यूनिटी कमजोर होती है, कभी-कभी सूजन की शिकायत होती है और फेफड़ों की कार्यक्षमता पर असर पड़ता है. बायोफोर्टिफाइड अनाज इन चुनौतियों का मुकाबला करने में सीधे मदद करते हैं. इस तरह के अनाज से इम्यूनिटी मजबूत होती है. जिंक, आयरन और विटामिन A की उच्च मात्रा संक्रमणों से लड़ने की क्षमता बढ़ाती है. प्रदूषण से कमजोर इम्यून सिस्टम को इससे बड़ी मदद मिलती है.
इसके अलावा बायोफोर्टिफाइड बाजरे और दालों में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट हवा में मौजूद PM2.5 और PM10 कणों से होने वाले सेल डैमेज को कम करते हैं. फोर्टिफाइड अनाजों में मौजूद पोषक तत्व तनावग्रस्त कोशिकाओं को ऊर्जा देते हैं और उन्हें प्रदूषण के असर से बचाते हैं. प्रदूषण, बच्चों और बुजुर्गो को खासा प्रभावित करता है. अगर इनकी डाइट में बायोफोर्टिफाइड अनाज शामिल किया जाए तो जोखिम कम होता है.
भारत में लगभग 50 फीसदी से अधिक लोग माइक्रोन्यूट्रिएंट की कमी से जूझ रहे हैं. ऐसे में जब प्रदूषण लगातार बढ़ रहा है, शरीर को अंदर से मजबूत करना अनिवार्य हो गया है. सरकार भी बायोफोर्टिफाइड अनाजों को मिड-डे मील, पीडीएस और सरकारी पोषण योजनाओं में शामिल कर रही है, ताकि आम नागरिकों को अतिरिक्त पोषण आसानी से उपलब्ध हो सके. विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले वर्षों में भारत में बायोफोर्टिफाइड अनाज केवल पोषण का नहीं, बल्कि स्वास्थ्य सुरक्षा का भी आधार बनेंगे. खराब हवा से सीधे बच पाना शायद मुश्किल है, लेकिन अगर हमारी थाली पोषक तत्वों से मजबूत है, तो शरीर की लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ जाती है.
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