scorecardresearch
इस अकेले शख्स ने बनाईं सब्जी की 56 उन्नत प्रजातियां.... पढ़ें, आचार्य नरेंद्र देव यूनिवर्सिटी के कुलपति से खास बातचीत

इस अकेले शख्स ने बनाईं सब्जी की 56 उन्नत प्रजातियां.... पढ़ें, आचार्य नरेंद्र देव यूनिवर्सिटी के कुलपति से खास बातचीत

आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने देश के कृषि क्षेत्र में एक से बढ़कर एक उन्नत प्रजातियां दी हैं जिनकी बदौलत फल, सब्जियां और अनाज के उत्पादन में उत्तर प्रदेश को बड़ा फायदा पहुंचा है. विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ विजेंद्र सिंह ने किसान तक से खास बातचीत में बताया कि उनके कार्यकाल में विश्वविद्यालय में 22 तालाब बनाए गए हैं और शोध कार्यो को आगे बढ़ाने का काम किया है.

advertisement
आचार्य नरेंद्र देव कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. बिजेंद्र सिंह आचार्य नरेंद्र देव कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. बिजेंद्र सिंह

आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने कृषि क्षेत्र में एक से बढ़कर एक उन्नत प्रजातियां दी हैं जिनकी बदौलत फल, सब्जियां और अनाज के उत्पादन में उत्तर प्रदेश को बड़ा फायदा पहुंचा है. आचार्य नरेंद्र देव कृषि विश्वविद्यालय के द्वारा अब तक 196 से अधिक प्रजातियों को विकसित किया गया है. 15 जनवरी 1974 को प्रदेश के अयोध्या के कुमारगंज में स्थापित इस कृषि विश्वविद्यालय ने देश को एक से बढ़कर एक वैज्ञानिक भी दिए हैं. विश्वविद्यालय के गौरव को बनाए रखने की जिम्मेदारी मौजूदा कुलपति डॉ विजेंद्र सिंह के कंधों पर है. उन्होंने विश्वविद्यालय को और भी समृद्ध करने का प्रयास किया है जिसकी बदौलत विश्वविद्यालय को आईसीएआर की रैंकिंग में फायदा मिला है. 

विश्वविद्यालय की रैंकिंग में हुआ सुधार 

उत्तर प्रदेश के अयोध्या के कुमारगंज में स्थित आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय को 1974 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के द्वारा स्थापित किया गया. विश्वविद्यालय के नाम कृषि क्षेत्र में कई उपलब्धियां भी दर्ज हैं. वर्तमान कुलपति के द्वारा किए गए कार्यों से विश्वविद्यालय की रैंकिंग में सुधार जारी है. 2020 में इंडियन एग्रीकल्चरल रिसर्च इंस्टीट्यूट की रैंकिंग में विश्वविद्यालय को 45वां स्थान प्राप्त था, लेकिन 2023 की नेशनल इंस्टीट्यूशन रैंकिंग फ्रेमवर्क की रैंकिंग में 35वां स्थान मिला है. 

इन किस्मों से विश्वविद्यालय को मिली पहचान  

आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने देश को एक से बढ़कर एक उन्नत किस्म की प्रजातियां दी हैं जिनमें आंवला और बेल के साथ-साथ हल्दी की कई प्रजातियों का बड़े भू-भाग पर कब्जा है. विश्वविद्यालय के द्वारा आंवला की ND-7 नाम की एक खास प्रजाति विकसित की गई है. इस प्रजाति का आज भी आंवला के उत्पादन में 85 से 90 फ़ीसदी का योगदान है.

इसी तरह बेल की प्रजाति में नरेंद्र बेल-5, नरेंद्र बेल-7 और नरेंद्र बेल-9 किस्म को किसानों के द्वारा बड़े विभाग पर उगाया जा रहा है. विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ विजेंद्र सिंह ने किसान तक से बात करते हुए बताया कि विश्वविद्यालय के द्वारा 40 साल पहले धान की एक प्रजाति विकसित हुई थी जिसे सरयू-52 नाम दिया गया था. यह प्रजाति आज भी झारखंड, पूर्वी बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के किसानों के द्वारा बड़े क्षेत्रफल में उगाई जा रही है. आज भी धान के कुल उत्पादन में 19 फ़ीसदी का योगदान है. नरेंद्र देव कृषि विश्वविद्यालय के द्वारा 35 फसलों की 196 प्रजातियों को विकसित किया गया है जिनमें 62 सब्जी की प्रजातियां भी शामिल हैं. 

