जैविक तरीके से करें सरसों की खेती, गलन रोग से बचाने के लिए अपनाएं ये घरेलू उपाय
जैविक तरीके से सरसों की खेती करना न केवल फसल के लिए लाभकारी है, बल्कि मिट्टी और पर्यावरण के लिए भी सुरक्षित है. लहसुन और नीम जैसे घरेलू और सस्ते उपायों से किसान अपनी फसल को गलन रोग और कीटों से बचाकर अच्छा उत्पादन पा सकते हैं. जैविक खेती अपनाकर किसान अपनी उपज की गुणवत्ता और बाजार में उसकी मांग दोनों को बढ़ा सकते हैं.
भारत में सरसों की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है और यह किसानों की आय का एक प्रमुख स्रोत है. परंपरागत खेती की तुलना में अब जैविक खेती को अधिक महत्व दिया जा रहा है, क्योंकि इससे मिट्टी की गुणवत्ता बनी रहती है और पर्यावरण को भी नुकसान नहीं होता. जैविक खेती में रासायनिक खाद और कीटनाशकों की जगह प्राकृतिक विकल्पों का इस्तेमाल किया जाता है. सरसों की खेती भी जैविक तरीकों से की जा सकती है, जिसमें लहसुन और नीम जैसे घरेलू उपायों से फसल को रोगों और कीटों से बचाया जा सकता है.
सही मिट्टी और खेत की तैयारी
सरसों की अच्छी पैदावार के लिए बलुई दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है, जिसमें पानी का निकास अच्छा हो. जैविक खेती की शुरुआत खेत की तैयारी से होती है.
बुआई से 10 दिन पहले जैविक खाद (जैसे गोबर की खाद, वर्मी कम्पोस्ट या नीम की खली) को खेत में समान रूप से बिखेरकर मिट्टी में मिला दें.
इससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है और पौधों की जड़ों को पोषण अच्छे से मिलता है.