अगले खरीफ सीजन में खादों की नहीं होगी कमी, सभी उर्वरकों के उत्पादन में आया उछाल

अगले खरीफ सीजन में खादों की नहीं होगी कमी, सभी उर्वरकों के उत्पादन में आया उछाल

जनवरी 2025 में बिक्री 33 प्रतिशत और दिसंबर 2024 में मांग अनुमान के मुकाबले 29 प्रतिशत अधिक रही. अक्टूबर 2024 में खाद की बिक्री मांग से 33 प्रतिशत कम रही और नवंबर में 6 प्रतिशत की गिरावट आई. ये दोनों महीने रबी सीजन में खादों के इस्तेमाल के लिए अहम महीने हैं.

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अगले खरीफ सीजन में खादों की नहीं होगी कमी, सभी उर्वरकों के उत्पादन में आया उछालदेश में खादों की बिक्री में उछाल

फरवरी में प्रमुख खादों - यूरिया, डीएपी, एमओपी और कॉम्प्लेक्स - की बिक्री मासिक मांग से 11 प्रतिशत अधिक रही. यह लगातार तीसरा महीना है जब खादों की बिक्री मांग से अधिक रही है. यूरिया के आयात में कटौती के बीच, पिछले साल अक्टूबर-नवंबर के दौरान कम सप्लाई के कारण देश को खादों की गंभीर कमी का सामना करना पड़ा था. अब स्थिति में सुधार है और मांग से अधिक बिक्री दर्ज की जा रही है.

जनवरी 2025 में बिक्री 33 प्रतिशत और दिसंबर 2024 में मांग अनुमान के मुकाबले 29 प्रतिशत अधिक रही. अक्टूबर 2024 में खाद की बिक्री मांग से 33 प्रतिशत कम रही और नवंबर में 6 प्रतिशत की गिरावट आई. ये दोनों महीने रबी सीजन में खादों के इस्तेमाल के लिए अहम महीने हैं.

खरीफ की तैयारी अभी से

एक्सपर्ट इस सुधार के पीछे सरकार की तैयारियों को वजह मानते हैं. एक्सपर्ट कहते हैं कि पिछले साल बुवाई सीजन में खादों की कमी के बाद सरकार ने सबक सीखा और आगे हालात सुधारने के प्रयास किए. साल 2024 मध्य पूर्व में फैसी अशांति की वजह से खादों की सप्लाई पर बुरा असर पड़ा था. इससे भारत में भी खादों की किल्लत देखी गई.

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एक एक्सपर्ट ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, "कम से कम सरकार ने सबक सीखा है, क्योंकि पिछले त्योहारी सीजन में किसानों को एक बैग खाद खरीदने के लिए लंबी कतारों में खड़े होकर लाठियों का सामना करना पड़ा था. उम्मीद है कि आगामी खरीफ सीजन में संकट का दोहराव नहीं होगा."

यूरिया की बिक्री में उछाल

ताजा आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-फरवरी के दौरान यूरिया की बिक्री 371.19 लाख टन तक पहुंच गई, जो एक साल पहले 342.13 लाख टन से 8.5 फीसदी अधिक है, जबकि एमओपी की बिक्री 15.23 लाख टन से बढ़कर 20.42 लाख टन (34.1 फीसदी अधिक) और कॉम्प्लेक्स की बिक्री 112 लाख टन से बढ़कर 143.05 लाख टन (27.7 फीसदी अधिक) हो गई.

केवल डीएपी की बिक्री 106.37 लाख टन से घटकर 93.47 लाख टन रह गई, जिसका मुख्य कारण नवंबर 2024 के मध्य तक इस खाद की कमी है. इन सभी चार प्रकार की खादों की चालू वित्त वर्ष में फरवरी तक कुल बिक्री 628.13 लाख टन दर्ज की गई है, जबकि एक साल पहले यह 575.73 लाख टन थी.

वित्त वर्ष 2025 के अप्रैल-फरवरी के दौरान सभी खादों का उत्पादन 2.4 प्रतिशत बढ़कर 476.86 लाख टन हो गया, जिसमें यूरिया 281.89 लाख टन (289.14 लीटर), डीएपी 36.51 लाख टन (40.74 लीटर), कॉम्प्लेक्स 103.27 लाख टन (88.6 लीटर), एसएसपी 48.15 लाख टन (41.34 लीटर) और अमोनियम सल्फेट 7.04 लाख टन (5.81 लीटर) शामिल हैं.

यूरिया सब्सिडी भी बढ़ी

फरवरी तक 11 महीनों के दौरान देश में यूरिया आयात 51.69 लाख टन दर्ज किया गया, जबकि एक साल पहले यह 66.67 लाख टन था - यानी 22.5 प्रतिशत की गिरावट. वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान रिकॉर्ड 98.28 लाख टन यूरिया आयात हुआ था. कुल खादों का आयात भी 11.6 प्रतिशत घटकर 141.86 लाख टन रह गया, जिसमें कॉम्प्लेक्स आयात घटकर 19.05 लाख टन (19.96 लीटर) और डीएपी 44.19 लाख टन (53.13 लीटर) रह गया.

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इस बीच, यूरिया सब्सिडी 119,414.43 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है, जो 1,19,000 करोड़ रुपये के संशोधित अनुमान से अधिक है, जबकि पोटाश और फास्फोरस 49,523.43 करोड़ रुपये (52,310 करोड़ संशोधित अनुमान के मुकाबले) तक पहुंच गई है, जो कुल मिलाकर 2024-25 के बजट (संशोधित अनुमान) में आवंटित 1,71,310 करोड़ रुपये का 98.6 प्रतिशत है.

 

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