खरीफ सीजन की मुख्य फसल धान लगभग पूरे भारत में लगाई जाती है. वहीं खरीफ सीजन शुरू होते ही धान की बीज की मांग बढ़ जाती है. किसान बीज की तलाश में सैकड़ों मील तक चले जाते हैं. कुछ इसी तरह का वाकया बीते दिन भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) में आयोजित होने वाले तीन दिवसीय पूसा कृषि विज्ञान मेला (पीकेवीएम) 2023 में भी देखने को मिला. दरअसल, गुरुवार से तीन दिवसीय पूसा कृषि विज्ञान मेले का शुभारंभ हुआ जिसमें देश के दूर-दराज के कई हजार किसान पहुंचे थे. इसी मेले में पंजाब के हजारों किसान सैकड़ों किलोमीटर की यात्रा करके धान की उन्नत किस्म ‘पूसा बासमती 1847’ के बीज खरीदने के लिए पहुंचे थे. जिसके लिए उन्हें लंबी कतार में भी खड़ा होना पड़ा.
धान की फसल में कई तरह के रोग लगते हैं जिनमें से ब्लास्ट या झोंका और ब्लाइट या झुलसा रोग प्रमुख हैं. इन रोगों की वजह से धान की उपज काफी प्रभावित होती है. कई बार पूरी फसल ही खराब हो जाती है. लेकिन किसानों को अब परेशान होने की जरूरत नहीं है. दरअसल, धान की उन्नत किस्म ‘पूसा बासमती 1847’ उच्च उपज क्षमता के साथ ही ब्लास्ट और ब्लाइट रोगों के लिए प्रतिरोधी है. वहीं बासमती पूसा बासमती 1509 का उन्नत संस्करण है. यह पूसा बासमती 1509 किस्म पंजाब के किसानों की पसंदीदा किस्म है.
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पिछले साल लॉन्च किए गए ‘पूसा बासमती 1847’ के बीज लेने के लिए पूसा मेले में पंजाब के किसानों की कतारें गुरुवार सुबह से ही लग गई थीं. दरअसल, IARI ने पिछले साल परीक्षण के लिए किसानों को ‘पूसा 1847’ का प्रति एकड़ 1 किलोग्राम बीज दिया था. यह इस उन्नत किस्म का परिणाम था जिसने किसानों को पंजाब से नई दिल्ली तक यात्रा करने के लिए मजबूर किया. वहीं मेले में आए किसानों ने कहा कि उन्हें इस किस्म के प्रमाणित बीज आईएआरआई के अलावा अन्य जगह से खरीदने में आशंका है. इसलिए हमलोग यहां आए हैं. वहीं आईएआरआई भी पहले ही दावा कर चुका है कि यह किस्म बासमती की खेती में 'क्रांति' लाएगी.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पूसा कृषि विज्ञान मेले में पहुंचे किसान संगरूर ने कहा, "यह बासमती की कम लागत वाली उच्च उपज वाली किस्म है. हमें उन किसानों से अच्छी प्रतिक्रिया मिली है, जिन्होंने पिछले साल इस किस्म की खेती की थी." एक अन्य किसान ने कहा, "प्रति एकड़ लागत में 2,000 रुपये की कमी आई है, क्योंकि हमें कीटनाशकों का छिड़काव नहीं करना पड़ता है. इसके अलावा यह किस्म झुलसा और ब्लास्ट रोगों के लिए प्रतिरोधी है.
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) के निदेशक डॉ. एके सिंह ने कहा, "हमने गुरुवार को लगभग 10,000 किसानों को बीज वितरित किए, जिनमें से अधिकांश पंजाब के थे. इस किस्म की उपज लगभग 30 क्विंटल प्रति एकड़ है, जो कि पूसा 1509 से अधिक है.". यह किस्म झुलसा और ब्लास्ट रोगों के लिए प्रतिरोधी है.
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