Basmati Rice: कहीं आप मिलावटी बासमती चावल तो नहीं खा रहे हैं? घटिया क्वालिटी पर FSSAI की सख्ती

Basmati Rice: कहीं आप मिलावटी बासमती चावल तो नहीं खा रहे हैं? घटिया क्वालिटी पर FSSAI की सख्ती

एफएसएसएआई के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जी कमला वर्धन राव ने कहा कि हमें ग्रामीण इलाकों से मिलावटी बासमती चावल और डुप्लीकेट ब्रांड्स के खिलाफ शिकायतें मिल रही हैं. हमने अपने सभी फील्ड अधिकारियों को सुपरमार्केट और रिटेल शॉप्स से बार-बार नमूने इकट्ठा करने और उन्हें परीक्षण के लिए भेजने के लिए सचेत किया है. उन्होंने कहा कि प्राधिकरण ने अगस्त 2023 में पहली बार बासमती चावल के लिए मानक निर्धारित किए थे.

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Basmati Rice: कहीं आप मिलावटी बासमती चावल तो नहीं खा रहे हैं? घटिया क्वालिटी पर FSSAI की सख्तीअसली नकली बासमती चावल की पहचान कैसे करें

अगर आप प्रीमियम क्वालिटी का बासमती चावल खरीदने जा रहे हैं तो गुणवत्ता को लेकर थोड़ा सतर्क होने की जरूरत है. क्योंकि, देश में बासमती चावल की मांग बढ़ने के साथ ही इस प्रीमियम खुशबू वाले चावल में कम बेहतर या दूसरी किस्म के चावल की मिलावट कुछ बेईमान विक्रेता कर रहे हैं. मिलावटी चावल से न केवल निर्यात पर असर पड़ता है, बल्कि ग्राहक भी गुमराह हो रहे हैं और वह बासमती के नाम पर घटिया चावल खरीदकर घर ले जा रहे हैं. बासमती चावल में मिलावट रोकने के लिए भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने बड़े स्तर पर अभियान शुरू कर दिया है. 

प्रीमियम चावल बासमती में मिलावट को रोकने और मानक तय करने के लिए भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) अभियान शुरू किया है. एफएसएसएआई ने हाल ही में इस प्रीमियम चावल किस्म के लिए मानक तय किए हैं ताकि क्वालिटी स्टैंडर्ड को बढ़ावा देने के लिए इंडस्ट्री के साथ मिलकर राष्ट्रव्यापी जागरूकता अभियान शुरू कर दिया है. इसके तहत बीते दिन गुरुवार को 10 शहरों में 'बासमती चावल-कोई समझौता नहीं' नाम से रोड शो चलाया है. रोड शो का उद्देश्य इकोसिस्टम को नए मानकों के बारे में एजुकेट करना और मिलावट के बारे में जागरूकता पैदा करना है.

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FSSAI के चावल क्वालिटी स्टैंडर्ड में 5 बिंदु शामिल 

एफएसएसएआई के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जी कमला वर्धन राव ने कहा कि हमें ग्रामीण इलाकों से मिलावटी बासमती चावल और डुप्लीकेट ब्रांड्स के खिलाफ शिकायतें मिल रही हैं. हमने अपने सभी फील्ड अधिकारियों को सुपरमार्केट और रिटेल शॉप्स से बार-बार नमूने इकट्ठा करने और उन्हें परीक्षण के लिए भेजने के लिए सचेत किया है. उन्होंने कहा कि प्राधिकरण ने अगस्त 2023 में पहली बार बासमती चावल के लिए मानक निर्धारित किए थे. बासमती चावल की खपत बढ़ रही है. इसलिए यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि गुणवत्ता मानकों का पालन किया जाए. उन्होंने कहा कि मानकों में क्वालिटी, स्वाद, खुशबू, बनावट और नमी शामिल हैं.

नॉन ब्रांडेड बासमती चावल में मिलावट 

बिजनेस लाइन की रिपोर्ट के अनुसार बासमती चावल के निर्यातक केआरबीएल लिमिटेड के बिजनेस हेड आयुष गुप्ता ने कहा कि देश में लगभग 7.5 मिलियन टन बासमती चावल का प्रोडक्शन हुआ है. इसमें से लगभग 4.5 मिलियन टन का एक्सोपर्ट किया जाता है और बाकी 3 मिलियन टन का इस्तेमाल घरेलू स्तर पर किया जाता है. 3 मिलियन टन का 60 प्रतिशत खपत हॉस्पिटैलिटी सेक्टर में होती है. जबकि, लगभग 1.8 मिलियन टन की खपत उपभोक्ता करते हैं. उन्होंने कहा कि उपभोक्ताओं के इस्तेमाल वाले बासमती चावल का एक बड़ा हिस्सा (1.2 मिलियन टन) नॉन ब्रांडेड था, जिसमें मिलावट की बहुत बड़ी गुंजाइश रहती है. इससे बासमती चावल की छवि पर असर पड़ रहा है. क्योंकि, बेइमान विक्रेता इसे सामान्य चावल की किस्मों के साथ मिला रहे हैं और सस्ते में बेच रहे हैं. 

सैंपल टेस्टिंग टूल किट के लिए फंड की जरूरत 

राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी उद्यमिता और प्रबंधन संस्थान के निदेशक हरिंदर सिंह ओबेरॉय ने कहा कि चावल के नमूनों का आसानी से टेस्टिंग के लिए एक टूल किट विकसित करने की आवश्यकता है.उन्होंने कहा कि हमने इंडस्ट्री के साथ इस पर विचार किया है. अगर हमें फंडिंग मिलती है तो हम एक सरल टेस्टिंग टूल विकसित कर सकते हैं. इसकी मदद से कुछ ही मिनटों में क्वालिटी का आकलन किया जा सकेगा. 

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क्या मिलावटी चावल हेल्थ खराब कर देता है?

हरिंदर सिंह ओबेरॉय ने कहा कि बासमती चावल में मिलावट का मतलब यह नहीं है कि यह लोगों का स्वास्थ्य खराब कर देगा. उन्होंने कहा कि विक्रेता इसे अन्य चावल की किस्मों के साथ मिलाते हैं, इसलिए कोई स्वास्थ्य जोखिम नहीं होता है. लेकिन, यह उपभोक्ताओं को धोखा देने का सवाल है. 

 

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