देश में पिछले कुछ सालों से फूलों की खेती किसानों के बीच काफी तेजी से बढ़ता जा रहा है. उसमें गेंदा के फूल की मांग काफी अधिक रही है. गेंदा भारतीय फूलों में अत्यंत लोकप्रिय है. इसे पूरे वर्ष उगाया जा सकता है. गेंदा की खेती पूरे साल बहुत ही आसानी से की जाती है और मंडियों में पूरे वर्ष इसकी मांग बनी रहती है. इससे किसान बहुत ही कम समय में गेंदा की खेती से अच्छा पैसा कमा सकते हैं. यह बहुत महत्वपूर्ण फूल है क्योंकि यह व्यापक रूप से धार्मिक और सामाजिक कार्यों में प्रयोग किया जाता है. वहीं कीटों को पकड़ने के लिए भी इस फसल का प्रयोग किया जाता है.
वहीं, अगर आप भी गेंदे की कुछ ऐसी ही किस्म की तलाश कर रहे हैं, तो आप गेंदे की हाइब्रिड किस्म पूसा बहार की खेती कर सकते हैं. आइए बताते हैं कहां सस्ते में मिलेगा ये बीज और क्या है इस बीज की खासियत.
राष्ट्रीय बीज निगम (National Seeds Corporation) किसानों की सुविधा के लिए ऑनलाइन गेंदे की उन्नत किस्म पूसा बहार का बीज बेच रहा है. इस बीज को आप ओएनडीसी के ऑनलाइन स्टोर से खरीद सकते हैं. किसान इसे ऑनलाइन ऑर्डर करके अपने घर पर डिलीवरी करवा सकते हैं.
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— National Seeds Corp. (@NSCLIMITED) May 3, 2024
गेंदे के फूल के इस किस्म की बहुत सारी खासियत है. अफ्रीकन गेंदे की यह किस्म बुआई के 90-100 दिनों में फूल देना शुरू कर देता है. वहीं इसके पौधों की ऊंचाई 75-85 सेमी तक होती है. इसके अलावा इस फूल का वजन 15 से 16 ग्राम का होता है. साथ ही इस किस्म के फूल की क्वालिटी काफी अच्छी होती है. यह किस्म सजावट के लिए बेस्ट मानी जाती है.
अगर आप भी गेंदे की उन्नत किस्म पूसा बहार की खेती करना या अपने घर में लगाना चाहते हैं तो पूसा बहार किस्म के 1000 बीज फिलहाल 43 फीसदी की छूट के साथ 2079 रुपये में राष्ट्रीय बीज निगम की वेबसाइट पर मिल जाएंगे. इसे खरीद कर आप आसानी से गेंदे की फूल की खेती कर बेहतर मुनाफा कमा सकते हैं.
गेंदे की फसल लेने के लिए भूमि को तैयार करते समय एक गहरी जुताई कर तीन-चार जुताई कल्टीवेटर से कर लेनी चाहिए. फिर खेत को समतल बना लें. इसके अलावा जुताई के समय 15-20 टन सड़ी हुई गोबर खाद या कंपोस्ट खाद जमीन में मिला दें ताकि उपज अच्छी मिले. इसके अलावा छह बोरी यूरिया, 10 बोरी सिंगल सुपर फास्फेट और तीन बोरी पोटाश प्रति हेक्टेयर के हिसाब से खेतों में मिला दें. साथ ही यूरिया की दूसरी और तीसरी मात्रा को रोपाई के 30 दिन और 45 दिन बाद पौधों के आसपास कतारों के बीच में दें.
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