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मंजर में टिकोले नहीं आए तो तुरंत करें इन खादों का स्प्रे, दवा की सही मात्रा भी जान लें

मंजर में टिकोले नहीं आए तो तुरंत करें इन खादों का स्प्रे, दवा की सही मात्रा भी जान लें

आम की खेती के और भी व्यापक लाभ हैं. हिन्दू धर्म में आम के सभी भाग जैसे लकड़ियां, पत्ते आदि पूजन सामग्री के रूप में उपयोग किये जाते हैं. इसके अलावा इससे स्वादिष्ट फल तो मिलते ही हैं, इसकी लकड़ी भी काफी ऊंची कीमत पर बिकती है. इतना ही नहीं, अगर आम का बगीचा लगाया जाता है तो अगले 10 साल तक उसी बगीचे में अन्य फसलें भी उगाई जा सकती हैं.

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आम के टिकोले ना आने पर करें ये काम आम के टिकोले ना आने पर करें ये काम

आम की खेती लगभग पूरे देश में की जाती है. यह इंसानों का बहुत पसंदीदा फल माना जाता है, इसमें मिठास के साथ खट्टापन भी मिला हुआ होता है. विभिन्न प्रजातियों के अनुसार फल में कम या ज्यादा मिठास पाई जाती है. कच्चे आम का उपयोग चटनी, अचार और कई प्रकार के पेय पदार्थों के रूप में किया जाता है. इससे जेली, जैम, सिरप आदि बनाये जाते हैं. यह विटामिन ए और विटामिन बी का अच्छा स्रोत है.

आम की खेती के लिए सही तापमान

आम की खेती उष्णकटिबंधीय और समशीतोष्ण दोनों जलवायु में की जाती है. आम की खेती समुद्र तल से 600 मीटर की ऊंचाई तक सफल होती है. इसके लिए 23.5 से 32.6 डिग्री सेंटीग्रेड का तापमान सर्वोत्तम है. आम की खेती सभी प्रकार की भूमि में की जा सकती है. परंतु इसे रेतीली, पथरीली, क्षारीय तथा जल भराव वाली भूमियों में उगाना लाभकारी नहीं होता तथा अच्छे जल निकास वाली दोमट भूमि सर्वोत्तम मानी जाती है.

आम की खेती के फायदे

आम की बागवानी करने के कई कारण हैं, इसमें पानी की भी कम आवश्यकता होती है. आम की खेती के और भी व्यापक लाभ हैं. हिन्दू धर्म में आम के सभी भाग जैसे लकड़ियां, पत्ते आदि पूजन सामग्री के रूप में उपयोग किये जाते हैं. इसके अलावा इससे स्वादिष्ट फल तो मिलते ही हैं, इसकी लकड़ी भी काफी ऊंची कीमत पर बिकती है. इतना ही नहीं, अगर आम का बगीचा लगाया जाता है तो अगले 10 साल तक उसी बगीचे में अन्य फसलें भी उगाई जा सकती हैं, जब तक कि वे फलने-फूलने न लगें. शुरुआती 8 से 10 साल तक अतिरिक्त आय अर्जित की जा सकती है. इसके बाद आपको आम के बगीचे से ही अच्छी खासी आमदनी हो जाएगी. इसके लिए आपको खास खयाल रखना होगा. ऐसे में अगर आप आम की खेती कर रहे हैं और मंजर में टिकोले नहीं तो आप तुरंत इन खादों का इस्तेमाल कर नुकसान होने से बच सकते हैं. 

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मंजर में टिकोले के लिए दें ये खाद

  • पहला छिड़काव- आम में पहला छिड़काव मंजर निकलने के पहले किसी अनुशंसित कीटनाशी के साथ किया जा सकता है, जिससे कीटनाशी पेड़ के छाल के दरारों में छुपे मधुआ कीट तक पहुंचे .
  • दूसरा छिड़काव- मंजरों में मटर के बराबर दाने लग जाने पर कीटनाशी के साथ फफूंदनाशी को मिलाने की अनुशंसा है, जो फलों को गिरने से रोकता है.
  • तीसरा छिड़काव- आम के टिकोले मटर के दाने के बराबर हो जाने पर तीसरा छिड़काव करना चाहिए, तीसरे छिड़काव में कीटनाशी के साथ फफूंदनाशी को मिलाकर छिड़काव किया जाना चाहिए"

मंजर को बचाने के लिए करें ये उपाय

  • यदि मंजर के समय बूंदाबांदी हो तो घुलनशील सल्फर या कार्बेन्डाजिम या हेक्साकोनाजोल का छिड़काव अवश्य करना चाहिए.
  • दहिया कीट नियंत्रण के लिए कीटनाशक के तैयार घोल में एक स्टीकर जरूर डालें.
  • फलों और फूलों को गिरने से बचाने के लिए दूसरे और तीसरे छिड़काव में कीटनाशक का उपचार अल्फा नेफ्थाइल एसिटिक एसिड 4.5% SL 4 मिलीलीटर प्रति 10 लीटर की दर से तैयार घोल से करना चाहिए.
  • दूसरे छिड़काव में सल्फर 80 घुलनशील चूर्ण 3 ग्राम प्रति लीटर घोल में मिलाना लाभकारी होगा.
  • अल्फ़ा नेफ़थाइल एसिटिक एसिड 4.5% एस.एल. छिड़काव में अनुशंसित मात्रा निर्धारित मात्रा से अधिक होने पर मंजर जल जाता है. इस बात का किसानों को खास ख्याल रखना चाहिए.