उत्तर प्रदेश में सूखे और बाढ़ से प्रभावित किसानों के लिए राहतभरी खबर है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने बाढ़ और सूखे से प्रभावित किसानों को सब्सिडी पर मक्का, बाजरा, ज्वार, दलहन और तिलहन जैसी फसलों के बीज उपलब्ध कराने का फैसला लिया है. कहा जा रहा है कि सरकार ने यह कदम बाढ़ और सूखे से प्रभावित किसानों की मदद करने के लिए उठाया है. उसे उम्मीद है कि इसके इस कदम से किसानों को काफी हद तक फायदा होगा.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में कई इलाकों में औसत से काफी कम बारिश होने और कई जिलों में बाढ़ आने से धान की फसलों को बहुत अधिक नुकसान पहुंचा है. ऐसे में कृषि विभाग किसानों को उनके नुकसान को कम करने के सब्सिडी पर बीज दे रहा है. कहा जा रहा है कि सरकार स्थानीय मक्का, संकर मक्का और पॉपकॉर्न मक्का की खेती करने वाले किसनों को 6,000 रुपये प्रति हेक्टेयर अनुदान दे रही है. जबकि, बेबी कॉर्न मक्का के लिए अनुदान 40,000 रुपये प्रति हेक्टेयर है. वहीं, स्वीट कॉर्न मक्का के लिए अनुदान 50,000 रुपये प्रति हेक्टेयर तय किया गया है.
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जानकारी के मुताबिक, यूपी के हर ब्लॉक में निजी कंपनियों के मक्का, बाजरा और ज्वार के संकर बीजों के स्टॉल लगाए जा रहे हैं. इन बीजों पर 50 प्रतिशत अनुदान सीधे किसानों के खातों में जमा किया जा रहा है. ऐसे भी मक्के की पौष्टिकता के चलते मार्केट में बहुत मांग रहती है. इसकी पैदावार भी प्रति क्विंटल बेहतर है.
मौसम विभाग के अनुसार, जुलाई में अच्छी बारिश की उम्मीद कम है. ऐसे में राज्य के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने हाल ही में धान की बुवाई के लिए बारिश का इंतजार कर रहे किसानों को अन्य फसलों की तरफ रूख करने की सलाह दी है. उन्होंने सुझाव दिया कि विकल्प के रूप में किसान मक्का, बाजरा, ज्वार, दलहन और तिलहन की खेती कर सकते हैं. इसके लिए सरकार ने त्वरित मक्का विकास कार्यक्रम और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत राज्य के सभी 75 जिलों में संकर मक्का के सामान्य बीज पर 50 प्रतिशत सब्सिडी देने का फैसला किया है.
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सरकार सभी ब्लॉकों में विभागीय बिक्री केंद्रों पर फिंगर बाजरा के लिए मुफ्त बीज मिनीकिट उपलब्ध करा रही है. दलहन और तिलहन के बीज भी सामान्य वितरण कार्यक्रम के माध्यम से उपलब्ध हैं. किसान सब्सिडी लागू होने के बाद कीमत का केवल 50 प्रतिशत भुगतान करके POS मशीन के माध्यम से ये बीज प्राप्त कर सकते हैं. इनमें से अधिकांश फसलों को कम पानी की आवश्यकता होती है और उनकी वृद्धि अवधि कम होती है.
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