ये भी पढ़ें :Model village: यूपी के इस जिले में प्राकृतिक खेती के लिए बनेंगे 50 मॉडल गांव, यहाँ होगी प्राकृतिक विधि से मोटे अनाज की खेती

22 नए तालाबों से जल संरक्षण को मिली तेजी 

आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ विजेंद्र सिंह ने किसान तक से खास बातचीत में बताया कि विश्वविद्यालय के पास 80 से 90 एकड़ से ज्यादा बंजर भू-भाग था जिसको अथक प्रयास के द्वारा उपजाऊ बनाया गया है. उनके कार्यकाल में विश्वविद्यालय में 22 तालाब बनाए गए हैं. इन तालाबों के माध्यम से जहां वर्षा जल का संचय हो रहा है तो वही हॉस्टल और कर्मचारियों के आवास से निकलने वाले पानी का भी उपयोग किया जा रहा है. इन तालाबों के माध्यम से वाटर रिचार्ज भी हो रहा है. इसके अलावा फॉर्म की फसलों को सिंचाई की सुविधा मिल रही है. दूसरी तरफ मछली पालन के माध्यम से विश्वविद्यालय के राजस्व में बढ़ोतरी हुई है. 

कृषि विज्ञान केंद्रों की संख्या में हुई बढ़ोतरी 

डॉ सिंह ने बताया कि विश्वविद्यालय के पास वर्तमान में 22 कृषि विज्ञान केंद्र हैं जिनकी संख्या पहले 17 थी. वही उनके कार्यकाल में कृषि विज्ञान केंद्र की 26 किलोमीटर से ज्यादा बाउंड्री बनाई गई है. इसके साथ ही 18 किलोमीटर की सड़क भी बनाई गई है. 27 नए ट्रैक्टर खरीदे गए हैं और 24 सोलर ट्यूबवेल भी लगाए गए हैं. वर्तमान में विश्वविद्यालय के अंतर्गत काम करने वाले कृषि विज्ञान केंद्र अपनी पूरी क्षमता के साथ कृषि क्षेत्र में पूरा सहयोग दे रहे हैं.

ये भी पढ़ें :यूपी के इस जिले में शुरू होगी हरित शवदाह प्रणाली, 60 फ़ीसदी लकड़ी की होगी बचत, जानिये कैसे

10 करोड़ की लागत से बन रहा टिश्यू कल्चर लैब

आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में 10 करोड़ की लागत से केले का टिश्यू कल्चर लैब स्थापित किया जा रहा है. पूर्वांचल के क्षेत्र में तेजी से केले की खेती का विस्तार हो रहा है. केले की खेती के लिए विश्वविद्यालय के योगदान के साथ-साथ कृषि विज्ञान केंद्र का भी बड़ा सहयोग किसानों को मिल रहा है. कुलपति डॉ. विजेंद्र सिंह के प्रयासों के चलते मुख्यमंत्री के द्वारा विश्वविद्यालय को केले का टिश्यू कल्चर लैब की सौगात मिली है. इस लैब के स्थापित होने से किसानों को आने वाले समय में बड़ा फायदा होगा.

सब्जी की 56 प्रजातियां कर चुके हैं विकसित 

आचार्य नरेंद्र देव कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति बनने से पहले डॉ. विजेंद्र सिंह सब्जियों की प्रजातियों को विकसित करने वाले एक उत्कृष्ट वैज्ञानिक के तौर पर जाने जाते थे. उन्होंने सब्जी की कुल 56 प्रजातियां विकसित की हैं जिसमें सबसे ज्यादा 15 भिंडी की प्रजातियां शामिल हैं. उनके द्वारा भिंडी की लाल किस्म काशी लालिमा को विकसित किया गया. उन्होंने किसान तक को बताया कि 1992 में स्थापित भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान में निदेशक के रूप में कार्य करने के दौरान उन्होंने सब्जी के क्षेत्र में बड़े-बड़े अनुसंधान किए. उन्होंने भिंडी की पांच हाइब्रिड प्रजातियों को भी विकसित किया है.

लाल रंग की भिंडी सामान्य भिंडी की अपेक्षा ज्यादा पोषक तत्वों से युक्त है. इसके अलावा उन्होंने चिकनी तोरई, लौकी, मूली की चार किस्में, फूलगोभी और टमाटर की तीन-तीन, बथुआ ,गाजर की दो-दो प्रजातियों को विकसित किया है. उन्होंने मिर्च की दो, खीरे, परवल, चोलाई, बैगन, कुम्हड़ा, पेठा की प्रजातियों को विकसित किया है. डॉ विजेंद्र सिंह ने अब तक 217 से ज्यादा शोध पत्र, 11 पुस्तकें और 43 तकनीकी बुलेटिन प्रकाशित किए हैं.

सब्जी की खेती के विकास और उत्पादक किसानों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए उन्होंने टाटा कंसल्टेंसी के सहयोग से देश का पहला सब्जी ज्ञान मोबाइल एप विकसित किया जिससे आज लाखों की संख्या में किसान लाभान्वित हो रहे हैं. इन्हीं उपलब्धियां के चलते उन्हें रफी अहमद किदवई पुरस्कार से भी सम्मानित हो चुके हैं. फिलहाल आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में उन्हें कुलपति का दूसरा कार्यकाल मिला है.