लौकी एक कद्दूवर्गीय फसल है, जिसकी खेती साल भर में तीन बार की जा सकती है. लौकी सेहत के लिए बहुत फायदेमंद और पोषक तत्वों से भरपूर होती है. इसमें 90 फीसदी से अधिक पानी होता है, जो इसे हाइड्रेटिंग भोजन का विकल्प बनाता है. वहीं लौकी का इस्तेमाल सब्जी बनाने के अलावा मिठाई, रायता, आचार, कोफ्ता, खीर आदि बनाने में किया जाता है. इसकी खेती जायद, खरीफ और रबी तीनों सीजन में की जाती है.
हालांकि, खेती करने से पहले किसानों के लिए सबसे अहम सवाल यह होता है कि लौकी की किस किस्म की खेती करें जिससे ज्यादा से ज्यादा उपज मिल सके और नुकसान भी न हो. ऐसे में अगर आप भी लौकी की एक ऐसी ही किस्म की तलाश कर रहे हैं जिससे अधिक उपज मिल सके तो आप पूसा नवीन की खेती कर सकते हैं. आइए बताते हैं कहां सस्ते में मिलेगा इसका बीज और क्या है इसकी खासियत.
राष्ट्रीय बीज निगम (National Seeds Corporation) किसानों की सुविधा के लिए ऑनलाइन लौकी की उन्नत किस्म पूसा नवीन का बीज बेच रहा है. इस बीज को आप ओएनडीसी के ऑनलाइन स्टोर से खरीद सकते हैं. यहां किसानों को कई अन्य प्रकार की फसलों के बीज भी आसानी से मिल जाएंगे. किसान इसे ऑनलाइन ऑर्डर करके अपने घर पर डिलीवरी करवा सकते हैं.
NSC के लौकी के 'पूसा नवीन' एवं 'पूसा संतुष्टी' वैरायटी के उत्तम किस्म के बीज अब @ONDC_Official पर उपलब्ध |
— National Seeds Corp. (@NSCLIMITED) April 4, 2024
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भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान की ओर से विकसित लौकी की उन्नत किस्म पूसा नवीन खेती करने के लिए बहुत अच्छी किस्म है. इसकी खेती जायद और खरीफ दोनों सीजन में आसानी से की जा सकती है. इसके फल 30-40 सेमी लंबे और सीधे होते हैं. वहीं अगर खेत से मंडी दूर है तो भी परिवहन के दौरान इस किस्म के फल जल्दी खराब नहीं होते हैं. इस किस्म की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसकी पहली तुड़ाई 55 दिन में शुरू हो जाती है.
अगर आप भी लौकी की खेती करना चाहते हैं तो पूसा नवीन किस्म के 50 ग्राम के पैकेट का बीज फिलहाल 30 फीसदी छूट के साथ 35 रुपये में राष्ट्रीय बीज निगम की वेबसाइट से खरीद सकते हैं. इसे खरीद कर आप आसानी से लौकी की खेती कर बेहतर मुनाफा कमा सकते हैं.
लौकी की खेती लगभग देश के किसी भी क्षेत्र में आसानी से की जा सकती है. लौकी की खेती के लिए उचित जल निकासी वाली भूमि की आवश्यकता होती है क्योंकि खेत में ज्यादा देर तक पानी ठहरने पर फसल खराब हो जाती है. वही इसकी सफल खेती के लिए हल्की दोमट भूमि उचित मानी जाती है. यह पाले को सहन करने में बिल्कुल असमर्थ होती है. इसकी खेती में 30 डिग्री सेल्सियस के आसपास का तापमान काफी अच्छा माना जाता है.
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