देश में खादों की बिक्री बढ़ी है. सभी खादों की बात करें तो इसकी बिक्री में दो फीसद की बढ़ोतरी हुई है जबिक यूरिया में सात परसेंट तक. मौजूदा वित्त वर्ष में अप्रैल से फरवरी के बीच डीएपी यानी कि डाई अमोनियम फॉस्फेट की बिक्री 15 परसेंट तक बढ़ी है. दूसरी ओर कुछ खाद ऐसे भी हैं जिनकी बिक्री में गिरावट आई है. इन खादों में म्यूरिएट ऑफ पोटाश यानी कि MoP और कॉम्प्लेक्स खाद शामिल हैं. यहां कॉम्प्लेक्स खाद का मतलब उन खादों से है जिनमें कई तरह के उर्वरक मिलाकर तैयार किए जाते हैं. खादों के दाम के उतार-चढ़ाव पर विशेषज्ञों ने चिंता जाहिर की है. उनका कहना है कि इससे मिट्टी में खादों इनबैलेंस होगा.
विशेषज्ञों ने कहा है कि खादों के दाम में बदलाव नहीं किए गए तो किसी खाद का प्रयोग बढ़ जाएगा, तो किसी का घट जाएगा. इससे मिट्टी में खादों का इनबैलेंस बढ़ेगा. फसलों की सेहत के लिए यह अच्छी बात नहीं है. 2021-22 में देश में पहली बार पिछले पांच साल में यूरिया की खपत घटी थी. लेकिन इस बार यह 341.18 लाख टन पर पहुंच गई. पिछले साल यह खपत कम रही थी.
सरकार को हालांकि उम्मीद है कि आने वाले समय में यूरिया की खपत घटेगी क्योंकि नैनो यूरिया का प्रयोग शुरू हो गया है. नैनो यूरिया पर कोई सब्सिडी नहीं है जिससे यूरिया के इस्तेमाल में कमी आने की संभावना है. लेकिन इस ट्रेंड को बदलने में अभी समय लगेगा. यूरिया सबसे सस्ती खाद है जिसकी वजह से किसान उसे अधिक तरजीह देते हैं. यूरिया सस्ती होने के चलते दूसरे नाइट्रोजन पोषक खादों में भी इसका इस्तेमाल बढ़ जाता है. यही वजह है कि इसकी बिक्री बढ़ी हुई है.
एमओपी खाद का रेट अभी 400 रुपये प्रति बोरी चल रहा है जो कि डीएपी से थोड़ा अधिक है. पहले एमओपी और डीएपी का रेट बराबर चल रहा था, लेकिन अभी एमओपी की कीमत अधिक है. कॉम्प्लेक्स खाद की कीमत भी बढ़ी हुई है. एक्सपर्ट का कहना है कि जब तक खादों के अलग-अलग रेट को नहीं सुधारा जाता, तब तक उनके बेतरतीब इस्तेमाल को नहीं रोक पाएंगे. किसान उन खादों का प्रयोग अधिक करते हैं जो सस्ता है जबकि महंगे खाद को रोक दिया जाता है. इससे मिट्टी में पोषक तत्वों की मात्रा भी गड़बड़ होती है.
एक्सपर्ट कहते हैं, यूरिया का रेट कुछ बढ़ा दिया जाए तो उसके अत्यधिक इस्तेमाल पर रोक लग सकती है. अभी हाल में उर्वरक मंत्रालय ने कहा था कि सरकार खाद्य सुरक्षा को बिना प्रभावित किए खादों के इस्तेमाल को कम करना चाहती है. साथ ही, जबतक कोई वैकल्पिक खाद का इंतजाम नहीं हो जाता, तबतक केमिकल खाद का प्रयोग कम करने की सलाह किसानों को नहीं दी जाएगी.
'बिजनेसलाइन' की एक रिपोर्ट कहती है, इस साल सभी खादों की बिक्री लगभग 560 लाख टन तक पहुंच गई जो पिछले साल 547 लाख टन थी. यूरिया की बिक्री बढ़कर 101 लाख टन तक पहुंच गई है जबकि एमओपी में 34 परसेंट की गिरावट आई है. अभी यूरिया का दाम 266.5 रुपये प्रति बोरी पहुंच गया है. एक बोरी का वजन 45 किलो होता है. 50 किलो वाली डीएपी खाद का दाम 1750 रुपये और कॉम्प्लेक्स खाद का दाम 1200 से 1800 रुपये पर चल रहा है.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today