फसल अवशेष जलाने से होने वाले प्रदूषण की समस्या से निजात पाने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने एक विशेष प्रकार का कैप्सूल तैयार किया है, जिसमें तय मात्रा में पानी, बेसन और गुड़ मिलाकर फसल अवशेषों पर छिड़काव किया जाता है. है. यह कैप्सूल 5 तरह के बैक्टीरिया से बनाया गया है. जो फसल के लिए बहुत फायदेमंद है. इसका उपयोग खेतों में फसल अवशेषों की तत्काल खाद बनाने और मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार और पौधों की बीमारियों को रोकने के लिए के लिए किया जाता है. इसे गाय के गोबर से सूक्ष्मजीवों को निकालकर बनाया जाता है.
बायो डी-कंपोजर बनाने की विधि आसान है. इसके लिए एक ड्रम में 200 लीटर पानी लेना होगा. जिसमें दो किलो गुड़ डालना है. इसके बाद एक शीशी बायो डी-कंपोजर की डालें. उसके बाद ड्रम को ढक कर रख देंगे. ड्रम में भरे पानी को 3-5 दिनों तक दिन में कई बार घड़ी की दिशा में हिलाया जाएगा. 3 से 5 दिन में वेस्ट डीकंपोजर तैयार हो जाएगा. सेंटर फॉर ऑर्गेनिक एग्रीकल्चर के मुताबिक, 3 से 5 दिन पुराने वेस्ट डीकंपोजर को फसल पर छिड़का जाता है, जबकि 5 दिन बाद वाले को पानी से सींचा जाना चाहिए.
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