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बायो डीकंपोजर का छिड़काव करें या पानी के साथ सिंचाई करें, फसल के लिए कौन सा तरीका होगा सही?

बायो डीकंपोजर का छिड़काव करें या पानी के साथ सिंचाई करें, फसल के लिए कौन सा तरीका होगा सही?

पूसा इंस्टीट्यूट के मुताबिक बायो डीकंपोजर के 04 कैप्सूल से 25 लीटर तक बायो डीकंपोजर घोल बनाया जा सकता है. 25 लीटर घोल में 500 लीटर पानी मिलाकर इसका छिड़काव ढाई एकड़ में किया जा सकता है. ये पराली को कुछ ही दिनों में ही सड़ाकर खाद बना देता है.

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बायो डीकंपोजर का करें इस्तेमाल बायो डीकंपोजर का करें इस्तेमाल


फसल अवशेष जलाने से होने वाले प्रदूषण की समस्या से निजात पाने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने एक विशेष प्रकार का कैप्सूल तैयार किया है, जिसमें तय मात्रा में पानी, बेसन और गुड़ मिलाकर फसल अवशेषों पर छिड़काव किया जाता है. है. यह कैप्सूल 5 तरह के बैक्टीरिया से बनाया गया है.  जो फसल के लिए बहुत फायदेमंद है. इसका उपयोग खेतों में फसल अवशेषों की तत्काल खाद बनाने और मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार और पौधों की बीमारियों को रोकने के लिए के लिए किया जाता है. इसे गाय के गोबर से सूक्ष्मजीवों को निकालकर बनाया जाता है.

क्या है बायो डी-कंपोजर बनाने का तरीका

बायो डी-कंपोजर बनाने की विधि आसान है. इसके लिए एक ड्रम में 200 लीटर पानी लेना होगा. जिसमें दो किलो गुड़ डालना है. इसके बाद एक शीशी बायो डी-कंपोजर की डालें. उसके बाद ड्रम को ढक कर रख देंगे. ड्रम में भरे पानी को 3-5 दिनों तक दिन में कई बार घड़ी की दिशा में हिलाया जाएगा. 3 से 5 दिन में वेस्ट डीकंपोजर तैयार हो जाएगा. सेंटर फॉर ऑर्गेनिक एग्रीकल्चर के मुताबिक, 3 से 5 दिन पुराने वेस्ट डीकंपोजर को फसल पर छिड़का जाता है, जबकि 5 दिन बाद वाले को पानी से सींचा जाना चाहिए.

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बायो डी-कंपोजर के फायदे और उपयोग

  • फसल के अवशेष, जानवरों के मल, रसोई के कचरे और शहर के कचरे जैसे सभी खराब होने वाले कार्बनिक पदार्थ 40 दिनों के भीतर जैविक खाद बन जाते हैं.
  • बायो डी-कंपोजर से बीजों का उपचार करने से 98 प्रतिशत मामलों में शीघ्र और एक समान अंकुरण होता है और अंकुरण से पहले बीजों को सुरक्षा मिलती है.
  • पौधों पर बायो डी-कंपोजर का छिड़काव करने से विभिन्न फसलों में सभी प्रकार की बीमारियों से प्रभावी ढंग से बचाव होता है.
  • बायो डी-कंपोज़ का उपयोग करके किसान बिना रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के फसलें उगा सकते हैं. यूरिया, डीएपी या एमओपी की कोई जरूरत नहीं है.
  • बायो डी-कंपोजर का उपयोग करने से सभी प्रकार के कीटनाशकों/कवकनाशी और कीटनाशकों का उपयोग 90 प्रतिशत तक कम हो जाता है क्योंकि यह जड़ रोगों और तना रोगों को नियंत्रित करता है.