उत्तर प्रदेश गन्ना उत्पादन से लेकर चीनी के उत्पादन में नंबर वन बनाने में किसी एक प्रजाति का सबसे बड़ा रोल है तो वह है 0238. गन्ने की इस प्रजाति ने पूरे विश्व में अपना डंका बजाया. गन्ने की इस प्रजाति का पूरे विश्व की सबसे बड़े भू-भाग पर बोई जाने का रिकॉर्ड भी रहा है. फिलहाल यह प्रजाति रोग ग्रस्त हो चुकी है जिसके चलते अब किसान इस प्रजाति के विकल्प के रूप में नई प्रजाति को ढूंढ रहे हैं. भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान के द्वारा फरवरी महीने में ऐसी ही एक नई प्रजाति को रिलीज किया गया. को.लख.16202 नाम से यह प्रजाति रिलीज हुई है. इस प्रजाति की उत्पादन क्षमता प्रति हेक्टेयर 0238 से बेहतर है. वही शुगर रिकवरी भी 0238 के बराबर है और तो और यह प्रजाति उकठा और लाल सड़न रोग के प्रति भी रोधी है जिसके चलते किसान इस किस्म को लेकर काफी ज्यादा उत्साहित दिखाई दे रहे हैं. इस प्रजाति के बीज को लेकर किसानों में खूब मारा मारी है. इस बार संस्थान के द्वारा 3000 किसानों को इस प्रजाति का बीज दिया गया है और आगे के सालों में और भी ज्यादा किसानों को ही इस प्रजाति का बीज उपलब्ध होगा।
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गन्ने की वैसे तो देश भर में सैकड़ो प्रजातियां हैं लेकिन कुछ ही प्रजाति ऐसी है जिसको किसान सबसे ज्यादा पसंद करते हैं. बीते एक दशक से ज्यादा समय तक भारत में गन्ने के सबसे ज्यादा भू-भाग पर 0238 प्रजाति का कब्जा रहा है. इस प्रजाति के जनक पद्मश्री से सम्मानित डॉ.बख्शी राम है. उनकी इस प्रजाति ने किसानों किस्मत भी बदलने का काम किया है. इस प्रजाति के रोग ग्रस्त होने के चलते अब भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान लंबे समय के बाद एक नई प्रजाति को रिलीज किया है जिसमें 0238 जैसे ही गुण मौजूद है. गन्ने की को.लख.16202 प्रजाति की उत्पादन क्षमता प्रति हेक्टेयर 980 क्विंटल तक है जबकि शुगर रिकवरी की क्षमता भी 0238 के बराबर है. यह प्रजाति अब गन्ना किसानों को काफी ज्यादा भाने लगी है. यह गन्ने की अगेती प्रजाति है जिसका पहली बार भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान से बीज भी उपलब्ध कराया गया है.
भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. संजीव कुमार ने बताया की को.लख. 16202 प्रजाति इसी साल फरवरी महीने में यूपी के लिए रिलीज किया गया है. इस वैरायटी को 0238 का विकल्प देखा जा रहा है. यह वैरायटी जब से रिलीज हुई है गन्ना किसानों के बीच इसकी काफी ज्यादा मांग बढ़ गई है. मार्च महीने में जब बसंत कालीन गन्ने की बुवाई चल रही थी तो उसे दौरान इस प्रजाति की सबसे ज्यादा मांग थी. हालांकि पहले साल करीब 3000 किसानों तक ही इसका बीज उपलब्ध कराया जा सका है. आगे और भी ज्यादा किसानों तक इसकी उपलब्धता होगी.
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