
खरीफ सीजन की मुख्य फसल धान है. मसलन, ये खरीफ सीजन शुरू होने वाला है. इससे पहले इंटरनेशनल राइस रिसर्च इंस्टीट्यूट और काशी हिंदू विश्वविद्यालय ने किसानों के लिए धान की एक नई किस्म जारी की है. धान की इस नई किस्म का नाम मालवीय मनीला सिंचित धान -1 है, जिसे पूरे देश के किसानों के लिए जारी किया गया है. धान की इस किस्म की सबसे बड़ी खास बात है यह 115 दिन में तैयार हो जाती है. वहीं सूखाग्रस्त क्षेत्र में भी यह भरपूर उत्पादन देने वाली किस्म हैं. धान की इस किस्म का प्रति हेक्टेयर 64 क्विंटल तक इसका उत्पादन है, जो किसी भी पतले चावल के लिए काफी बेहतर माना गया है.
धान की यह किस्म को विकसित करने में काशी हिंदू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर श्रवण कुमार सिंह को 15 साल लग गए. 2008 से ही इस धान की इस किस्म को विकसित करने में साथी वैज्ञानिकों के साथ लगे हुए थे. उनके इस काम में इंटरनेशनल राइस रिसर्च इंस्टीट्यूट के 2 वैज्ञानिक भी थे.
मालवीय मनीला सिंचित धान -1 किस्म को विकसित करने वाले कृषि वैज्ञानिक प्रोफेसर श्रवण कुमार सिंह ने किसान तक को बताया कि उनके द्वारा विकसित धान की यह किस्म रोपाई से 115 से 118 दिन में तैयार हो जाती है. वहीं दूसरी धान की किस्मों के मुकाबले इसमें सिंचाई की बहुत कम जरूरत होती है. सामान्यतः यह दो सिंचाई में भी भरपूर उत्पादन देने वाली किस्म है. देश के उत्तर प्रदेश की नहीं बल्कि बिहार और उड़ीसा के लिए भी धान की यह किस्म उपयुक्त पाई गई है. बासमती जैसी दिखने वाली धान की इस किस्म का प्रति हेक्टेयर में उत्पादन 55 से 64 क्विंटल तक है. वहीं मिलिंग के बाद खड़ा चावल निकालने का प्रतिशत भी इस धान में 63.50% है, जो किसी भी महीन चावल के मुकाबले काफी ज्यादा है.
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जलवायु परिवर्तन कृषि के लिए एक बड़ी समस्या है. इन दिनों अक्सर फसल तैयार होने के करीब बारिश और ओलावृष्टि से फसलों को काफी नुकसान होता है. ऐसी में धान की नई किस्म मालवीय मनीला सिंचित धान-1 पर जलवायु परिवर्तन का खास असर नहीं होता है. इस धान का तना 102 से 110 सेंटीमीटर होता है, जो अन्य धान के मुकाबले काफी मजबूत होता है, जिसकी वजह से यह हल्की-फुल्की आंधी और ओले से कम प्रभावित होता है. इस धान के चावल की लंबाई भी 7 मिलीमीटर और मोटाई 2.1 मिलीमीटर तक नापी गई है.
धान की नई किस्म को विकसित करने वाले वैज्ञानिक प्रोफेसर श्रवण कुमार सिंह ने बताया मई 2024 तक किसानों के लिए मालवीय मनीला सिंचित धान1 किस्म के बीज को उपलब्ध किया जा सकेगा. अभी इसके बीज के प्रोडक्शन की तैयारी की जा रही है. किसानों को भी धान की इस किस्म का खूब इंतजार है. प्रोफेसर श्रवण कुमार सिंह ने बताया कि बीएचयू किए डॉ.जयसुधा एस, डॉ. धीरेंद्र कुमार सिंह, डॉ. आकांक्षा सिंह और अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान मनीला के वैज्ञानिक डॉ अरविंद कुमार और डॉ. विकास कुमार सिंह के सहयोग से धान की नई किस्म को विकसित करने में सफलता मिली है.
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