भारत को खेती की नई-नई तकनीक सिखाएगा नेदरलैंड्स, उन्नत बीजों पर होगा सबसे अधिक काम

भारत को खेती की नई-नई तकनीक सिखाएगा नेदरलैंड्स, उन्नत बीजों पर होगा सबसे अधिक काम

खेती-बाड़ी के क्षेत्र में दोनों देशों ने एक जॉइंट प्लान तैयार किया है. इस प्लान के अंतर्गत दोनों देश कई क्षेत्रों में सहयोग कर रहे हैं. इनोवेशन, कीटनाशकों का समझदारी से इस्तेमाल, खेती में जितना कम हो सके केमिकल का प्रयोग कम करना, बीज उत्पादन, नए बीजों का विकास और टिकाऊ कृषि पद्धतियों के जरिये किसानों की आमदनी बढ़ाने पर जोर शामिल है. एक्शन प्लान में इन सभी मुद्दों पर दोनों देश काम कर रहे हैं.

Advertisement
भारत को खेती की नई-नई तकनीक सिखाएगा नेदरलैंड्स, उन्नत बीजों पर होगा सबसे अधिक कामपॉलीहाउस फार्मिंग

भारत और नेदरलैंड्स टिकाऊ खेती में एक दूसरे का सहयोग बढ़ाने जा रहे हैं. इसे लेकर दोनों देशों में सरकार स्तर पर प्रयास तेज किए गए हैं. इसकी जानकारी नेदरलैंड्स के उप कृषि मंत्री ने लखनऊ में दी. इनका नाम जनकीस गोयत है. गोयत ने लखनऊ में इसके बारे में जानकारी देते हुए 'टाइम्स ऑफ इंडिया' से कहा कि 'सीड सेक्रेटेरिएट'(बीज सचिवालय) के जरिये दोनों देश कृषि के क्षेत्र में अपना सहयोग बढ़ा रहे हैं. दोनों देश एक दूसरे की मदद से खेती के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस खोल रहे हैं. साथ ही अधिक पैदावार लेने के लिए किसानों को खेती की शिक्षा और ट्रेनिंग दी जा रही है.

बातचीत में नेदरलैंड्स के उप कृषि, खाद्य सुरक्षा, फीशरीज और प्रकृति मंत्री गोयत ने 'सर्कुलर प्रोडक्शन' जैसी नई तकनीक की जानकारी दी. पूरी दुनिया के लिए यह तकनीक एकदम नई है. यह तकनीक सिंचाई में इस्तेमाल होती है. इसके बारे में गोयत ने कहा कि जिस तरह भारत में भूजल की कमी हो रही है, उसी तरह नेदरलैंड्स में भी इसका स्तर तेजी से गिर रहा है. उनका देश छोटा है और घना भी. इसलिए कम क्षेत्र में अधिक खेती करने के सिवा दूसरा कोई उपाय नहीं. पानी का इस्तेमाल बुद्धिमानी से करने के लिए सर्कुलर वाटर प्रोडक्शन तकनीक शुरू की गई है. इसमें घर या अन्य जगहों से निकले पानी को ग्रीनहाउस में भेजा जाता है फलों-सब्जियों की सिंचाई की जाती है.

दोनों देशों का एक्शन प्लान तैयार

खेती-बाड़ी के क्षेत्र में दोनों देशों ने एक जॉइंट प्लान तैयार किया है. इस प्लान के अंतर्गत दोनों देश कई क्षेत्रों में सहयोग कर रहे हैं. इनोवेशन, कीटनाशकों का समझदारी से इस्तेमाल, खेती में जितना कम हो सके केमिकल का प्रयोग कम करना, बीज उत्पादन, नए बीजों का विकास और टिकाऊ कृषि पद्धतियों के जरिये किसानों की आमदनी बढ़ाने पर जोर शामिल है. एक्शन प्लान में इन सभी मुद्दों पर दोनों देश काम कर रहे हैं.

ये भी पढ़ें: Success Story: ग्रीनहाउस में शुरू की जैविक खेती, अब खीरा-ककड़ी उगाकर लाखों में कर रहे हैं कमाई

क्लाइमेट चेंज को ध्यान में रखते हुए कृषि उत्पादन कैसे बढ़ाया जाए और खाद्य सुरक्षा कैसे सुनिश्चित की जाए, इस सवाल पर गोयत ने कहा कि इसके लिए जरूरी है कि किसानों को अच्छे बीज दिए जाएं. इसके लिए बीजों का विकास बहुत जरूरी है. इसे ध्यान में रखते हुए इस हफ्ते भारत और नेदरलैंड्स ने एक MoU पर साइन किया है जिसमें सबसे अधिक जोर नए-नए बीजों के विकास पर है. भारत के किसानों को यह भी बताया जाएगा कि मिट्टी कैसी रखें और पानी का प्रबंधन कैसे करना है. उपभोक्ताओं को भी कृषि उत्पादों के इस्तेमाल पर जागरूक करना है जिसके लिए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस खोले जाएंगे. अभी ऐसे सेंटर की संख्या 8 है जिसे भविष्य में बढ़ाया जाएगा.

क्लाइमेट चेंज के खिलाफ तैयारी

क्लाइमेट चेंज से निपटने में नेदरलैंड्स की भागीदारी कैसी रहेगी, इस सवाल पर गोयत ने कहा कि 2030 तक 55 परसेंट ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन कम करने का लक्ष्य है. इसमें सबसे बड़ा रोल कृषि का होगा, इसलिए जलवायु अनुकूल फसलों को विकसित करने और उसकी खेती पर जोर दिया जा रहा है.  इसमें ग्रीनहाउस खेती का उपयोग किया जा रहा है लेकिन उसमें में ग्रीनहाउस गैसों का खतरा है. ग्रीनहाउस को गर्म रखने के लिए अभी तक नेचुरल गैस का इस्तेमाल होता था, लेकिन अब उसकी जगह जियोथर्मल एनर्जी का उपयोग होगा. इससे ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन कम होगा.

ये भी पढ़ें: बेंगलुरु में पॉलीहाउस खेती का बढ़ा ट्रेंड, इस सब्सिडी योजना का जमकर फायदा उठा रहे किसान 

 

POST A COMMENT