scorecardresearch
Red Bhindi: लाल रंग की है काशी लालिमा भिंडी... द‍िल के ल‍िए है वरदान

Red Bhindi: लाल रंग की है काशी लालिमा भिंडी... द‍िल के ल‍िए है वरदान

भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान की तरफ से विकसित भिंडी की नई किस्म काशी लालिमा की मांग मध्य प्रदेश ,गुजरात ,महाराष्ट्र में खूब हो रही है. काशी लालिमा के बीजों की उपलब्धता शुरू में किसानों के लिए एक बड़ी समस्या थी, लेकिन अब राष्ट्रीय बीज निगम ने काशी लालिमा के बीजों को shop.mystore.in पर उपलब्ध कराया है.

advertisement
पोषक तत्वों से भरपूर है काशी लालिमा पोषक तत्वों से भरपूर है काशी लालिमा

देश में सब्जि‍यों को लेकर खूब शोध हो रहे हैं. वाराणसी स्थित भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान में भी सब्जियों की नई किस्मों को विकसित करने का काम चल रहा है. इसी कड़ी में अभी तक संस्थान के वैज्ञानिक कई सब्जियों की अलग-अलग और रंगीन किस्मों को विकसित कर चुके हैं, ज‍िसमें  नया नाम भ‍िंडी का है. मसलन,अभी तक बाजार में केवल हरी भिंडी ही बिक रही थी, लेकिन सब्जी अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों की मेहनत के बाद अब जल्द ही बाजारों में लाल रंग वाली भिंडी भी द‍िखाई देगी. भ‍िंडी की इस क‍िस्म को संस्थान के वैज्ञान‍िकों ने व‍िकस‍ित क‍िया है, ज‍िसका नाम काशी लालिमा (Kashi Lalima ) दिया गया है, ज‍िसे द‍िल के ल‍िए बेहतर बताया जा रहा है.

काशी लाल‍िमा भ‍िंडी, हरी भिंडी के मुकाबले काफी ज्यादा स्वादिष्ट है. यहां तक की सेहत के लिए इसे फायदेमंद बताया जा रहा है. 23 साल की कड़ी मेहनत के बाद वैज्ञानिकों को इस भिंडी की किस्म को विकसित करने में सफलता मिली है. काशी में इस किस्म को तैयार करने के चलते इसे काफी लालिमा नाम दिया गया है. वही यह भिंडी रोग रोधी भी है, जिसके चलते किसानों को इसकी खेती में कीटनाशक का प्रयोग नहीं करना पड़ता हैं.

पोषक तत्वों से भरपूर है काशी लालिमा 

भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान की तरफ से विकसित काशी लालिमा (Kashi Lalima ) भ‍िंडी पोषक तत्वों से भरपूर है. हरी भिंडी के मुकाबले यह भिंडी, पोषण का पावर हाउस है. भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान के निदेशक टीके बोहरा ने बताया कि ह्रदय स्वास्थ्य सुधार के लिए इसका नियमित सेवन काफी फायदेमंद है. हृदय रोग का जोखिम इन दिनों पर रहा है. ऐसे में काशी लालिमा भिंडी हृदय रोगियों के लिए काफी फायदेमंद साबित हो रही है. वहीं इस किस्म की भिंडी में सोडियम की मात्रा कम होती है. इस भिंडी में कम कैलोरी, प्रोटीन, वसा, फाइबर ,मैग्नीशियम होता है. इसके अलावा विटामिन ए ,विटामिन सी ,विटामिन के विटामिन बी-6 मौजूद होता है. वही इसमें एंथोसाइन भी पाया जाता है, जिससे रोग प्रतिरोधक क्षमता में बढ़ोतरी होती है.

पूरे देश में काशी लालिमा की बढ़ी मांग

भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान के द्वारा विकसित भिंडी की नई किस्म काशी लालिमा की मांग मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र में खूब हो रही है. काशी लालिमा के बीजों की उपलब्धता शुरू में किसानों के लिए एक बड़ी समस्या थी, लेकिन अब राष्ट्रीय बीज निगम ने काशी लालिमा के बीजों को shop.mystore.in पर उपलब्ध कराया है. किसान इस पोर्टल से बीजों को मंगवा कर जायद ,खरीफ और रबी में इस भिंडी की खेती कर सकते हैं.

 ये भी पढ़ें :New research: शहरों के लिए संजीवनी बनेगा 'जंगली अदरक', AMU के शोध से जगी उम्मीद

हरी भिंडी ने कैसे बदला लाल रंग

भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिकों ने बताया कि काशी लालिमा में एंथोसाइन इन पाया जाता है, जबकि हरे रंग की भिंडी में क्लोरोफिल मौजूद होता है. एंथोसाइन इन लाल रंग का कारक होता है. इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट भी शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं. काशी लालिमा में फोलिक एसिड में पाया जाता है, जो गर्भ में पल रहे बच्चे के मानसिक विकास के लिए सबसे जरूरी है. इस भिंडी के नियमित सेवन से कैंसर, डायबिटीज, हार्ड डिजीज, कोलेस्ट्रोल जैसी बीमारियों का खतरा भी कम होता है.

काशी लालिमा की खेती से किसानों को हो रहा है फायदा

काशी लालिमा भिंडी की बुवाई जायद के सीजन में होती है. वहीं प्रति एकड़ 4 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है. जायद सीजन में 15 फरवरी से 15 मार्च के बीच इस भिंडी की बुवाई किसानों को ज्यादा फायदा पहुंचाती है. काशी लालिमा भिंडी की बुवाई करने के 45 दिन बाद पहली हार्वेस्टर होती है. इस किस्म का हर पौधा 20 से 22 भिंडी का उत्पादन देता है. इस भिंडी का उत्पादन 180 क्विंटल प्रति हेक्टेयर दर्ज किया गया है, जिसके चलते किसानों को खूब फायदा भी हो रहा है. बाजार में काशी लालिमा का भाव 200 से लेकर 500 रुपये प्रति किलो है, जबकि सामान्य हरी भिंडी 50 रुपये प्रति किलो के भाव में बिक रही है.